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रंगों और पकवानों के साथ होली

Champak - Hindi|March First 2025
“होली रे होली, होली आई रे,” चेतन की दादी के आंगन में खुशी की धुनें गूंज रही थीं। बच्चे इधरउधर दौड़ रहे थे, एकदूसरे पर रंग फेंक रहे थे। उन में से कुछ खंभों के पीछे छिप कर रंगों से बचने की कोशिश कर रहे थे। गुलाल, फूटते पानी के गुब्बारों और पानी की पिचकारियों के रंगबिरंगे स्प्रे से पूरे आंगन में अफरातफरी का माहौल था.
- शिखा गोला प्रजापति
रंगों और पकवानों के साथ होली

चेतन पहली बार होली का इतना भव्य उत्सव देख रहा था, क्योंकि इस साल वह इसे बैंगलुरु में मनाने के बजाय राजस्थान में अपने दादादादी के घर पर मना रहा था.

जब चेतन वहां खड़े हो कर होली का जीवंत दृश्य देखने का आनंद ले रहा था, तभी उस के चचेरे भाई रंगों से लथपथ हो कर उस के पास आए.

“चलो, अब कुछ खा लें,” उन्होंने कहा और उसे रसोईघर में ले गए.

रसोई में गुझिया, ठंडाई, गुलाबजामुन, जलेबी और बीकानेरी स्नैक्स जैसे व्यंजन रखे हुए थे. बच्चे उत्सुकता से इन्हें खाने में लग गए.

एक ने कहा, “वाह, जलेबी," जबकि दूसरा बोला, “मैं पहले गुझिया खाऊंगा.”

“लो भाई, कांजी लो,” चेतन के चचेरे भाई नमन ने कहा और उसे एक मटमैला जैसा दिखने वाला तरल पदार्थ से भरा स्टील का गिलास दिया.

“कांजी? यह क्या चीज है? नहीं, मैं इसे नहीं पीना चाहता. यह अजीब लग रहा है,” चेतन ने मुंह बनाते हुए कहा.

“भाई, एक बार इस का स्वाद चखोगे तो इसे कभी नहीं भूल पाओगे,” मनन बोला.

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