Panchjanya - November 20, 2022Add to Favorites

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En este asunto

#भारतीय सिनेमा
संस्कृति और सीख
फिल्मों में भारतीयता को पुष्ट करने वाली हवा लगातार दक्षिण से चल रही है. मायानगरी में सरसराहट है. दर्शकों का प्रतिसाद बता रहा है कि फिल्मों का रंग-ढंग बदलने का समय आ गया है

सनातन सोच की सारथी

कन्नड़ फिल्म कांतारा वनवासियों को गैर-हिंदू साबित करने और उन्हें भारतीयता के विरुद्ध भड़काने के वामपंथी षड्यंत्र का पर्दाफाश करती है । यह फिल्म जल-जंगल-जमीन के संघर्ष को देखने के सनातनी दृष्टिकोण को स्थापित करती है । यह राज्य और वनवासियों के बीच संघर्ष की वामपंथी व्याख्या के विपरीत सनातनी संस्कृति के सह अस्तित्व को उकेरती है

सनातन सोच की सारथी

5 mins

संस्कृति ने बढ़ाया सिनेमा का संसार

दादा साहब फाल्के ने भारतीय संस्कृति से जुड़े पात्रों पर अनेक फिल्में बनाईं। उनकी सफलता को देखते हुए अन्य फिल्मकारों ने भी ऐसी फिल्मों का निर्माण किया। एक बार ऐसा ही दौर वापस आता दिख रहा है

संस्कृति ने बढ़ाया सिनेमा का संसार

8 mins

मसाला नहीं न मूल्यों का मोल

दक्षिण भारतीय फिल्मकार जहां अलग-अलग विषयों पर प्रयोग करने से नहीं चूक रहे, वहीं बॉलीवुड स्टार सिस्टम के आगे नतमस्तक है और बंधे-बंधाए ढर्रे से आगे नहीं निकल पा रहा। दक्षिण भारतीय निर्माता जहां भारतीय संस्कृति, देशभक्ति, ऐतिहासिक चरित्रों पर नए ढंग से काम कर रहे हैं, वहीं हिन्दू देवी-देवताओं के अपमान को लेकर धर्म-आस्था का गलत चित्रण बॉलीवुड का शगल ही बन गया है

मसाला नहीं न मूल्यों का मोल

5 mins

न नीयत, न नीति

मुख्यमंत्री केजरीवाल दिल्ली की आबोहवा बिगड़ने पर पहले पंजाब और हरियाणा की सरकारों को कोसते थे। लेकिन अब पंजाब में अपनी सरकार होने पर वे इसका ठीकरा हरियाणा और केंद्र के सिर फोड़ अपना दामन बचाने में जुटे

न नीयत, न नीति

7 mins

‘सुजलाम्' से जल-जागृति

भले ही दुनिया के सबसे ज्यादा बारिश वाले देशों में भारत का नाम हो, लेकिन संसाधनों के शोषण और नदियों के प्रदूषण में अगर आज हम आगे हैं तो ये थोड़ा थमने का वक्त है। आज से 50 साल पहले एक व्यक्ति को 5000 घन मीटर पानी मुहैया था और जो आज 1500 घन मीटर रह गया है। यानी हम पानी के मामले में उल्टे पांव चल रहे हैं

‘सुजलाम्' से जल-जागृति

6 mins

पर्यावरण की पहरेदारी

जलवायु परिवर्तन से संबद्ध वैश्विक चिंताओं पर संयुक्त राष्ट्र का वैश्विक सम्मेलन प्रारंभ। परंतु क्या अमीर देश जहरीली गैसों के उत्सर्जन के लिए जिम्मेदार तेल एवं गैस कंपनियों पर शुल्क की मांग मानेंगे या दुनिया को तबाही से बचाने के लिए वैश्विक उत्सर्जन को क्रमशः कम करते हुए खत्म करने की व्यावहारिक योजना बन सकेगी

पर्यावरण की पहरेदारी

4 mins

अब गुरुजी केवल पढ़ाएंगे

उतर प्रदेश सरकार ने 6-14 वर्ष के बच्चों को शिक्षा देने के लिए दूसरे कार्यों से मुक्त कर शिक्षकों को नई जिम्मेदारी सौंपी है। प्राथमिक और माध्यमिक शिक्षा को पटरी पर लाने के लिए स्कूल शिक्षा महानिदेशक की नियुक्ति की गई है

अब गुरुजी केवल पढ़ाएंगे

5 mins

मुगल सेना की नाक काटने वाली महारानी

गढ़वाल की महारानी कर्णावती से मुस्लिम शासक कांपते थे। विलक्षण बुद्धि एवं गौरवमय व्यक्तित्व के चलते हुईं इतिहास में प्रसिद्ध। पति के वीरगति प्राप्त होने पर सती नहीं हुईं बल्कि महान धैर्य और साहस के साथ उन्होंने राज्य संभाला।

मुगल सेना की नाक काटने वाली महारानी

3 mins

खास है सेना की नई वर्दी

सैन्य वर्दी पर सेना का एकाधिकार हो जाने से इसकी अवैध तरीके से बिक्री करने वालों को कानूनी कार्रवाई का सामना करना पड़ेगा। भारतीय सेना ने पेटेंट लिया है

खास है सेना की नई वर्दी

2 mins

सुविधाएं बढ़ीं श्रद्धालु बढ़े

उत्तराखंड की चार धाम यात्रा में अब तक 46,00,000 से अधिक श्रद्धालु पहुंच चुके हैं। इससे पहले इतने श्रद्धालु कभी नहीं आए थे

सुविधाएं बढ़ीं श्रद्धालु बढ़े

3 mins

नीतीश चले मजहबी चाल!

राजद के साथ मिलते ही बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार मुस्लिम तुष्टीकरण के सारे कीर्तिमान तोड़ने में लग गए हैं। उर्दू अनुवादकों, उर्दू शिक्षकों की नियुक्ति के साथ-साथ अल्पसंख्यक आवासीय विद्यालय बनाने की बात चल रही है

नीतीश चले मजहबी चाल!

5 mins

अधर में इमरान

इमरान पर हमला किसी उत्तेजित सिरफिरे की कारिस्तानी नहीं, बल्कि एक व्यापक साजिश की ओर इशारा करती है। इमरान शायद इसे समझ रहे हैं। इसीलिए वे परिणामों से भली-भांति वाकिफ होते हुए भी सेना के विरुद्ध मोर्चा खोले हुए हैं

अधर में इमरान

4 mins

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Panchjanya Magazine Description:

EditorBharat Prakashan (Delhi) Limited

CategoríaPolitics

IdiomaHindi

FrecuenciaWeekly

स्वतंत्रता प्राप्ति के तुरन्त बाद 14 जनवरी, 1948 को मकर संक्राति के पावन पर्व पर अपने आवरण पृष्ठ पर भगवान श्रीकृष्ण के मुख से शंखनाद के साथ श्री अटल बिहारी वाजपेयी के संपादकत्व में 'पाञ्चजन्य' साप्ताहिक का अवतरण स्वाधीन भारत में स्वाधीनता आन्दोलन के प्रेरक आदशोंर् एवं राष्ट्रीय लक्ष्यों का स्मरण दिलाते रहने के संकल्प का उद्घोष ही था।

अटल जी के बाद 'पाञ्चजन्य' के सम्पादक पद को सुशोभित करने वालों की सूची में सर्वश्री राजीवलोचन अग्निहोत्री, ज्ञानेन्द्र सक्सेना, गिरीश चन्द्र मिश्र, महेन्द्र कुलश्रेष्ठ, तिलक सिंह परमार, यादव राव देशमुख, वचनेश त्रिपाठी, केवल रतन मलकानी, देवेन्द्र स्वरूप, दीनानाथ मिश्र, भानुप्रताप शुक्ल, रामशंकर अग्निहोत्री, प्रबाल मैत्र, तरुण विजय, बल्देव भाई शर्मा और हितेश शंकर जैसे नाम आते हैं। नाम बदले होंगे पर 'पाञ्चजन्य' की निष्ठा और स्वर में कभी कोई परिवर्तन नहीं आया, वे अविचल रहे।

किन्तु एक ऐसा नाम है जो इस सूची में कहीं नहीं है, परन्तु वह इस सूची के प्रत्येक नाम का प्रेरणा-स्रोत कहा जा सकता है जिसने सम्पादक के रूप में अपना नाम कभी नहीं छपवाया, किन्तु जिसकी कल्पना में से 'पाञ्चजन्य' का जन्म हुआ, वह नाम है पं. दीनदयाल उपाध्याय।

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