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नींबू प्रजाति के फलों की खेती में कीट प्रबंध
नींबू प्रजाति के फलों की खेती में कीट प्रबंध
मधुमक्खी पालन मधुमक्खी वंशों की देखभाल
मधुमक्खी पालन किसानों के लिए प्रत्यक्ष और परोक्ष रूप से लाभदायक व्यवसाय है। कृषि विविधिकरण के अंतर्गत इस व्यवसाय की महत्वपूर्ण भूमिका रहती है।
आधुनिक कृषि में जैविक खेती का महत्व
जैविक खेती कृषि का वह तरीका है जिसमें रसायनिक उर्वरकों एवं कीटनाशकों के बिना या कम प्रयोग से फसलों का उत्पादन किया जाता है, जैविक खेती कहलाती है, इसका अहम उद्देश्य मिट्टी की उर्वरा शक्ति बनाए रखने के साथ-साथ फसलों का उत्पादन बढ़ाना है।
किसान बचाओ, देश बचाओ
कृषि का विषय संविधान की सातवीं शड्यूिल की 'स्टेट लिस्ट' में शामिल है। इसका अर्थ है कि कृषि संबंधी कानून बनाने का अधिकार राज्य सरकारों को है। इन अधिकारों के अधीन ही भिन्न-भिन्न राज्य सरकारों की ओर से कृषि उपज मंडीकरण कानून बनाये गये थे। परन्तु केन्द्र सरकार ने इन आर्डीनैंसों के विषय को कृषि की जगह 'व्यापार एवं वाणिज्य से संबंधित होने का आधार बनाकर आर्डीनेंस जारी कर दिये हैं।
अंजीर की आधुनिक वैज्ञानिक खेती
परिचय : अंजीर उपोष्ण क्षेत्रों में पाया जाने वाला महत्वपूर्ण फल है। कोहरे को सहन करने में इसकी विशेष क्षमता होती है।
खरीफ प्याज की पौध नर्सरी में तैयार करना
प्याज एक महत्वपूर्ण व्यापारिक सब्जी है। इसका उत्पत्ति स्थान भारत और अफगानिस्तान माना जाता है। यह शल्ककंदीय सब्जी है, जिसके कंद सब्जी के रूप में उपयोग किए जाते हैं। कंद तीखा होता है।
किसानों की बेहतरी के लिए एकीकृत कृषि आवश्यक
अगर देश में खेती को छोटे और सीमांत भूस्वामियों के लिए आकर्षक बनाना है तो इस क्षेत्र में आमूलचूल बदलाव लाने होंगे। ध्यान रहे कि देश के कुल कृषकों में 85 प्रतिशत इसी श्रेणी में आते हैं।
चुकंदर की बेहतर तरीके से खेती
चुकंदर की बुवाई के लिए सितम्बर के अंतिम सप्ताह से अक्टूबर के मध्य तक का समय उपयुक्त रहता है। देरी से बुवाई करने पर पैदावार व शर्करा की मात्रा में कमी आती है।
मिश्रित खेती का उत्तम विकल्प मत्स्य पालन
आज भारत मत्स्य उत्पादक देश के रूप में उभर रहा है। एक समय था, जब मछलियों को तालाब, नदी या सागर के भरोसे रखा जाता था, परन्तु बदलते वैज्ञानिक परिवेश में इसके लिए कृत्रिम जलाशय बनाए जा रहे हैं, जहां वे सारी सुविधाएं उपलब्ध होती हैं, जो प्राकृतिक रूप में नदी, तालाब और सागर में होती हैं।
सीलबंद बीज की गुणवत्ता के लिए बीज विक्रेता नहीं बीज उत्पादक उत्तरदायी
बीज कृषि का उत्तम आदान है। अत: उसकी गुणवत्ता विशिष्ठ होनी चाहिए। बीज नियामकों में बीज की गुणवत्ता का उत्तरदायित्व निश्चित किया हुआ है जिसमें मुख्यतः बीज उत्पादक एवं बीज विक्रेता है।
हरे चारे के लिए जई की खेती
पशुओं के लिए पर्याप्त गुणवत्ता युक्त हरा चारा उपलब्ध न होने की वजह से उनकी उत्पादकता पर विपरीत प्रभाव पड़ रहा है।
मिलावटी खाद्य पदार्थ ये मानव स्वास्थ्य को पहुंचाते हैं हानि
अधिकतर अनाज, दालों, मसालों, चाय, कॉफी, चीनी आदि में इनकी मात्रा बढ़ाने हेतु रेत, मिट्टी, कंकड़, पत्थर, तिनके आदि मिलाए जाते हैं। सस्ती व सर्वसुलभता के कारण खेसारी की दाल अरहर व चना की दाल, पिसे हुए बेसन तथा उसके व्यंजनों में मिलाई जाती है।
प्याज व लहसुन में परिपक्वता का करें सही चुनाव
किसान भाई कभी भी लहसुन व प्याज की खुदाई अपरिपक्व अवस्था में न करें अन्यथा कंदों की गुणवत्ता व भंडारण क्षमता कम हो जाती है, जिससे किसानों की आय पर विपरीत प्रभाव आ सकता है। पत्तियों पर पीलापन व सुखना शुरू होने पर सिंचाई बंद कर दें। इसके कुछ दिन बाद लहसुन की खुदाई शुरू करें।
उचित फसल चक्र अपनाएं, मृदा की उर्वरा शक्ति बढ़ाएं
फलीदार फसलों को फसल चक्र में सम्मिलित करने से भूमि की उर्वरा शक्ति नष्ट नहीं होती क्योंकि दलहनी फसलों का प्रयोग करने से नाइट्रोजन का जैविक स्थिरीकण होता है जिससे मृदा नाइट्रोजन के मामले में आत्मनिर्भर बनती है।
डेयरी पशुओं का चुनाव
पशुपालकों का एक सवाल होता है कि वह डेयरी फार्म के लिए गाय रखें या भैंस ताकि वह साल भर दूध उत्पादन कर सकें तथा दूध की गुणवत्ता भी बनी रहे व उसे दूध का अच्छा मूल्य भी मिल सके। इसके लिए जरूरी है कि हम दोनों प्रकार के पशुओं के गुणों को जानें।
कृषि उत्पादों के निर्यात में भारी वृद्धि
गेहूं उत्पादन में भारत दुनिया का दूसरा सबसे बड़ा उत्पादक बन चुका है। लेकिन निर्यात में 34वें स्थान पर है। इसी तरह सब्जियों के उत्पादन में भारत दुनिया का तीसरा सबसे बड़ा देश जरूर है, लेकिन निर्यात के मामले में 14वें स्थान पर है।
चना की वैज्ञानिक खेती
चने की फसल में बीज शोधन हेतु दो ग्राम थीरम के साथ 1 ग्राम कार्बेन्डाजिम का मिश्रण प्रति कि.ग्रा.बीज की दर से प्रयोग करते हैं। इसके पश्चात बीज को चने के विशिष्ट राइजोबियम कल्चर से उपचारित करना चाहिए।
फसलों में सूक्ष्म पोषक तत्वों की कमी के लक्षण और निदान
अन्य पोषक तत्वों की भांति सूक्ष्म पोषक तत्व फसल एवं उससे प्राप्त होने वाली उपज पर प्रभाव डालते हैं।
बकरी पालन में उत्तम प्रणाली द्वारा अधिक लाभ के अवसर
समस्त पशुधन प्रजातियों में बकरी एक महत्वपूर्ण बहुउपयोगिता वाला पशु जिसका पालन दूध एवं मांस के दोहरे उद्देश्य की पूर्ति के लिए किया जाता है।
जौ की खेती का आर्थिक एवं सामाजिक महत्व
अगर किसान भाईयों को कम लागत से अधिक आर्थिक लाभ लेना हो तो उनको ऐसा फसल चक्र अपनाना चाहिए जिससे एक साल में तीन फसलें उगा सकें धान के बाद जौ की फसल लें और जौ के बाद मूंग की फसल लेना सबसे उपयुक्त होगा। या फिर कोई और फसल चक्र अपनाएं जिससे जौ के साथ एक वर्ष में तीन फसलें मिल सकें। ऐसा करने से किसान को लाभ तो होगा ही, साथ ही साथ भूमि की दशा में भी सुधार होगा। जौ में सिंचाई की भी कम आवश्यकता होती है जिससे पानी की बचत होगी और इस पानी का प्रयोग जायद में मूंग की फसल लेने में कर सकते हैं।
मनरेगा की कृषि एवं ग्रामीण विकास में भूमिका
महात्मा गांधी के स्वप्न के अनुसार देश का विकास तभी संभव है जब देश के प्रत्येक मनुष्य तक रोजगार की पहुंच होगी। वर्ल्ड बैंक के अनुसार मनरेगा विश्व में पहली ऐसी स्कीम है जो गरीबी के उत्थान में सहायक है।
पहली शहद परीक्षण प्रयोगशाला का उद्घाटन
केन्द्रीय कृषि मंत्री नरेन्द्र सिंह तोमर ने गुजरात के आणंद जिले में राष्ट्रीय डेयरी विकास बोर्ड (एनडीडीबी) के परिसर में सरकार की पहली शहद परीक्षण प्रयोगशाला का उद्घाटन करते हुए कहा कि इससे घरेलू और वैश्विक बाजारों में गुणवत्तापूर्ण उत्पाद सुनिश्चित होंगे और किसानों को भी अपने उत्पाद के लिए बेहतर मूल्य मिल सकेंगे।
इन-सीटू पुआल प्रबंधन के लिए आवश्यक मशीनें
"भारत सरकार की ओर से फसलों के अवशेष के रखरखाव के लिए हरियाणा, पंजाब, यू.पी. एवं राजस्थान के किसानों को राज्य सरकारों द्वारा इन-सीटू प्रबंधन के लिए विशेष सब्सिडी पैकेज दिया जा रहा है ताकि किसान इनसीटू पुआल प्रबंधन के लिए आवश्यक मशीनरी खरीद सकें।"
अमरूद के विभिन्न रोग व कीट
अमरूद भारतवर्ष में एक लोकप्रिय फल है। अमरूद विटामिन सी, लाइकोपिन और एंटीऑक्सीडेंट्स से भरपूर होता है। इसमें केले के बराबर मात्रा में पोटाशियम होता है, जो ब्लड प्रेशर को नॉर्मल रखने में मदद करता है।
किसान की आय कैसे बढ़े ?
किसान उत्पादक है और खेत तैयार कर बीज बोने से लेकर, अंतिम उत्पाद तैयार होने तक की सभी गतिविधियों की व्यवस्था करता है। कंपनी कार्यशैली की दृष्टि से देखो तो उसका कार्य मैनेजर-प्रबंधक जैसा है। वह सर्वप्रथम स्थायी पूंजी (फिक्स्ड कैपिटल) यानी कि जमीन का फसल उत्पादन हेतु निवेश करता है।
देश में चली पहली किसान ट्रेन
भारतीय रेलवे और कृषि मंत्रालय के संयुक्त प्रयास के बाद स्पेशल किसान ट्रेन की शुरूआत की जा रही है। यह स्पेशल पार्सल ट्रेन की तरह होगी। इसमें किसान और व्यापारी इच्छा के अनुरूप माल की लदान कर सकेंगे।
भारत टॉप-5 एग्री गुड्स एक्सपोर्टर्स में शामिल हो सकता है
कृषि निर्यात की दिशा में हमने प्रगति तो की है लेकिन जो भी प्रगति हुई है, वह हमारी क्षमता के मुकाबले बहुत कम है
मृदा जैविक कार्बन क्या है ? मृदा में जैविक कार्बन ह्रास एक प्रमुख समस्या
मृदा में उपस्थित कार्बनिक पदार्थों में वांछित कार्बन को मृदा जैविक कार्बन कहते हैं। मृदा में मिलाये गये अथवा उपस्थित वानस्पतिक व जंतु अवशेष, सूक्ष्म जीव, कीड़े, मकोड़े, अन्य जंतुओं के मृत शरीर, मृदा में मिलाये जाने वाले खाद (जैसे गोबर की खाद, वर्मी कम्पोस्ट हरी खाद, राख पशुओं की बिछावन आदि मृदा कार्बनिक पदार्थ कहलाते हैं।
स्वास्थ्य के लिए फायदेमंद है बकरी का दूध
बकरियां, पशुधन उद्योग का महत्वपूर्ण घटक हैं। कठोर मौसम की अनुकूलनशीलता उन्हें भूमिरहित और सीमांत किसानों की आजीविका के लिए उपयुक्त साधन बनाती है। दूध और दूध उत्पादों की आपूर्ति तथा ग्रामीण अर्थव्यवस्था और स्वास्थ्य में बकरियों का योगदान एवं भूमिका महत्त्वपूर्ण है।
खरीफ फसलों की देखभाल
खरीफ फसलों में अगस्त का महीना फसल की अंतिम उत्पादकता का दर्पण होता है। यह महीना फसलों की निराई-गुड़ाई, खड़ी फसल में यूरिया खाद देना, पोषक तत्वों की कमी की पहचान तथा उसकी रोकथाम आदि के लिए अत्यंत महत्त्वपूर्ण है।