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वन के दम पर हैं हम
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वन के दम पर हैं हम

भौतिक विकास के रथ पर सवार मानव स्वयं को भले ही सर्वशक्तिमान और सर्वसमर्थ समझ ले, किंतु उसका जीवन विभिन्न जीव-जंतुओं से लेकर मौसम और जल जैसे प्रकृति के आधारभूत तत्वों पर आश्रित है।

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6 mins  |
March 2025
दिखता नहीं, वह भी बह जाता है!
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दिखता नहीं, वह भी बह जाता है!

जब भी पानी की बर्बादी की बात होती है तो अक्सर लोग नल से बहते पानी, प्रदूषित होते जलस्रोत या भूजल के अंधाधुंध दोहन की ओर इशारा करते हैं।

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4 mins  |
March 2025
वन का हर घर मंदिर
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वन का हर घर मंदिर

जनजाति समाज घर की ड्योढ़ी को भी देवी स्वरूप मानता है। चौखट और डांडे में देवता देखता है। यहां तक कि घर के बाहर प्रांगण में लगी किवाडी पर भी देवता का वास माना जाता है।

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3 mins  |
March 2025
ताक-ताक की बात है
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ताक-ताक की बात है

पहले घरों में ताक होते थे जहां ज़रूरी वस्तुएं रखी जाती थीं। अब सपाट दीवारें हैं और हम ताक में रहने लगे हैं।

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2 mins  |
March 2025
किताबें पढ़ने वाली हीरोइन.
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किताबें पढ़ने वाली हीरोइन.

बॉलीवुड में उनका प्रवेश मानो फूलों की राह पर चलकर हुआ। उनकी शुरुआती दो फिल्मों- कहो ना प्यार है और ग़दर-ने इतिहास रच दिया। बाद में भी कई अच्छी फिल्मों से उनका नाम जुड़ा।

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10+ mins  |
March 2025
फ़ायदे के रस से भरे नींबू
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फ़ायदे के रस से भरे नींबू

रायबरेली के 'लेमन मैन' आनंद मिश्रा को कौन नहीं जानता! अच्छी आय की नौकरी को छोड़कर वे पैतृक गांव में लौटे और दो एकड़ कृषि भूमि पर नींबू की खेती करके राष्ट्रीय पहचान बनाई। प्रस्तुत है, उनकी कहानी, उन्हीं की जुबानी।

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3 mins  |
March 2025
जहां देखो वहां आसन
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जहां देखो वहां आसन

योगासन शरीर को तोड़ना-मरोड़ना नहीं है, बल्कि ये प्रकृति की सहज गतियां और स्थितियां हैं। आस-पास नज़रें दौड़ाकर देखने से पता लगेगा कि सभी आसन जीव-जंतुओं और वनस्पतियों से ही प्रेरित हैं, चाहे वो जंगल का राजा हो, फूलों पर मंडराने वाली तितली या ताड़ का पेड़।

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2 mins  |
March 2025
बांटने में ही आनंद है
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बांटने में ही आनंद है

दुनिया में लोग सामान्यत: लेने खड़े हैं, कुछ तो छीनने भी । दान तो देने का भाव है, वह कैसे आएगा! इसलिए दान के नाम पर सौदेबाज़ी होती है, फ़ायदा ढूंढा जाता है। इसके ठीक उलट, वास्तविक दान होता है स्वांतः सुखाय- जिसमें देने वाले की आत्मा प्रसन्न होती है।

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4 mins  |
March 2025
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बहानेबाज़ी भी एक कला है!

कई बार कितनी भी कोशिश कर लो, ऑफिस पहुंचने में देर हो ही जाती है, ऐसे में कुछ लोग मासूम-सी शक्ल बना लेते हैं तो कुछ लोग आत्मविश्वास के साथ कुछ बहाना पेश करते हैं। और बहाने भी ऐसे कि हंसी छूट जाए। बात इन्हीं बहानेबाज़ लोगों की हो रही है।

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3 mins  |
March 2025
बहानेबाज़ी भी एक कला है!
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बहानेबाज़ी भी एक कला है!

कई बार कितनी भी कोशिश कर लो, ऑफिस पहुंचने में देर हो ही जाती है, ऐसे में कुछ लोग मासूम-सी शक्ल बना लेते हैं तो कुछ लोग आत्मविश्वास के साथ कुछ बहाना पेश करते हैं। और बहाने भी ऐसे कि हंसी छूट जाए। बात इन्हीं बहानेबाज़ लोगों की हो रही है।

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3 mins  |
March 2025
सोच से शुरू होता है सब
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सोच से शुरू होता है सब

लेखक, शोधकर्ता और प्रेरक वक्ता डॉ, डिस्पेंना के लिए वह भीषण दुर्घटना मानो सौभाग्य लेकर आई थी। दुर्घटना ने उनके शरीर को तो बुरी तरह तोड़ दिया था, परंतु उसके बाद कथि एक विचार ने उन्हें संसार के महान रहस्य से परिचित कराया।

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5 mins  |
March 2025
सुगंध की संस्कृति
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सुगंध की संस्कृति

इत्र बनाने वाले कारीगर अपने अनुभव और परंपरा से इसमें गुलाब की नज़ाकत, चंदन की शांति और केवड़े की ताज़गी घोलते हैं, जिससे यह सिर्फ़ एक महक नहीं, एक एहसास बनकर उभरता है।

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4 mins  |
March 2025
भंग - भवानी और भोजन वीर...
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भंग - भवानी और भोजन वीर...

मथुरा के चौबों के भांग और भोजन के संबंध में कुछ कपोल-कल्पित कथाएं हो सकती हैं, किंतु कुछ ऐसे प्रामाणिक संस्मरण भी उपलब्ध हैं जिन्हें अतिशयोक्तिपूर्ण नहीं कहा जा सकता है।

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5 mins  |
March 2025
कुछ भी कचरा नहीं है!
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कुछ भी कचरा नहीं है!

घर की सफ़ाई कर कचरा फेंकने की तैयारी हो रही है तो ज़रा ठहर जाइए और थोड़ा विचार करिए, क्या इसे फेंकना ज़रूरी है या फिर ये किसी और काम आ सकता है। आपके नहीं तो किसी और के ही सही।

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4 mins  |
March 2025
लौट आओ प्यारी गौरैया
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लौट आओ प्यारी गौरैया

गौरैया रोज़ आती। घर आंगन में सुबह से चींचीं करती, फुदकती, दाना चुगती और ज़रा-सी आहट पर फुर्र हो जाती। फिर एक दिन वह नहीं लौटी। आख़िर क्यों दूर हो गई हमसे...?

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3 mins  |
March 2025
आलस्य आभूषण है
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आलस्य आभूषण है

जैसे फोन की सेटिंग में एनर्जी सेविंग मोड होता है, ऐसे ही आस-पास कुछ लोग भी अपनी ऊर्जा बचाकर रखते हैं। ऐसे लोगों को अमूमन आलसी क़रार कर दिया जाता है, मगर सच तो ये है कि समाज में ऐसे लोग ही सुविधाओं का आविष्कार करते हैं। आलस्य बुद्धिमानों का आभूषण है।

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6 mins  |
February 2025
अबूझ गह्वर जैसा कृष्ण विवर
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अबूझ गह्वर जैसा कृष्ण विवर

चांदनी रात में तारों को देखना कितना अलौकिक प्रतीत होता है ना, लेकिन क्या आपने कभी सोचा है कि ये तारे, ये आकाशगंगाएं और यह विशाल ब्रह्मांड किस गहरे रहस्य से बंधे हुए हैं? एक ऐसा रहस्य, जिसे हम देख नहीं सकते, लेकिन जो अपनी अदृश्य शक्ति से ब्रह्मांड की धड़कन को नियंत्रित करता है। यह रहस्य है- ब्लैक होल यानी कृष्ण विवर।

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5 mins  |
February 2025
खरे सोने-सा निवेश
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खरे सोने-सा निवेश

क्या आपने कभी सोचा है कि क्‍यों सोना सदियों से एक विश्वसनीय निवेश विकल्प बना हुआ है?

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7 mins  |
February 2025
छत्रपति की कूटनीति
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छत्रपति की कूटनीति

पन्हालगढ़ के क़िले में आषाढ़ का महीना आधा बीत चुका था। सिद्दी जौहर और मराठा सैनिकों के बीच घमासान युद्ध छिड़ा हुआ था। ऐसे में साम-दाम-दंड-भेद का प्रयोग करके भी बाहर निकलने का मार्ग नहीं सूझ रहा था। शिवाजी ने अपने सभी सलाहकारों को बुलाया और एक रणनीति रची, दुश्मनों को भेदकर निकल जाने की रणनीति ।

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9 mins  |
February 2025
एक अवसर है दुःख
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एक अवसर है दुःख

प्रकृति में कुछ भी अनुपयोगी नहीं है, फिर दु:ख कैसे हो सकता है जिसे महसूस करने के लिए शरीर में एक सुघड़ तंत्र है! अत: दु:ख से भागने के बजाय अगर इसके प्रति जागरूक रहा जाए तो भीतर कुछ अद्भुत भी घट सकता है!

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3 mins  |
February 2025
जोड़ता है जो जल
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जोड़ता है जो जल

सारे संसार के सनातनी कुंभ में एकत्रित होते हैं। जो जन्मना है वह भी, जो सनातन के सूत्रों में आस्था रखता है वह भी। दुनियादारी के जंजाल में फंसा गृहस्थ भी और कंदरा में रहने वाला संन्यासी भी।

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6 mins  |
February 2025
अदाकार की खाल पर खर्च नहीं
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अदाकार की खाल पर खर्च नहीं

डॉली को शिकायत है कि जो पोशाक अदाकार की खाल जैसी होती है, उसके किरदार को बिना एक शब्द कहे व्यक्त कर देती है, उसे समुचित महत्व नहीं दिया जाता।

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5 mins  |
February 2025
जब बीमारी पहेली बन जाए...
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जब बीमारी पहेली बन जाए...

कई बार सुनने में आता है कि फलां को ऐसा रोग हो गया जिसका इलाज ढूंढे नहीं मिल रहा। जाने कैसी बीमारी है, कई क्लीनिक के चक्कर लगा लिए मगर रोग पकड़ में ही नहीं आया।' ऐसे में संभव है कि ये रोग दुर्लभ रोग' की श्रेणी में आता हो। इस दुर्लभ रोग दिवस 28 फरवरी) पर एक दृष्टि डालते हैं इन रोगों से जुड़े संघर्षों पर।

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4 mins  |
February 2025
AMBITION ET संकल्प के बाद
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AMBITION ET संकल्प के बाद

नववर्ष पर छोटे-बड़े संकल्प लगभग सभी ने लिए होंगे।

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7 mins  |
February 2025
श्वास में शांति का वास
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श्वास में शांति का वास

आज जिससे भी पूछो वो कहेगा मुझे काम का, पढ़ाई का या पैसों का बहुत तनाव है। सही मायने में पूरी दुनिया ही तनाव से परेशान है। इस तनाव को रोका तो नहीं जा सकता मगर एक सहज उपाय है जिससे इस पर नियंत्रण पाया जा सकता है। -

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3 mins  |
February 2025
वस्त्र सज्जा में अभिनेत्री का हिस्सा
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वस्त्र सज्जा में अभिनेत्री का हिस्सा

डॉली अहलूवालिया को शुरुआती दौर में अभिनय के लिए काफ़ी तारीफ़ें मिलीं। बाद में वस्त्र सज्जा करते हुए भी उनका वह अभिनेत्री पक्ष मददगार साबित हुआ।

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5 mins  |
February 2025
पीत के रंग अनेक
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पीत के रंग अनेक

जब सूरज की किरणें धरती को छूती हैं, जब सरसों के फूल हवा में झूमते हैं तो प्रकृति में पीला रंग बिखर जाता है। अपने में प्रेरणा, उमंग और अनगिनत भावनाओं को समाए यह रंग भारत ही नहीं, हर देश, हर संस्कृति में अपनी एक अनोखी पहचान रखता है।

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6 mins  |
February 2025
फिर से पटरी पर
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फिर से पटरी पर

सभी दिन एक समान नहीं होते। कभी अनसोची बाधाएं आ जाती हैं, कभी ज़रूरी काम। कभी सेहत साथ नहीं देती।

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5 mins  |
February 2025
गली का खेल, यादों का मेल...
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गली का खेल, यादों का मेल...

याद है वो दिन जब पूरी दुनिया गली के उस छोटे-से कोने में सिमटी हुई थी? जब हाथ में न मोबाइल था, न सिर पर किसी काम का बोझ, बस एक इलास्टिक बैंड और दोस्तों की टोली। ना जाने क्यों ऐसा लगता था जैसे उस साधारण-से खेल में बचपन की सबसे बड़ी ख़ुशियां छुपी थीं। लौट जाते हैं उसी बचपन में और झोली में कुछ ख़ुशियां समेट लाते हैं।

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3 mins  |
February 2025
किरदार सज्जाकार
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किरदार सज्जाकार

वस्त्रों को अभिनेता की खाल समझने वाली डॉली अहलूवालिया अंतरराष्ट्रीय ख्याति प्राप्त वेशभूषा परिकल्पनाकार (कॉस्ट्यूम डिज़ाइनर) हैं।

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1 min  |
February 2025

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