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रफ्तार का इंतजार
बस स्टॉप पर जमा भीड़ मुंबई और इसके उपनगरों में दिन-ब-दिन बढ़ती जा रही है. भरी बसें आजा रही हैं और बहुत कम लोग ही इसमें चढ़ पाते हैं. लोगों में हताशा बढ़ती जा रही है, लेकिन मुसाफिरों के पास विकल्प कम ही हैं.
नई शुरुआत की वेला
अमेरिका में जो बाइडन-कमला हैरिस प्रशासन के आखिर भारत और पूरी दुनिया के लिए क्या हैं मायने
मेहनत से संतुष्ट कमलनाथ
मध्य प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री और पूर्व केंद्रीय मंत्री कमलनाथ (73 वर्ष) 3 नवंबर को उपचुनावों से पहले दिनचर्या के तहत अपने हेलिकॉप्टर में सवार होकर हर रोज 2-3 निर्वाचन क्षेत्रों में जनसभा को संबोधित करने निकल जाते थे.
दिवाली पर लगा दांव
नवरात्र से शुरू हुए त्योहारों के मौसम में बिक्री उछली तो जरूर लेकिन उम्मीद के मुताबिक नहीं, इसलिए कारोबार अभी आस लगाए बैठा
ठीक नहीं इतनी नजदीकी!
नवंबर की पहली तारीख को जब केरल ने महीनों बाद अपने समुद्र तटों को आम लोगों के लिए खोला, तब राज्य में 89,675 सक्रिय कोविड केस थे और यह संख्या महाराष्ट्र के बाद देश में सर्वाधिक थी.
अड़ंगों की अमरबेल
धन की व्यवस्था के लिए केंद्र सरकार की ऐसी छटपटाहट पहले कभी नहीं दिखी थी. अर्थव्यवस्था को पुनर्जीवित करने के लिए राजकोषीय प्रोत्साहन का कोलाहल लगातार बढ़ रहा है और सरकार को कोविड-19 महामारी के प्रबंधन पर हो रहे खर्च से इतर लेकिन अपरिहार्य व्ययों के लिए संसाधन भी तलाश करने होंगे.
चुनावी इलाज!
अक्सर वादे मुफ्त होते हैं, खासकर चुनावी अभियानों के, जिनमें जनता की जेब पर कोई भार न डालने से जुड़ा ऐलान हो. निर्मला सीतारमण की ओर से 22 अक्तूबर को बिहार के सभी नागरिकों के लिए कोविड का टीका निःशुल्क देने का वादा एक ऐसी ही घोषणा थी. मुफ्त टीका का जुमला भाजपा के घोषणापत्र में भी शामिल है और किसी भी सूरत में इसका भार केंद्र के खजाने पर नहीं पड़ेगा. स्वास्थ्य राज्य का विषय है और केंद्र उसके खर्च का एक हिस्सा मात्र वहन करता है.
कविता की तरक्की
कठिन का अखाड़ेबाज भिन्न-भिन्न समयों पर साहित्य-संस्कृतियों के विषयों पर लिखी गई व्योमेश शुक्ल की टिप्पणियों का संग्रह है. इनमें यूं तो बिस्मिल्ला खां, किशन महाराज से लेकर बनारस की रामलीला तक कई तरह के विषय शामिल हैं, पर पुस्तक का ज्यादातर हिस्सा समकालीन आधुनिक कविता पर एकाग्र है, जिनमें निराला, शमशेर से लेकर कुंवर नारायण, अशोक वाजपेयी, असद जैदी तक शामिल हैं.
त्योहारों में महंगाई बम
सत्तर रुपए किलो प्याज और 52 रुपए किलो आलू खरीदकर लौट रहे गाजियाबाद निवासी अजय कुमार इसी गुणा गणित में लगे हैं कि त्योहारों के बीचोबीच फल, सब्जियों की महंगाई कहीं बजट न बिगाड़ दे.
कृषि क्रांति
मोदी सरकार की ओर से कृषि सुधार के लिए लाए गए उपायों को आखिर किस तरह से कारगर बनाया जाए
ऐन वक्त पर क्यों बदली रणनीति
महत्वपूर्ण विधानसभा उपचुनाव से कुछ दिन पहले भाजपा ने अपने अभियान की रणनीति बदल दी है. सत्तारूढ़ पार्टी के रूप में उसके पास बढ़त है लेकिन क्या टीम शिवराज-सिंधिया ने हर मोर्चे को चाक-चौबंद कर लिया है?
दूसरी लहर का डर?
सर्दी की दस्तक और कोविड नियमों को लागू करने में कोताही के फलस्वरूप कोविड की दूसरी लहर शुरू हो सकती है. भारत को समय रहते सतर्क हो जाना चाहिए
सत्ता-विरोधी लहर पर सवार!
एनडीए को टक्कर देने के लिए तेजस्वी के सामने राजद के पारंपरिक मुस्लिम-यादव समीकरण से बाहर निकलने की चुनौती
सबको नंगा करती एक चादर
सर्दियां हर साल अपने साथ कई जाने-पहचाने त्योहार और उत्सव लेकर आती है. पूरे भारत में यह त्योहारों के मौसम की शुरुआत होता है.
एड-टेक का जमाना
जब कोविड-19 की वजह से देशभर में लॉकडाउन लगा तो यह कहर की तरह टूटा और अर्थव्यवस्था के हर क्षेत्र में पर इसका असर हुआ. नतीजतन, मौजूदा वित्त वर्ष की पहली तिमाही में भारत की जीडीपी वृद्धि दर में 23.9 फीसद की सिकुड़न देखने को मिली.
कैसे मंडराए ड्रोन के झुंड
हथियारबंद ड्रोन के मामले में पीछे सशस्त्र बलों ने आयात के जरिए इसकी भरपाई के लिए तेज कदम बढ़ाया, मगर कठिन सवाल यही है कि इस बेहद जरूरी प्लेटफॉर्म के स्वदेशी निर्माण का इंतजाम करना अनिवार्य
जीत की जोड़ी
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के करिश्मे की ताकत के साथ सत्ता विरोधी लहर से निबटकर नीतीश कुमार मुख्यमंत्री के रूप में एक और मौका पा सकते हैं. लोकनीति-सीएसडीएस का जनमत सर्वेक्षण तो यही कहता है
जगन बनाम जज
जगन रेड्डी ने शीर्ष न्यायपालिका पर पक्षपाती और भ्रष्टाचारी होने का आरोप लगाते हुए उसके खिलाफ सीधा मोर्चा खोल दिया
दूसरी लहर के लिए तैयारी
इधर जाकर कुछ दिनों से स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय के अफसर थोड़ी राहत की सांस ले रहे हैं. महीनों तक अस्पतालों में बिस्तरों की कमी, कोविड के दुरूह लक्षणों और एक अरब से ज्यादा आबादी वाले देश में इस बीमारी के संपर्क में आने वाले लोगों का पता लगाने की कठिनाइयों से जूझने के बाद आखिरकार कोविड के मामलों में गिरावट आनी शुरू हो गई है.
उनके पास ताकत है
महामारी में यह संभावना होती है कि वह राजनैतिक सत्ता को सर्वव्यापी बना दे या एक नई व्यवस्था की ओर बढ़ने का संकेत दे दे. पर मजे की बात है कि कोविङ-19 ने सत्तारूढ़ भाजपा और विपक्ष दोनों की सियासी पूंजी में इजाफा किया है.
2020:चुनौती देने का दम
विपरीत परिस्थितियों में जो विजेता बनकर उभरे वही होता है नायक. एक तो अर्थव्यवस्था पहले से ही कछुए की चाल चल रही थी कि कोविड और देशव्यापी लॉकडाउन उसके रास्ते में नए रोड़े अटकाने आ गए. सारा काम-धंधा बैठ गया और लाखों लोग बेरोजगार हो गए.
दिग्गज प्रशासक
चीन से गतिरोध जब चरम पर था, उसी वक्त प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मिले एक आगंतुक का कहना था कि वे मोदी को इस कदर शांतचित्त देखकर स्तब्ध थे.
ये दुनिया हमारी
हम विदेशों में बसे भारतीयों की कामयाबियों को अपना मानकर गर्व करते आए हैं, पर इस साल जब कोरोना वायरस ने सरहदों को बेमानी बना दिया, ये प्रवासी भारतीय ही थे जिन्होंने हमें खुशियां मनाने की सबसे ज्यादा वजहें दी.
राज्यों के रसूखदार
रसूख के मुख्यतः पांच स्रोत हैं: राजनीति और सरकार, कारोबार, मनोरंजन, धर्म और मीडिया.खेलकूद और सिनेमा-टीवी को मनोरंजन के दायरे में रख सकते हैं. लेकिन लोकतंत्र में सबसे ज्यादा रसूखदार व्यक्ति सत्ताधारी राजनेता होते हैं, जिनके पास विभिन्न नीतियों और योजनाओं के जरिए लोगों के जीवन में बदलाव लाने और उन्हें प्रभावित करने की अकूत शक्ति होती है.
आंख में खटकने का खामियाजा
भारत में दलित स्त्रियां जातिगत और लैंगिक हिंसा खास तौर पर बलात्कार की गहरी चपेट में. आखिर किस वजह से वे हर बार इतनी कमजोर साबित होती हैं
अपने ही साये डराने लगे
महामारी से पहले ही बेहाल फिल्म उद्योग अब ड्रग का इस्तेमाल और भाई-भतीजावाद जैसे आरोपों की गहरी मार के चलते अपनी ही खोल में दुबक जाने को मजबूर
इलाज की मरीचिका
शुरुआती उम्मीदों के बावजूद विशेषज्ञों का कहना है कि कोविड के गारंटीशुदा इलाज की अपनी खोज हमें धीमी करने की जरूरत
चीन से मिली समुद्री चुनौती
दुनिया की सबसे बड़ी नौसेना हिंद महासागर क्षेत्र में अपनी मौजूदगी आक्रामक ढंग से बढ़ा रही है. चीनी पीएलए-एन का मुकाबला करने के लिए भारत की योजना का अंदरूनी खाका
घाटे की फसल
मौके पर सरकारी खरीद के इंतजाम नाकाफी, किसान औने-पौने बेच रहे फसल.पर सरकार सुधार के उपायों पर कायम
कोविड योद्धाओं को सलाम
कोविङ-19 महामारी के खिलाफ देश की लड़ाई में आगे बढ़कर भूमिका निभाने वाले योद्धाओं का सम्मान