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नरेंद्र मोदी : सत्य को मरोड़ने के प्रयोग
पंजाब में सुरक्षा मसले पर घटी घटना को किसी बड़े षड्यंत्र की शक्ल दी जा रही है. लोगों को बताया जा रहा है कि प्रधानमंत्री की जान खतरे में थी. सवाल यह है कि क्या सच में प्रधानमंत्री की जान का खतरा था या यह महज राजनीतिक स्टंट था? अतीत में प्रधानमंत्री मोदी की कथनी और करनी बहुतकुछ बताती है.
विधानसभा चनाव 2022 भगवा एजेंडे की परीक्षा
देश का भगवा गैंग चाहता है कि सरकार चलाने के लिए कुरसी पर चाहे जो बैठा हो पर सरकार ऋषिमुनियों के इशारे पर चले. इसलिए 5 राज्यों के चुनावों में उस की राजनीतिक इकाई भाजपा की जीत, खासकर योगी आदित्यनाथ की जीत, उस के सपनों की जीत साबित होगी.
जमीनी हकीकत के करीब होते हैं निकाय चुनाव
निकाय चुनावों में जनता सीधे अपने क्षेत्र के नेताओं से जुड़ कर वोट करती है, जिस में सड़क, पानी, नाली व निकासी जैसे बुनियादी मुद्दे अहम होते हैं. इन चुनावों में अधिकतर जगह भाजपा की हार बता रही है कि लच्छेदार हवाहवाई बातों के इतर बुनियादी मुद्दों में भाजपा विफल हुई है.
तलाक की कानूनी त्रासदी
शादी के बाद पतिपत्नी के बीच यदि सब ठीक नहीं चल रहा, कोई विवाद खड़ा हो गया तो उन के आगे तलाक का विकल्प होता है, पर तलाक लेने गए दंपती को एड़ीचोटी घिसनी पड़ जाती है. इस दौरान उन्हें घुटघुट कर जीना पड़ता है. सवाल यह है कि जब तुरंत शादी की व्यवस्था है तो तुरंत तलाक की क्यों नहीं?
बढ़ता प्रदूषण बेऔलाद न कर दे
भारत के कुछ शहर दुनिया में प्रदूषण की रैंकिंग में टौप पर हैं. इस समस्या को गंभीरता से विचारने की सख्त जरूरत है, क्योंकि प्रदूषण न सिर्फ स्वास्थ्य संबंधी बीमारियों को जन्म दे रहा है बल्कि याद्दाश्त और प्रजनन शक्ति को भी घटा रहा है.
उत्तर प्रदेश की चुनावी जंग भाजपा बैकफुट पर
समाजवादी पार्टी सुप्रीमो अखिलेश यादव ने जिस तरह रणनीति बनाई है और सत्ताधारी भाजपा की हर चाल की वे काट कर रहे हैं, उस से लग रहा है कि उत्तर प्रदेश में यह विधानसभा चुनाव भगवाई पार्टी के लिए 'वाटरलू' साबित होने जा रहा है.
किसानों पर मुकदमे कब होंगे वापस
मौजूदा सरकार देशद्रोह, यूएपीए, 144, एपिडेमिक एक्ट जैसे कानूनों का इस्तेमाल अपने खिलाफ उठ रही आवाजों को दबाने के लिए कर रही है, जबकि, प्रजातंत्र में जनता सरकार को चुनती है और उसे सरकार की आलोचना करने का हक भी होता है.
वामिका गब्बी
वर्ष 2007 में आई 'जब वी मैट' फिल्म से ले कर हाल ही में रिलीज हुई '83' फिल्म तक, वामिका गब्बी हिंदी फिल्म इंडस्ट्री में अपनी पहचान बनाने में कामयाब रही हैं. आज उन के पास कई बड़े फिल्मी प्रोजैक्ट्स हैं. यह सब उन के कुछ अलग करने जनून का के नतीजा है.
पिता की भूमिका मां से कम नहीं
समाज बदल रहा है, महिलाएं बाहर निकल पुरुषों से कंधे से कंधा मिला रही हैं. ऐसे में पुरुषों को महज वीर्यदान और संसाधन जुटानेभर तक सीमित रखना ठीक नहीं है, उन्हें पितृत्व का एहसास कराया जाना भी जरूरी है.
कोरोनाकाल पुरुष मांज रहे बरतन
कोरोना महामारी ने भले ही चीजें अस्तव्यस्त की हों, पर इस से उभरे अच्छे बदलावों में एक यह है कि अब पुरुष भी घरों में काम करने लगे हैं, जिन में में बरतन साफ करना सब से ज्यादा सहजता से स्वीकारा जा रहा है. बरतन मांजना एक कला है, इसलिए जरूरी है कि पुरुष इस की अहमियत को समझें और जानें कि इस में लगने वाले श्रम और समय की भी एक कीमत है.
कोरा कागज
राजन अपने पड़ोस में रहने आई देविका को दिल दे बैठा था पर इस बात से बेखबर देविका तो किसी और के खयालों में डूबी हुई थी. आखिर कौन था वह शख्स जिस के लिए उस ने प्यारभरा खत तक लिखा, जो राजन के हाथ लग गया. फिर उस के बाद अचानक सब बदल गया...
अपना घर
आलोक का खून खौल उठा, सोच लिया उस ने जो हो, पर आज वह मालती को नहीं छोड़ेगा, फैसला हो कर रहेगा, चाहती क्या हैं वह? लेकिन वाणी ने उसे यह कह कर रोक दिया कि यह सब करने का कोई फायदा नहीं है. लेकिन, उसे अब वह करना होगा जो वह चाहती है...
संवाद
पतिपत्नी का रिश्ता क्या महज बिस्तर भर का है? नरेन के पास हर चीज के लिए समय था, बस, मानसी के लिए नहीं. मानसी शादीशुदा जिंदगी के इतने सालों में नरेन से एक संवाद ही तो चाहती थी, जो उन दोनों के बीच वर्षों से गायब था, पर घर में अरनोल्ड के आने से नरेन की नजरें मानसी का पीछा क्यों करने लगीं?
विवाद हिंदू व हिंदुत्ववादी का
कांग्रेस सांसद राहुल गांधी एक दिलचस्प बहस छेड़ने में कामयाब रहे हैं. उन के सवाल का जवाब कोई नहीं दे पा रहा. हिंदू और हिंदुत्ववादियों के बीच एक लाइन खींच कर उन्होंने यह जता दिया है कि राज भले ही हिंदुत्ववादियों का हो लेकिन देश सब का है.
नाक बचाओ वाया तीर्थयात्रा
महंगाई ऐसी है कि आजकल घर का मुखिया घर का दुखिया हो चला है. टमाटर ठेंगा दिखा रहा है, पैट्रोल भाव तक नहीं दे रहा और खाने का तेल शरीर का ही तेल निकाल रहा है, पर अपन के पास भी एक सौलिड तरीका है, जानना चाहते हैं आप?
कांशीराम की विरासत बचा न पाईं मायावती
बसपा के संस्थापक कांशीराम ने अपनी विरासत और दलित उद्धार की जो जिम्मेदारी मायावती को सौंपी थी, बहनजी न तो उस विरासत को बचा पाईं और न ही दलित समाज का कोई उद्धार कर पाईं. उत्तर प्रदेश में चुनाव सिर पर हैं मगर बहनजी और उन के हाथी का अतापता नहीं है.
फर्टिलिटी टूरिज्म का बाजार
संतान की चाह हर किसी को है. विदेशी निसंतान दंपती संतान की चाह में बड़ी संख्या में भारत की ओर आकर्षित हो रहे हैं, क्योंकि यहां किफायती और आधुनिक टैक्नोलौजीयुक्त उपकरण हैं, जिस कारण भारत फर्टिलिटी टूरिज्म के तौर पर बूमिंग बिजनैस की तरह उभर रहा है और फास्ट ग्रोइंग इंडस्ट्री का रूप धारण कर रहा है.
संबंधों में जरूरी है पारदर्शिता
पलायनवाद कभी रास्ता नहीं हो सकता. आप दिक्कतों से मुंह नहीं मोड़ सकते. यदि किसी को कोई समस्या है, किसी के बातव्यवहार से दिक्कत है तो उस पर चर्चा करना ही हल है.
जेनिटल हर्पीज लह यह संक्रमण है खतरनाक
जेनिटल हर्पीज बीमारी किसी संक्रमित रोगी के साथ यौन संपर्क करने से फैलती है. इसे हलके में नहीं लेना चाहिए क्योंकि इस के असर खतरनाक हैं. यहां जानें इस के निदान और इस से बचाव के बारे में.
न मर्ज रहेगा न ही मरीज
आज भारत के बाजारों में सैकड़ों ऐसी दवाएं धड़ल्ले से बिक रही हैं जो आगे आने वाली पीढ़ी को पंगु बनाने के लिए काफी हैं. ये दवाएं बिक रही हैं क्योंकि इन दवाओं को बनाने वाली कंपनियों का सरकार पर दबाव होता है. कई ऐसी दवाओं के घातक असर को देखते हुए उन पर रोक लगाना जरूरी है.
औनलाइन कारोबार खा गया लाखों को
औनलाइन रिटेल सैक्टर से देश में कुछ अमीर पूंजीपतियों की मोनोपोली हो रही है. इन्हें डिलीवरी करने वाले युवाओं की फौज की भारी जरूरत महसूस होगी, जिन का काम सिर्फ सामान पहुंचाने का होगा. छोटे धंधों को चलाने वालों की अगली पीढ़ी बस यही काम करेगी
राकेश टिकैत अचानक उगा किसान नेता
एक साल से ज्यादा चले किसान आंदोलन ने कई उतारचढ़ाव देखे, बहुतकुछ सहा पर आखिरकार जीत हासिल की. जीत का बड़ा श्रेय किसान नेताओं को जाता है जिन्होंने अपनी सूझबूझ से फैसले लिए. इस में उत्तर प्रदेश के छोटे से गांव सिसौली से संबंध रखने वाले राकेश टिकैत किसानों के एक बड़े नेता के तौर पर उभरे और जमीनी फैसलों से सरकार के दांवपेंच फेल कर दिए. पेश है किसान आंदोलन पर यह ग्राउंड रिपोर्ट.
रेटिनोपैथी है गंभीर समस्या
सामान्य व्यक्ति की तुलना में डायबिटीज पेशेंट में आंखों की रोशनी गंवाने की आशंका 20 फीसदी अधिक होती है, इस समस्या को रेटिनोपैथी कहते हैं. यहां जानें क्या है यह समस्या और इस से बचे रहने के लिए कैसे सावधानी बरतें.
सिविल सोसाइटी को कुचलने की मंशा
देश को एकदलीय शासन की ओर धकेलने की मंशा राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल के उस वक्तव्य से और स्पष्ट हो जाती है जब वे सिविल सोसाइटी को युद्ध का नया मोरचा करार देते हुए प्रशिक्षु पुलिस अधिकारियों को उस से सतर्क रहने व उस पर नजर रखने की नसीहत देते हैं.
पुलिस का यातनागृह
आमतौर पर आम लोगों के मन में पुलिस के प्रति सकारात्मक भावना नहीं होती. धारणा बनी है कि 'पुलिस से न दोस्ती अच्छी, न दुश्मनी अच्छी.' यह इसलिए कि पुलिस से लोग सुरक्षित कम, डर ज्यादा महसूस करते हैं. कस्टोडियल डैथ और यातनाओं के आंकड़े डराते हैं.
बराबरी
10 साल की सनाया को जब वाशरूम में यूरिन के साथ ब्लड आया तो यह देख वह घबरा गई. मां को बताया, वे समझ गईं कि इसे माहवारी हुई है. इसे ले कर मां सोनल के मन में एक नई तसवीर उभरी. क्या थी वह तसवीर?
नजरिया
हर मातापिता का सपना होता है कि उन की बेटी ब्याह कर जहां भी जाए, सुख से रहे. पिता रामलाल ने अच्छा लड़का देख शादी तय कर दी, परंतु बेटी का नजरिया पिता से हट कर निकला. शादी से ठीक एक हफ्ता पहले वह अपने प्रेमी सुखविंदर के साथ रहने चली गई. क्या रामलाल बेटी को माफ कर पाया? क्या रामलाल का नजरिया बेटीदामाद को ले कर कभी बदल सका या...
भारतीय जमीन चीनी गांव
पेंटागन की हालिया रिपोर्ट में भी चीन द्वारा अरुणाचल प्रदेश के 'कब्जाए क्षेत्र' पर 100 घरों के गांव बसाने की पुष्टि हुई है. यह बात काफी पहले से चल रही थी, जिस का रूलिंग पार्टी लगातार खंडन कर रही थी. सिर्फ गांव की बात नहीं, रिपोर्ट में सामने आए अन्य तथ्य भारत के लिए और अधिक चिंता खड़ी करते हैं.
चुनौतियां 2021 की आशा 2022 की
2 वर्ष सामाजिक अवसाद और तनाव में गुजारने के बाद नए साल को ले कर लोगों के मन में अब आशंकाओं से ज्यादा संभावनाएं हैं, क्योंकि कोरोना वैक्सीन ने जिंदगी के प्रति आश्वस्त कर दिया है. कोरोनाकाल की उपलब्धियों से लोगों का आत्मविश्वास बढ़ा है लेकिन चुनौतियां अभी भी कम नहीं, जिन से निबटने के लिए व्यक्तिगत से ले कर वैश्विक स्तर तक एकजुटता और परस्पर सहयोग जरूरी है.
बढ़ती उम्र में खुद को रखें आर्थिक रूप से मजबूत
बढ़ती उम्र में अपनी मजबूती के लिए रुपएपैसों के साथ ही हैल्थ का भी ध्यान रखें. हैल्थ भी एक तरह की वैल्य ही होती है. सो, खुद को ऐक्टिव रखें ताकि दूसरे पर कम से कम निर्भर हों.