जन्माष्टमी विश्वमानव के कल्याण का दिवस है। नंद घर आनंद भयो... संसार की आपाधापी में पचनेवाले जीवों के लिए यह आनंददायी दिन है। आनंददायी उपदेश, आनंददायी गीता-ज्ञान, आनंददायी श्रीकृष्ण की चेष्टा... जन्मे तब से लेकर आखिरी जीवन तक मुसीबतों के बीच जूझते हुए भी आनंद में रहने की कला सिखानेवाला महान-सेमहान अवतार है श्रीकृष्णावतार। जीसस कभी हँसे नहीं और श्रीकृष्ण कभी रोये नहीं। क्या गजब की बात है ! आत्मा सुखस्वरूप, आनंदस्वरूप है तो रोना-धोना किस बात का? आत्मा सत् है, चेतन है, आनंद है। नंद घेर आनंद भयो ... तुम्हारा हृदय नंद का घर है। उसमें आनंदस्वरूप कृष्ण का प्राकट्य होता ही रहता है।
ॐ नमो भगवते वासुदेवाय। जिसके नाम से ही आनंद छलकता है वह वासुदेव का अवतार...नन्हा-मुन्ना अठखेलियाँ करनेवाला, ठेंगा दिखानेवाला, चिकोटी काटनेवाला, जीभ दिखानेवाला, प्रभावती को सबक सिखानेवाला, अर्जुन को गीता का अमृतपान करानेवाला श्रीकृष्णावतार... ! योगेश्वर श्रीकृष्ण जिस दिन अवतरित हुए थे, जन्माष्टमी वह मंगलकारी दिवस है।
नंद घेर आनंद भयो... नंद के घर आनंद भयो तब भयो, तुम्हारे हृदय-घर में तो अभी आनंद हो रहा है। दुनिया बापू को याद करे और बापू देखो तुमको याद कर रहे हैं, कैसे ढूँढ़-ढाँढ़ के समझा रहे हैं, सुना रहे हैं ! है न पावन दिवस की अद्भुत महिमा?
Diese Geschichte stammt aus der August 2024-Ausgabe von Rishi Prasad Hindi.
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