खोया हुआ दोस्त

उन के अन्य दोस्त- अन्ना चींटी, सोलो घोंघा, लुलु लेडीबग और ग्रीनी टिड्डा अकसर उन के रोमांच में शामिल होते थे.
एक दिन, एक पेड़ के नीचे आराम करते हुए मंची ने बैडी से पूछा, "अरे, क्या तुम्हें इतने सारे पैरों के साथ चलने में कठिनाई नहीं होती?"
"तुम्हारे भी तो काफी सारे पैर हैं," बैडी ने हंसते हुए कहा.
"हां, लेकिन मेरी तुलना में कम और बहुत छोटे हैं."
"इतने सारे पैरों की वजह से मुझे तेजी से चलने में मदद मिलती है और मैं कभी थकता नहीं हूं,” बैडी ने गर्व से कहा.
"इस के अलावा तुम पेड़ों पर और यहां तक कि जमीन पर भी अपने पैरों का इस्तेमाल बखूबी कर लेते हो,” मंची ने उस से प्रभावित होते हुए कहा, "मैं इतनी दूर नहीं जा सकता."
तभी सोलो घोंघा और अन्ना चींटी आ गए और उन के साथ खेलने के लिए चल दिए. उन्हें नई चीजें तलाशना बहुत पसंद था. वे ऊंचे पेड़ों पर चढ़ते और विशाल पत्तियों के नीचे छिपते थे.
कुछ देर तक मैदान में खेलने के बाद बैडी ने उत्साह से कहा, “चलो, जंगल में अंदर चलते हैं और विदेशी फलों का आनंद लेते हैं.”
“तुम आगे बढ़ो, बैडी. मुझे यहां अच्छा लग रहा है और मैं ज्यादा भूखा भी नहीं हूं,” मंची ने कहा.
बैडी ने अन्य से भी उस के साथ आने को कहा, लेकिन उन में से कोई भी जंगल में इतनी गहराई तक जाने को तैयार नहीं था.
“ठीक है, मैं अकेला जाऊंगा और जल्दी ही वापस आ जाऊंगा. इस बीच, सब मौजमस्ती करो,” घने जंगल में जाने से पहले मंची ने प्रसन्नतापूर्वक कहा.
लेकिन विदेशी फलों का आनंद लेने और वापस लौटने के बजाय वह इतनी दूर भटक गया कि जब उस ने आखिरकार इधरउधर देखा, तो उसे पता ही नहीं चला कि वह कहां है. वह कई दिन तक इधरउधर भटकता रहा, वापस लौटने का रास्ता ढूंढ़ने की कोशिश करता रहा, लेकिन घने जंगल ने उसे मुश्किल में डाल दिया.
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मिहिर की पूंछ
मिहिर केवल 9 साल का था, लेकिन अपनी तेज बुद्धि और मजेदार अंदाज के लिए वह जाना जाता था. उस की एक बुरी आदत थी कि वह बड़े-बड़े वादे करता था, लेकिन उन्हें कभी निभाता नहीं था.

हिप्पो कब जाएंगे
क्लोई और जोई हिरण बहनें थीं और एमरल्ड तालाब के पास बसंत में पहली बार तितलियों के साथ खेल रही थीं. अचानक उन्होंने दूर से एक दरियाई घोड़े को आते देखा.

अच्छा पड़ोसी
रविवार की सुबह थी. अभी पौ भी नहीं फटी थी. गिगी जिराफ और बौब भालू, जो और्गेनिक खेती करने वाले पड़ोसी थे और शहर के बाहर ही रहते थे. वे अपने खेतों की ओर तेजी से जा रहे थे. उन के घर एकदूसरे के घर से सटे हुए थे.

बरगद के पेड़ का भूत
चंंपकवन की यह शाम ठंडी और धुंध भरी थी और जंगल असामान्य रूप से शांत था. इतना ही नहीं, चहचहाते झींगुर भी शांत हो गए थे. चीकू खरगोश और मीकू चूहा, स्कूल में एक दिन बिताने के बाद लौट रहे थे और आनंदवन में होने वाली खेल प्रतियोगिता के बारे में बातें कर रहे थे.

मिशन अखरोट
बसंत के आगमन के साथ, ब्लूहिल वन गतिविधि से गुलजार हो गया था. जानवर और पक्षी अपने वार्षिक वसंत मेले की तैयारी में व्यस्त थे.

बुरा न मानो होली है
होली दो दिन बाद आने वाली थी और मिली मीरकैट, रोहित रैकून, पोपो पैराकीट और हसन हेजहोग इस बात पर चर्चा कर रहे थे कि त्योहार कैसे मनाया जाए.

रंगों और पकवानों के साथ होली
“होली रे होली, होली आई रे,” चेतन की दादी के आंगन में खुशी की धुनें गूंज रही थीं। बच्चे इधरउधर दौड़ रहे थे, एकदूसरे पर रंग फेंक रहे थे। उन में से कुछ खंभों के पीछे छिप कर रंगों से बचने की कोशिश कर रहे थे। गुलाल, फूटते पानी के गुब्बारों और पानी की पिचकारियों के रंगबिरंगे स्प्रे से पूरे आंगन में अफरातफरी का माहौल था.

हर्बल होली
होली नजदीक आ रही है. चलो, इस बार कुछ अलग करते हैं,” डिंकी हिरणी ने अपनी सहेलियों से कहा.

गजरू की होली
नंदनवन में होली की तैयारियां जोरों पर थीं, हर जानवर शैतानी से होली की मस्ती की योजना बना रहा था. रंग, गुलाल, पानी के गुब्बारे सबकुछ तैयार किए जा रहे थे, लेकिन एक बार फिर गजरू छछंदर सब से बड़ी बाधा बन गया था.