पिता ने पूछा : ‘“एक जोड़ी के पैसे ?”
बोले : "एक बहुत गरीब व्यक्ति के पैरों में काँटे चुभ रहे थे। जूते पहनने की उसकी क्षमता नहीं थी। मैंने उसको पहना दिये।”
पिता नाराज हुए और इनाम में एक थप्पड़ रख दिया।
कुछ दिनों बाद रविदासजी को पिता ने ९ जोड़ी जूते दिये। ९ दूनी १८ रुपये होते हैं परंतु इन्होंने १५ रुपये दिये।
पिता ने पूछा : "३ रुपये कम कैसे?”
"३ जोड़ी जूते १-१ रुपये में दिये क्योंकि उन मेरे राम की आर्थिक स्थिति कमजोर थी।"
पिता नाराज हुए और उनको अलग कर दिया। घर के पीछे छोटे-से झोंपड़े में पति-पत्नी रहते थे, जूता सीते थे और गुजारा करते थे। २ रुपये के अधिकारी को २ रुपये में जूता देते थे और जिसके पास पैसों की कमी है उसको १ रुपये में, पचास पैसे में दे देते थे। ऐसा करते कई वर्ष हो गये। उनकी समता और शांति परिपक्व हुई।
भगवान आदिनारायण के चित्त में हुआ 'चलो ! भक्त को पारसमणि दी जाय, कि जिससे वह अपना ऐहिक जीवन ठीक से जी सके।'
Diese Geschichte stammt aus der April 2024-Ausgabe von Rishi Prasad Hindi.
Starten Sie Ihre 7-tägige kostenlose Testversion von Magzter GOLD, um auf Tausende kuratierte Premium-Storys sowie über 8.000 Zeitschriften und Zeitungen zuzugreifen.
Bereits Abonnent ? Anmelden
Diese Geschichte stammt aus der April 2024-Ausgabe von Rishi Prasad Hindi.
Starten Sie Ihre 7-tägige kostenlose Testversion von Magzter GOLD, um auf Tausende kuratierte Premium-Storys sowie über 8.000 Zeitschriften und Zeitungen zuzugreifen.
Bereits Abonnent? Anmelden
रूहानी सौदागर संत-फकीर
१५ नवम्बर को गुरु नानकजी की जयंती है। इस अवसर पर पूज्य बापूजी के सत्संग-वचनामृत से हम जानेंगे कि नानकजी जैसे सच्चे सौदागर (ब्रहाज्ञानी महापुरुष) समाज से क्या लेकर समाज को क्या देना चाहते हैं:
पितरों को सद्गति देनेवाला तथा आयु, आरोग्य व मोक्ष प्रदायक व्रत
एकादशी माहात्म्य - मोक्षदा एकादशी पर विशेष
ऐसी कल्पना आपका कल्याण कर देगी
बाबा कृष्ण बन जाते हैं, कृष्ण बाबा बन जाते हैं।
विलक्षण न्याय
विद्यार्थी संस्कार - पढ़िये-पढ़ाइये यह शिक्षाप्रद कथा
पूज्य बापूजी की रिहाई ही देश को विश्वगुरु बना सकती है
श्री अशोक सिंहलजी की जयंती पर हुए विशेष चर्चासत्र के कुछ अंश
गोपाष्टमी पर क्यों किया जाता है गायों का आदर-पूजन?
९ नवम्बर : गोपाष्टमी पर विशेष
कर्म करने से सिद्धि अवश्य मिलती है
गतासूनगतासुंश्च नानुशोचन्ति पण्डिताः ॥
अपने ज्ञानदाता गुरुदेव के प्रति कैसा अद्भुत प्रेम!
(गतांक के 'साध्वी रेखा बहन द्वारा बताये गये पूज्य बापूजी के संस्मरण' का शेष)
समर्थ साँईं लीलाशाहजी की अद्भुत लीला
साँईं श्री लीलाशाहजी महाराज के महानिर्वाण दिवस पर विशेष
धर्मांतरणग्रस्त क्षेत्रों में की गयी स्वधर्म के प्रति जागृति
ऋषि प्रसाद प्रतिनिधि।