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कभी कुछ काम न करना भी जरूरी
कुछ महिलाएं ऐसी होती हैं जो एक पल भी खाली नहीं बैठ सकतीं. अगर उन के पास काम नहीं तो उन्हें बेचैनी होने लगती है. आमतौर पर लोगों को यह सामान्य लगता है पर संभव है कि वे किसी अवसाद से ग्रस्त हों. कहीं आप की नजर में तो नहीं कोई ऐसी महिला?
ऊंची जातियों की शराब कमजोर जातियों को करे खराब
शराब में ढेर बुराइयां हैं, फिर भी लोग इसे पीने के लिए बेताब रहते हैं, आखिर क्यों? शराब की कहानी ठेके के बाहर लाइन में लग कर खरीदने वाले लोगों की नहीं है, ये तो मोहरे हैं, असल कहानी उन की है जो इस पूरे खेल के मास्टरमाइंड हैं, जिन का फायदा लोगों को नशे में डुबोए रखने से होता है.
पुरातनी अहंकार पर किसान विजयी
अगर उलटा हुआ होता यानी किसानों ने अपना आंदोलन वापस ले लिया होता तो तय है उठाने वाले देश सिर पर उठा लेते, जगहजगह पटाखे फोड़े जा रहे होते, , गुलालअबीर उड़ रही होती, मिठाइयां बांटी जा रही होतीं, जुलूस निकल रहे होते, जश्न मन रहे होते और कहा यह जाता कि देखो, मोदी की एक और जीत, फर्जी किसान मुंह छिपा कर भाग गए, राष्ट्रद्रोही ताकतों ने घुटने टेक दिए और देश एक बार फिर टूटने से बच गया.
रक्ष
रक्ष एक कपड़े को कस कर दबोचे सो रहा था. इसे देख राघव की आंखों में आंसू आ गए और एक क्षणभंगुर विचार उस के दिमाग में कौंध गया कि रक्ष क्या उस के पिता की गंजी पकड़ कर सो रहा है या उन का असीमित स्नेह रक्ष को पकड़े है. आखिर रक्ष का बाबूजी से रिश्ता कैसा था.
एमिल की सोफी
महिला की वैज्ञानिक चेतना को अवरुद्ध कर पुरुष समाज उसे एमिल की सोफी बनाए रखना चाहता है. इसी अवधारणा को धर्म भी किसी न किसी माध्यम से बड़ी ही चालाकी से साकार करता आ रहा है.
धूमावती
36 साल की आयु में 25 साल की लगने वाली हेमा को देख ब्रांच मैनेजर प्रभास की आंखों की चमक देखते ही बनती थी. दोनों एकदूसरे की ओर आकर्षित हो चुके थे. हेमा की सीधेसादे पति तरुण में अब जरा भी दिलचस्पी नहीं थी. क्या प्रभास पत्नी मेघना के हाथों में बंधी डोर तोड़ सका.
महिला विमर्श हिंदू धर्म, आरएसएस और कांग्रेस
कांग्रेस महिला विमर्श के मसले पर सच में संवेदनशील दिखाई दे रही है या चुनावी जमीन तैयार कर रही है, यह बाद में पता चलेगा, पर उत्तर प्रदेश में महिलाओं को 40 प्रतिशत सीटें देने और महिला कांग्रेस दिवस पर राहुल गांधी का महिलाओं के नाम आरएसएस पर बेबाक बयान, बहुतकुछ इशारा करता है.
कमर्शियल गैस के बढ़ते दाम ताबे और मजदूरों पर महंगाई की मार
'बहुत हुई महंगाई की मार, अब की बार...' यह नारा याद है न. यह नारा आज लोगों की मुसीबत बन गया है. हर चीज के दाम बढ़े हैं, नई मार कमर्शियल गैस पर पड़ी है. क्या आप जानते हैं कमर्शियल गैस के दाम बढ़ने से किन पर क्या प्रभाव पड़ने वाला है?
खिलौने बदल दें लड़कियां बदल जाएंगी
बेटियों को घिसेपिटे खिलौने मिलेंगे तो वे हमेशा दब्बू बनी रहेंगी. आत्मविश्वासी और साहसी बनाने के लिए 6 महीने बाद ही कौन से सही खिलौने दें, जानें.
अमीरों से रिश्ते कैसे निभाएं
अमीरी और गरीबी समाज का सत्य है. समाज को छोड़िए, परिवार के भीतर तक में यह अंतर होता है. एक की आर्थिक स्थिति अच्छी होती है तो दूसरे की बेहद खराब होती है. दोस्तों में भी ऐसा संभव है.
अंधकार मन से दूर केरो
मुझे रातें पसंद हैं पर, ऐसा नहीं कि अंधेरा मेरी जिंदगी का हिस्सा हो...
5 साल से रिस रहा है नोटबंदी का घाव
नोटबंदी हुए 5 साल बीत चुके हैं. 50 दिन का समय मांगते प्रधानमंत्री मोदी को जनता ने 5 साल दे दिए, पर आज भी सभी के दिमाग में कई सवाल घूम रहे हैं कि आखिरकार नोटबंदी से क्या फायदा हुआ? क्या कालाधन आया? क्या आतंकवाद व नक्सलवाद खत्म हुआ? क्या देश की अर्थव्यवस्था बढ़ी? अगर नहीं, तो यह जनता पर क्यों थोपी गई?
शराब से कंगाली और बदहाली
शराब का सेवन नुकसानदेह है, कई घर इस से तबाह हुए हैं. हैरानी यह कि इस के सेवन को आधुनिकता से जोड़ा जा रहा है, लैंगिक बराबरी के लिए इस को भी आधार बनाया जा रहा है. शराब सेवन का यह फैशन कहीं बड़ी भूल न बन जाए.
सरकार की देन महंगाई
इस बार की महंगाई हवा जैसी है जो दिख नहीं रही लेकिन महसूस सभी को हो रही है. आम लोग परेशान हैं क्योंकि हर चीज के दाम बढ़ गए हैं. लेकिन महंगाई को ले कर सब की उदासीनता व सब का समझौतावादी नजरिया हैरान कर देने वाला है. कोई भी सरकार से यह पूछने की हिम्मत नहीं कर पा रहा कि वह टैक्स में मिले पैसों का क्या कर रही है.
समीर वानखेड़े शिकारी या शिकार
बौलीवुड अभिनेता शाहरुख खान के बेटे आर्यन खान को ड्रग्स मामले में गिरफ्तार करने वाले मुंबई नारकोटिक्स डिविजन के जोनल डायरैक्टर समीर वानखेड़े गंभीर आरोपों में घिर गए हैं. महाराष्ट्र सरकार के मंत्री नवाब मलिक ने उन पर जो आरोप लगाए हैं उन से न सिर्फ नारकोटिक्स डिपार्टमैंट में व्याप्त भ्रष्टाचार उजागर हो रहा है, बल्कि समीर वानखड़े की सरकारी नौकरी भी संकट में नजर आ रही है.
परिवार का महत्त्व बताती साफसुथरी फिल्म
हम दो हमारे दो**
कितना दें बच्चों को जेबखर्च
अकसर पेरेंट्स में कनफ्यूजन रहता है कि बच्चों को जेबखर्च के लिए पैसा दिया जाए या नहीं और यदि दिया जाए तो कितना. यह जेबखर्च इतना न हो कि बच्चा गलत आदत का शिकार हो जाए और इतना भी कम न हो कि उसे शर्मिंदा होना पड़ जाए.
पैगासस कांड जांच कमेटी से निकलेगा सच?
पैगासस जासूसी मामले में केंद्र सरकार कोई स्पष्ट जवाब देने को न तो संसद में तैयार है और न ही सुप्रीम कोर्ट में. ऐसे में सुप्रीम कोर्ट द्वारा जस्टिस आर वी रवींद्रन की अध्यक्षता में गठित जांच कमेटी को इस मामले में कब तक और किस हद तक सफलता मिलेगी, कहना मुश्किल है.
आस्था और अंधता का जहर
आस्था के नाम पर मानव समाज ने इतिहास से ले कर अब तक कई बर्बरताएं देखी हैं. धर्म और आस्था के नाम पर कई युद्ध हुए हैं, कितने ही लोग मारेकाटे गए हैं. ये सब होते रहने व देखते रहने के बावजूद आज लोग इस मामले में अंधे बने हुए हैं.
एकदूसरे की साथी बनती आज की बहू और सास
मौडर्न समय में रिश्ते जोरजबरदस्ती से नहीं बल्कि आपसी तालमेल से बनाने पड़ते हैं. तालमेल ऐसा जिस में दबनेदबाने की भावना न हो और एकदूसरे के प्रति सम्मान हो. सासबहू को ले कर समाज में परसैप्शन है कि इन का नेचर आपस में लड़नेझगड़ने का है पर आज के बदले समय में सासबहू में तालमेल दिखाई देने लगा है.
'मैं मूड़ी नहीं खुशमिजाज हूं' गीतांजलि टिकेकर
गीतांजलि टिकेकर टीवी जगत की चर्चित अभिनेत्री हैं, जिन्हें दर्शक 'कसौटी जिंदगी की' शो में अपर्णा बासु के किरदार से जानते हैं. हंसमुख स्वभाव की गीतांजलि अब ‘शुभ लाभ' में नजर आएंगी.
कोरोना के बाद पटरी पर लौटती जिंदगी
कोरोना के बाद जिंदगी फिर से पटरी पर लौटने लगी है. फैस्टिवल सीजन नया उत्साह ले कर आया है. जरूरत इस बात की है कि कोरोना ने जो सीख दी है उसे भूलें नहीं. कोरोना ने एक नया जीवनदर्शन दिया है. इस ने समाज, घर और परिवार के मूल्यों को समझाया है. नई लाइफस्टाइल में सुरक्षा कवच नहीं है, यह इस ने बता दिया है. प्रकृति और पर्यावरण के महत्त्व को इस ने नया विचार दिया है. यानी तमाम विरोधों को दरकिनार कर खुद को सुरक्षित रखते हुए लाइफ को एंजौय करना है.
जम्मूकश्मीर आतंकियों के निशाने पर अब आम आदमी
जम्मूकश्मीर में प्रवासी मजदूरों और अल्पसंख्यकों पर हो रहे आतंकी हमलों को रोक पाने में सरकार असफल साबित हो रही है. आतंकियों ने टारगेट किलिंग का नया तरीका अपनाया है जिस से लोगों में दहशत बढ़ रही है जिस कारण घाटी से बड़ी संख्या में लोग पलायन कर रहे हैं.
दीवाली आधी मीठी आधी फीकी
इस दीवाली लोगों का हाथ तंग है और अनापशनाप बढ़ती महंगाई ने त्योहार के उत्साह पर पानी फेर दिया है. इस के बाद भी मन में कहीं शुभलाभ की दबी इच्छा है जो हर हाल में खुश रहने का संदेश देती है. दीवाली का अपना एक आर्थिक व सामाजिक महत्त्व है लेकिन इस साल सबकुछ ठीकठाक नहीं है.
उत्तर प्रदेश की राजनीति किसान तय करेंगे
किसान आंदोलन इस समय देश में कितने व्यापक स्तर पर मौजूद है, इस का अंदाजा लखीमपुर खीरी में किसानों के खिलाफ हुई हिंसक घटना से लगाया जा सकता है. यह आंदोलन के खिलाफ भाजपा की बौखलाहट ही है कि आंदोलन को कुचलने के लिए अब इस तरह के हथकंडे अपनाए जा रहे हैं.
औनलाइन शौपिंग से दुकानदारी नुकसान में
औनलाइन बाजार से जहां ग्राहकों को फायदा पहुंच रहा है, वहीं छोटे व मध्यम वर्ग के व्यापारी काफी नुकसान में हैं. कई दुकानदारों के लिए तो अब दुकान का किराया और वर्कर्स की तनख्वाह तक निकालना मुश्किल हो रहा है.
वह खुशनुमा एहसास
हां, उस का यह स्पर्श सब से अलग था. बेशक, उसे यह भी पता नहीं होगा कि उस के स्पर्श का एहसास अब हमेशा साथ रहने वाला है, पर कुछ तो अलग था उस में, बाकियों से बेहद अलग. बस में थोड़ी देर की मुलाकात में ही कई चीजों को समझा गया वह.
अंधविश्वास का बाजार
जिस देश में अंधविश्वास जितना अधिक होता है वह देश तरक्की से उतना ही दूर भी होता है. भारत में अंधविश्वास की जड़ें अभी भी कायम हैं जो हमारी खोखली आधुनिकता दिखाने के लिए काफी हैं.
'सैक्रेड गेम्स' से 'स्क्विड गेम' तक ओटीटी का अपराध प्रेम
हम जिन चीजों को खुद से नहीं कर पाते उन चीजों को स्क्रीन पर होते देख संतुष्टि महसूस करते हैं. हत्या कभी भी उबाऊ चीज नहीं है. यह व्यक्ति के भीतर थ्रिल पैदा करती है, डराती है, हैरान करती है और संभावना में ले जाती है. आजकल ओटीटी का जमाना है, सैक्रेड गेम से ले कर स्क्विड गेम तक, यहां अधिकतर क्राइम आधारित शो ही देखने को मिलते हैं. ऐसा आखिर क्यों?
सिर का गंजापन
गंजापन जितनी बड़ी समस्या नहीं उस से अधिक गंभीर बना दी गई है. लोग गंजेपन के चलते भारी तनाव में आ कर जोखिम मोल ले रहे हैं. उपहास उड़ने के डर से लोग तरहतरह के तरीके अपना रहे हैं. ये तरीके घातक भी साबित हो सकते हैं.