Vivek Jyoti - August 2024Add to Favorites

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1. विचारों के सामंजस्य और अनासक्ति के प्रतीक थे श्रीकृष्ण : विवेकानन्द ३४२
2. श्रीकृष्ण का शौर्य (डॉ. सत्येन्दु शर्मा) ३४५
3. भगवान श्रीकृष्ण की दिनचर्या का लौकिक और पारलौकिक महत्त्व (राजकुमार गुप्ता) ३४८
4. (बच्चों का आंगन) राय बाघिनी रानी भवशंकरी (श्रीमती मिताली सिंह) ३५५
5. स्वामी विवेकानन्द की दृष्टि में संस्कृत और संस्कृति (स्वामी दयापूर्णानन्द) ३५६
6. वाराणसी के गोपाल लाल विला में विवेकानन्द : कुछ अज्ञात तथ्य (शान्ति कुमार घोष) ३५९
7. सत्संग से नि:संगता आती है (स्वामी सत्यरूपानन्द) ३६१
8. (युवा प्रांगण) कमिंग विथ ब्रदर – दुर्गा देवी (स्वामी गुणदानन्द) ३६२
9. राष्ट्र-निर्माण में मन्दिरों का महत्त्व (साकेत विहारी पाण्डेय) ३६४
10. सोशल मीडिया की प्रवृत्ति से युवाओं को बचाना आवश्यक है (डॉ. हिमांशु द्विवेदी) ३७५

Vivek Jyoti Magazine Description:

EditorRamakrishna Mission, Raipur

CategoríaReligious & Spiritual

IdiomaHindi

FrecuenciaMonthly

भारत की सनातन वैदिक परम्परा, मध्यकालीन हिन्दू संस्कृति तथा श्रीरामकृष्ण-विवेकानन्द के सार्वजनीन उदार सन्देश का प्रचार-प्रसार करने के लिए स्वामी विवेकानन्द के जन्म-शताब्दी वर्ष १९६३ ई. से ‘विवेक-ज्योति’ पत्रिका को त्रैमासिक रूप में आरम्भ किया गया था, जो १९९९ से मासिक होकर गत 60 वर्षों से निरन्तर प्रज्वलित रहकर यह ‘ज्योति’ भारत के कोने-कोने में बिखरे अपने सहस्रों प्रेमियों का हृदय आलोकित करती रही है । विवेक-ज्योति में रामकृष्ण-विवेकानन्द-माँ सारदा के जीवन और उपदेश तथा अन्य धर्म और सम्प्रदाय के महापुरुषों के लेखों के अलावा बालवर्ग, युवावर्ग, शिक्षा, वेदान्त, धर्म, पुराण इत्यादि पर लेख प्रकाशित होते हैं ।

आज के संक्रमण-काल में, जब भोगवाद तथा कट्टरतावाद की आसुरी शक्तियाँ सुरसा के समान अपने मुख फैलाएँ पूरी विश्व-सभ्यता को निगल जाने के लिए आतुर हैं, इस ‘युगधर्म’ के प्रचार रूपी पुण्यकार्य में सहयोगी होकर इसे घर-घर पहुँचाने में क्या आप भी हमारा हाथ नहीं बँटायेंगे? आपसे हमारा हार्दिक अनुरोध है कि कम-से-कम पाँच नये सदस्यों को ‘विवेक-ज्योति’ परिवार में सम्मिलित कराने का संकल्प आप अवश्य लें ।

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