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मई महीने में खेती के खास काम
इस महीने में तकरीबन पूरे भारत में गरमी अपने उफान पर होती है और चिलचिलाती धूप में किसानों को खेती के अलावा पशुधन का भी खयाल रखना बहुत जरूरी है.
सबसौयलर मिट्टी को बनाए हवादार
आज भारीभरकम मशीनों को जुताई, फसल की कटाई व दूसरे जरूरी कामों के लिए खेत में चलते देखना आम बात है.
गन्ने की खेती में जैव उर्वरक का उपयोग
गन्ना बहुवर्षीय फसल है, जोकि भारत की महत्त्वपूर्ण नकदी फसलों में से एक है. भारत विश्व में गन्ना उत्पादन में क्षेत्रफल व उत्पादन की दृष्टि से दूसरा स्थान रखता है.
कृषि यंत्रों का उपयोग व रखरखाव
तेज धूप, वर्षा, धूलमिट्टी आदि से जंग लगने, लकड़ी के फूल कर कमजोर होने, पेंट उतर जाने आदि से कृषि यंत्र खराब हो जाते हैं. उचित देखभाल कर कृषि यंत्रों को खराब होने से बचाया जा सकता है.
प्राकृतिक खेती कम लागत सुरक्षित उपज
प्राकृतिक खेती का मतलब बिना कैमिकल के प्राकृतिक संसाधनों का इस्तेमाल करते हुए खेती करना है, मतलब, किसान जो भी फसल उगाए, उस में फर्टिलाइजर कीटनाशकों का इस्तेमाल न करे.
सूरजमुखी में एकीकृत कीट प्रबंधन
तिलहनी फसलों में सूरजमुखी का विशेष महत्व है, क्योंकि यह फसल ताप व प्रकाश के प्रति संवेदनशील न होने के कारण इसे किसी भी मौसम खरीफ, रबी और जायद में उगा सकते हैं. साथ ही, इस के बीजों में 40-45 फीसदी तक उच्च गुणवत्तायुक्त तेल पाया जाता है.
सेहत को सुधारे सहजन
सहजन ( वानस्पतिक ओलिफेरा) के बारे में हम सभी जानते हैं. इसे सीजना, सुरजना, शोभाजन, मरूगई, मरूनागाई, इंडियन हौसरैडिश आदि नामों से भी जाना जाता है. सहजन पूरे भारत में सुगमता से पाया जाने वाला पेड़ है. सहजन के पत्ते, फूल, फलियां, बीज, छाल आदि सभी का किसी न किसी रूप में प्रयोग होता है.
नया रिवाज मोटे अनाज
पारंपरिक भारतीय अनाजों में स्वास्थ्य का खजाना छिपा है. बीते कुछ सालों में कई ऐसी फसलें खेतों में लगी हैं और फिर ऐसा खाना थाली में लौट आया है, जिन्हें कुछ वक्त पहले तक बिलकुल भुला दिया गया था.
इंटरक्रोपिंग खेती : दो या उस से अधिक फसले ले कर मुनाफा पाएं
कुछ किसानों के पास जमीन है, तो पानी नहीं. अगर पानी है, तो जमीन नहीं. और अगर दोनों हैं, तो नवाचार करने की क्षमता नहीं है. साथ ही साथ सरकारी योजनाओं का लाभ उठा कर कोई भी किसान उन्नत खेती कर सकता है, बस जरूरत होगी एक सही कदम की.
बीज का महत्त्वे
अनाज के दाने का आधा या आधे से अधिक वह भाग जिस में भ्रूण उपस्थित हो, जिस की अंकुरण क्षमता अधिक हो तथा जो जो भौतिक एवं आनुवांशिक रूप से शुद्ध हो, साधारणताय उसे बीज कहा जाता है. कृषि के उत्पादन के कारकों में से एक बीज का अत्याधिक महत्त्व होता है.
वर्टीकल फार्मिंग - आज की आवश्यकता
बढ़ती जनसंख्या के साथ कृषि योग्य भूमि की कमी होती जा रही है. ऐसे में वर्टिकल फार्मिंग कम जगह में अधिक पौधों को लगाने का एक अनोखा तरीका है. वर्टिकल फार्मिंग को खड़ी खेती के नाम से भी जाना जाता है. यह खुले में हो सकती है. इस में इमारतों व अपार्टमेंट की दीवारों का उपयोग भी छोटीछोटी फसल उगाने के लिए किया जा सकता है.
अप्रैल माह के खास काम
अप्रैल महीने के दौरान तमाम फसलों की कटाई का सिलसिला शुरू हो जाता है. कुछ जगह फसल उत्पादन किसान ले भी चुके होते हैं. अप्रैल महीने में खेती से जुड़े खास कामों पर बात करते हैं.
उमाशंकर पांडेय पानी के पहरेदार को पद्मश्री 'खेत पर मेंड और मेंड पर पेड़' ने दिखाई राह
गणतंत्र दिवस के मौके पर पुरखों के पारंपरिक तरीकों को अपना कर बुंदलेखंड को पानीदार बनाने वाले 'जलयोद्धा' के नाम से चर्चित सामाजिक कार्यकर्ता उमाशंकर पांडेय को साल 2023 के 'पद्मश्री अवार्ड' से नवाजे जाने की घोषणा हुई, तो देश के हर कोने में उन के बारे में लोग जानने को उत्सुक हो उठे.
बैगन की खेती
हमारे यहां बैगन को गरीबों की सब्जी कहा जाता है. इसे हर तरह की मिट्टी में उगाया जा सकता है, क्योंकि इस का पौधा काफी सहनशील होता है.
हरी खाद मिट्टी की उपजाऊ कूवत बढ़ाए
आज के समय में किसान ज्यादा उपज लेने के लिए कैमिकल खादों का बेतहाशा मात्रा में इस्तेमाल करते हैं.
अदरक: कारगर उत्पादन तकनीक
अदरक की खेती भारत को विदेशी मुद्रा प्राप्त करने का एक प्रमुख जरीया है. विश्व में उत्पादित अदरक का आधा भाग भारत पूरा करता है
प्रो. रवि प्रकाश मौर्य की किसानों को सलाह - तैयार फसल का रखें खास ध्यान
हमारे गांवों के खेतों में गेहूं की फसल पक कर खड़ी है
स्ट्रा रीपर पुआल की करे कटाई बनाए भूसा भी
स्ट्रा रीपर एक ऐसा कृषि यंत्र है, जो खेत में खड़े पुआल का भूसा तो बनाता ही है साथ ही उन फसल अवशेषों से निकलने वाले अनाज के दानों को भी स्टोर करता है.
जायद में उड़द और मूंग उत्पादन की उन्नत तकनीकी
जायद में बोई जाने वाली दलहन की प्रमुख फसलों में मूंग और उड़द मुख्य फसलें होती हैं. फरवरी से उड़द की बोआई शुरू कर देनी चाहिए, क्योंकि इस : समय वातावरण में अनुकूल नमी रहती है, नहीं तो तापमान बढ़ने के बाद बोआई करने में सिंचाई की जरूरत पड़ती है.
आम की फसल सुरक्षा
आम भारत का राष्ट्रीय फल है और प्रमुख फसल भी. भारत में साल 2021-22 में 2,313 हजार हेक्टेयर में 22,353 हजार टन का उत्पादन हुआ. भारत में आम उगाने वाले क्षेत्रों में सर्वाधिक क्षेत्रफल उत्तर प्रदेश में है, किंतु सर्वाधिक उत्पादन आंध्र प्रदेश में होता है.
जायद में मोटे अनाजों में बाजरा की उन्नत खेती
भारत सरकार की कोशिशों के बाद वर्ष 2023 को दुनियाभर में मोटा अनाज वर्ष के रूप में मनाया जा रहा है. श्री अन्न में बाजरा, ज्वार, रागी, कुटकी, कोंदो, सांवा, चेना आदि को शामिल किया गया है.
फसल कटाई यंत्र रीपर
फसल कटाई के लिए आज अनेक तरह के छोटेबड़े कृषि यंत्र मौजूद हैं, लेकिन रीपर यंत्र सब से अधिक प्रचलन में है.
फसल अवशेषों का करे चूरा बनाए खाद मल्चर
रबी, खरीफ या हो जायद की फसल. फसल कटाई के बाद ज्यादातर फसल अवशेष खेतों में खड़े रह जाते हैं जिन का निबटान करना अगली फसल बोने से पहले करना जरूरी है, खासकर रबी के समय में गेहूं व खरीफ के समय धान फसल के अवशेष भारी मात्रा में खेतों में खड़े रह जाते हैं, जिन्हें बहुत से किसान आज भी खेतों में ही जला देते हैं, जो पर्यावरण के साथसाथ खेत की उपजाऊ मिट्टी को भी खराब करते हैं.
मल्टीक्रॉप थ्रेशर काम का खत्म प्रैशर
आज से 4-5 दशक पहले की बात करें, तो उन दिनों खेती के कामों में कृषि यंत्रों का इस्तेमाल बहुत ही सीमित था.
पपीते के प्रोडक्ट
पपीता पोषक तत्त्वों की दृष्टि से एक बहुत अच्छा फल है. इस में विटामिन ए बहुत अधिक मात्रा में होता है. साथ ही विटामिन बी व सी भी पाए जाते है.
अमरुद की बागबानी कम समय में अच्छा मुनाफा
अमरूद ऐसा फल है, जो देश के ज्यादातर हिस्सों में पाया जाता है. गुणों की वाले इस फल की तुलना सेब से की जाती है. अमरूद की बागबानी न केवल आसानी से हो जाती है, बल्कि इस के जरीए अच्छा मुनाफा भी कमाया जा सकता है.
अरहर की खेती
अरहर हमारे देश की महत्त्वपूर्ण दलहनी फसल हैं. अरहर में 20-22 फीसदी तक प्रोटीन पाया जाता है. अरहर की खेती आर्द्र एवं शुष्क दोनों प्रकार के जलवायु क्षेत्रों में आसानी से की जा सकती है. उचित जल निकास वाली हलकी या भारी सभी प्रकार की भूमि अरहर की खेती के लिए उपयुक्त है.
उत्तर प्रदेश में मसालो की खेती
अधिकतर सभी राज्य एक या 2 मसाले उगाते हैं. लेकिन मुख्य मसाला उत्पादक राज्य आंध्र प्रदेश, केरल, गुजरात, महाराष्ट्र, पश्चिम बंगाल, कर्नाटक, तमिलनाडु, ओड़िशा, मध्य प्रदेश और उत्तर प्रदेश हैं.
राइजोबियम कल्चर का दलहन उत्पादन में महत्व
मृदा में विभिन्न प्रकार के सूक्ष्म जीवों की असंख्य मात्रा पाई जाती है. इन में से कुछ सूक्ष्म जीव फसल उत्पादन में लाभप्रद तथा अन्य हानिकारक पाए गए हैं.
मार्च महीने में खेती से जुड़े जरुरी काम
मार्च महीने में रबी की तमाम खास फसलें पकने की राह पर होती हैं, गेहूं की बालियों में दूध तैयार होने लगता है और साथ ही दाने बनने शुरू हो जाते हैं. लिहाजा, फसल का खासतौर पर खयाल रखना चाहिए. गेहूं की बालियों में दूध बनने के दौरान पौधों को पानी की ज्यादा दरकार होती है, ऐसे में खेतों की सिंचाई का खास खयाल रखें.