रंगों और पकवानों के साथ होली

चेतन पहली बार होली का इतना भव्य उत्सव देख रहा था, क्योंकि इस साल वह इसे बैंगलुरु में मनाने के बजाय राजस्थान में अपने दादादादी के घर पर मना रहा था.
जब चेतन वहां खड़े हो कर होली का जीवंत दृश्य देखने का आनंद ले रहा था, तभी उस के चचेरे भाई रंगों से लथपथ हो कर उस के पास आए.
“चलो, अब कुछ खा लें,” उन्होंने कहा और उसे रसोईघर में ले गए.
रसोई में गुझिया, ठंडाई, गुलाबजामुन, जलेबी और बीकानेरी स्नैक्स जैसे व्यंजन रखे हुए थे. बच्चे उत्सुकता से इन्हें खाने में लग गए.
एक ने कहा, “वाह, जलेबी," जबकि दूसरा बोला, “मैं पहले गुझिया खाऊंगा.”
“लो भाई, कांजी लो,” चेतन के चचेरे भाई नमन ने कहा और उसे एक मटमैला जैसा दिखने वाला तरल पदार्थ से भरा स्टील का गिलास दिया.
“कांजी? यह क्या चीज है? नहीं, मैं इसे नहीं पीना चाहता. यह अजीब लग रहा है,” चेतन ने मुंह बनाते हुए कहा.
“भाई, एक बार इस का स्वाद चखोगे तो इसे कभी नहीं भूल पाओगे,” मनन बोला.
This story is from the {{IssueName}} edition of {{MagazineName}}.
Start your 7-day Magzter GOLD free trial to access thousands of curated premium stories, and 9,000+ magazines and newspapers.
Already a subscriber ? Sign In
This story is from the {{IssueName}} edition of {{MagazineName}}.
Start your 7-day Magzter GOLD free trial to access thousands of curated premium stories, and 9,000+ magazines and newspapers.
Already a subscriber? Sign In

मिहिर की पूंछ
मिहिर केवल 9 साल का था, लेकिन अपनी तेज बुद्धि और मजेदार अंदाज के लिए वह जाना जाता था. उस की एक बुरी आदत थी कि वह बड़े-बड़े वादे करता था, लेकिन उन्हें कभी निभाता नहीं था.

हिप्पो कब जाएंगे
क्लोई और जोई हिरण बहनें थीं और एमरल्ड तालाब के पास बसंत में पहली बार तितलियों के साथ खेल रही थीं. अचानक उन्होंने दूर से एक दरियाई घोड़े को आते देखा.

अच्छा पड़ोसी
रविवार की सुबह थी. अभी पौ भी नहीं फटी थी. गिगी जिराफ और बौब भालू, जो और्गेनिक खेती करने वाले पड़ोसी थे और शहर के बाहर ही रहते थे. वे अपने खेतों की ओर तेजी से जा रहे थे. उन के घर एकदूसरे के घर से सटे हुए थे.

बरगद के पेड़ का भूत
चंंपकवन की यह शाम ठंडी और धुंध भरी थी और जंगल असामान्य रूप से शांत था. इतना ही नहीं, चहचहाते झींगुर भी शांत हो गए थे. चीकू खरगोश और मीकू चूहा, स्कूल में एक दिन बिताने के बाद लौट रहे थे और आनंदवन में होने वाली खेल प्रतियोगिता के बारे में बातें कर रहे थे.

खोया हुआ दोस्त
मंची कैटरपिलर और बैडी सेंटीपीड बहुत अच्छे दोस्त थे. उन दोनों के कई पैर थे और उन्हें हरीभरी घास के बीच एकदूसरे के साथ दौड़ लगाना पसंद था.

मिशन अखरोट
बसंत के आगमन के साथ, ब्लूहिल वन गतिविधि से गुलजार हो गया था. जानवर और पक्षी अपने वार्षिक वसंत मेले की तैयारी में व्यस्त थे.

बुरा न मानो होली है
होली दो दिन बाद आने वाली थी और मिली मीरकैट, रोहित रैकून, पोपो पैराकीट और हसन हेजहोग इस बात पर चर्चा कर रहे थे कि त्योहार कैसे मनाया जाए.

हर्बल होली
होली नजदीक आ रही है. चलो, इस बार कुछ अलग करते हैं,” डिंकी हिरणी ने अपनी सहेलियों से कहा.

गजरू की होली
नंदनवन में होली की तैयारियां जोरों पर थीं, हर जानवर शैतानी से होली की मस्ती की योजना बना रहा था. रंग, गुलाल, पानी के गुब्बारे सबकुछ तैयार किए जा रहे थे, लेकिन एक बार फिर गजरू छछंदर सब से बड़ी बाधा बन गया था.