Jyotish Sagar - April 2023Add to Favorites

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In this issue

Jyotish Sagar’s April, 2023 issue has been published now. This is a special issue on “The zodiac change of Jupiter”. List of some published articles is given here :
* Jyotish Sagar's 'New Venture' gotoastro.com
* When and how effective is Guru Chandal Yoga?
* Jupiter-Ketu relationship leads to maximum development in the horoscope
* Explanation of Guru-Chandal Yoga
* Each house of horoscope speaks something
* Jupiter enters Aries on April 22, 2023
* How will the Jupiter of Aries be for the people of Aries?
* How will the Jupiter of Aries be for the people of Taurus?
* How will be the Jupiter of Aries for Gemini people?
* How will the Jupiter of Aries be for Cancerians?
* How will be the Jupiter of Aries for the people of Leo zodiac sign?
* How will the Jupiter of Aries be for the people of Virgo?
* How will be the Jupiter of Aries for Libra people?
* How will the Jupiter of Aries be for Scorpio people?
* How will be the Jupiter of Aries for Sagittarius people?
* How will be the Jupiter of Aries for Capricorns?
* How will the Jupiter of Aries be for the people of Aquarius?
* How will the Jupiter of Aries be for Pisces?
* Guru gives fame and prosperity
* Know the architecture of the building from the horoscope

कब और कितना प्रभावी है गुरुचाण्डाल योग?

जीवे सकेतौ यदि वा सराहौ चाण्डालता पापनिरीक्षिते चेत् ।

कब और कितना प्रभावी है गुरुचाण्डाल योग?

7 mins

कुण्डली में गुरु-केतु के सम्बन्ध से होता है सर्वाधिक विकास

नवग्रहों के परिवार में केतु नौवाँ ग्रह है। यह यद्यपि राहु की तरह छाया ग्रह है, लेकिन इसके स्वतंत्र परिणाम भी अनुभव में आते हैं।

कुण्डली में गुरु-केतु के सम्बन्ध से होता है सर्वाधिक विकास

5 mins

गुरु-चाण्डाल योग की व्याख्या

गुरु-चाण्डाल योग में विच्छेदात्मक पापग्रह राहु गुरु के नैसर्गिक कारकत्व और शुभ फलों को नष्ट-भ्रष्ट कर देता है।

गुरु-चाण्डाल योग की व्याख्या

5 mins

कुण्डली का प्रत्येक भाव कुछ बोलता है

यह स्थान व्यापार और कर्म से जो लाभ होता है, उससे सम्बन्धित है। ठेकेदारी, बड़ा भाई, आभूषण, दामाद, बहू, लाभ, चोट, पिण्डली आदि का विचार किया जाता है।

कुण्डली का प्रत्येक भाव कुछ बोलता है

3 mins

छत्रपति शिवाजी सूर्य, शनि और गुरु ने बनाया मराठा सरताज

लग्नेश की लग्न पर दृष्टि तथा गुरु की भी लग्न पर दृष्टि होने से शिवाजी इतने बलिष्ठ तथा पराक्रमी देह वाले और प्रसिद्ध थे। षष्ठेश एवं सप्तमेश शनि के तृतीय भाव में उच्च का होने के कारण शिवाजी ने सभी शत्रुओं का दमन किया। तृतीयेश शुक्र की अपने भाव पर दृष्टि से वे महान् पराक्रमी हुए।

छत्रपति शिवाजी सूर्य, शनि और गुरु ने बनाया मराठा सरताज

4 mins

भगवान् विष्णु के आवेशावतार भगवान् परशुराम

सप्तम भाव में सूर्य भी उच्च राशिगत होकर स्थित है। इस प्रकार चारों ही केन्द्र भाव में उच्चस्थ ग्रह हैं। इस ग्रह स्थिति के फलस्वरूप परशुराम जी की जन्मपत्रिका में कमल नामक श्रेष्ठ योग निर्मित हो रहा है। इन ग्रहों की श्रेष्ठ परिस्थिति के कारण ही परशुराम जी इतने पराक्रमी एवं बलशाली हुए। इन्हीं ग्रह स्थितियों के फलस्वरूप उन्होंने 21 बार पृथ्वी को क्षत्रिय विहीन कर दिया था।

भगवान् विष्णु के आवेशावतार भगवान् परशुराम

3 mins

पुण्यपर्व अक्षया तृतीया शास्त्रीय और लौकिक महत्त्व

हमारे देश के पर्वों और उत्सवों में से कुछ तो ऋतु पर्व हैं, जिनमें नई फसल पकने का आमोदप्रमोद और ऋतु परिवर्तन का उल्लास रचा-बसा होता है।

पुण्यपर्व अक्षया तृतीया शास्त्रीय और लौकिक महत्त्व

7 mins

शंकर के अंशावतार आदि गुरु शंकराचार्य

आद्यगुरु श्री शंकराचार्य जयन्ती (25 अप्रैल, 2023) पर विशेष

शंकर के अंशावतार आदि गुरु शंकराचार्य

6 mins

शुक्र और शनि के फल

कैसे करें सटीक फलादेश (भाग-189) कुम्भ लग्न के अष्टम भाव में स्थित

शुक्र और शनि के फल

9 mins

अन्य ग्रहों पर जीवन की सम्भावना!

आकाशगंगा

अन्य ग्रहों पर जीवन की सम्भावना!

5 mins

श्रीगुरुगीता (भाग-18)

सद्गुरु के निवास से न केवल वह आश्रम या पीठ ही शुद्ध या पवित्र होती है, वरन् वह सम्पूर्ण प्रदेश भी पवित्र और ऊर्जावान् बन जाता है।

श्रीगुरुगीता (भाग-18)

4 mins

और उस योगी ने मृत चिड़िया को जीवित कर दिया....

मन और मस्तिष्क की शक्ति अपरम्पार है। मन की गति अति तीव्र होती है; प्रकाश की गति से भी तीव्र।

और उस योगी ने मृत चिड़िया को जीवित कर दिया....

4 mins

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Jyotish Sagar Magazine Description:

PublisherJyotish Sagar Private Limited

CategoryReligious & Spiritual

LanguageHindi

FrequencyMonthly

Jyotish Sagar is the most popular astrological monthly magazine in Hindi language. It is being published from March, 1997. This magazine covers most of branches of astrology like as : Classical Hindu Astrology, Modern Astrology, Krishnamurthi or KP Astrology, Jaimini Astrology, Career Astrology, Marriage Astrology, Medical Astrology, Remedial Astrology, Lal Kitab, Tajik or Annual Horoscopy, Palmistry, Numerology, Body Reading and Samudrik Shastra, Mundane Astrology, Electional or Muhurta Astrology, Vedic Astrology, Astrological Mathematics and Siddhant Jyotish or Hindu Astronomy etc. Detailed Panchanga (calendar), Monthly Ephemeris and Various type of Muhurta are also published in every issue. Monthly Horoscope (Rashiphal) and Tansitary Forecast are also attractive feature of Jyotish Sagar. Many permanent collums like as festival planner of the month, Ramcharitmans, Upanishad, Gita, Ravan Samhita, Puran Purush, Kabir Vaani, Chanakyodesh etc are other attractions of this magazine. Some articles are also published on Vastu, Tantra, Mantra and Yantra. Every year two Special issues on Deepavali are also published. More than four special issues are published per year.

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