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हरित क्रांति (श्वेत क्रांति) बनाम गुलाबी क्रांति
यदि हम आजादी के बाद कृषि इतिहास की ओर नजर घुमाएं तो इस हकीकत को मानना पड़ेगा कि नेहरू युग के अंतिम साल में खाद्यान्न को ले कर देश में संकट इसलिए बढ़ा, क्योंकि केंद्र की पंचवर्षीय योजनाओं में कृषि पर कोई खास ध्यान नहीं दिया गया था. इस वजह से राज्यों में दंगे शुरू हो गए थे. अमेरिकी नीति 'फूड एंड पीस' के हिस्से के तौर पर उस समय भारत में पीएल 480 अनाज का सहारा लिया गया था.
मिट्टीपानी की जांच कराएं कम लागत में अधिक मुनाफा पाएं
समयसमय पर किसानों को अपने खेत की मिट्टी की जांच जरूर करानी चाहिए, ताकि मिट्टी जांच से मिलने वाले नमूने के आधार पर अपनी खेती में जरूरी खाद, उर्वरक, बीज आदि की मात्रा तय कर सकें. ऐसा करने से किसानों को अपने खेत में अंधाधुंध खाद, उर्वरक देने से नजात तो मिलेगी ही, बल्कि खेत की मिट्टी को सही पोषक तत्त्व सही मात्रा में मिल सकेंगे.
फार्म एन फूड अवार्ड ने किसानों का बढ़ाया हौसला
फार्म एन फूड पत्रिका देश के किसानों को न केवल खेतीकिसानी से जुड़ी जानकारी मुहैया कराती है, बल्कि आम बोलचाल की भाषा में यह पत्रिका खेतीबारी की नई तकनीकी, बागबानी, पशुपालन, कुक्कुटपालन, मत्स्यपालन, डेरी व डेरी उत्पाद, फूड प्रोसैसिंग, खेती वगैरह से जुड़ी मशीनों सहित खेत से बाजार सहित ग्रामीण विकास और किसानों की सफलता की कहानियों और अनुभवों को अन्नदाता किसानों तक अपने लेखों और समाचारों के जरीए पहुंचाने का काम करती रही है. यही वजह है कि इस पत्रिका का प्रसार देश में तेजी से बढ़ रहा है और खेती में रुचि रखने वाले पाठकों की तादाद में भी तेजी से इजाफा हो रहा है.
प्याज व लहसुन में पौध
हमारे यहां प्याज व लहसुन कंद समूह की मुख्य रूप से 2 ऐसी फसलें हैं, जिन का सब्जियों के क्षेत्र में महत्त्वपूर्ण स्थान है. देश में इन की खपत काफी है और विदेशी पैसा हासिल करने में इन का बहुत बड़ा योगदान है.
पौधशाला में एकीकृत जीवनाशी प्रबंधन
सही समय पर किसान खेत की जुताई कर के उस में गोबर, कंपोस्ट व बालू मिला कर अच्छी तरह तैयार कर लें. पौधशाला की क्यारी बनाते समय यह भी ध्यान रखें कि वह जमीन से 6-8 सैंटीमीटर उठी हुई हो और चौड़ाई 80-100 सैंटीमीटर ही रखें.
पोटैटो डिगर से आलू की खुदाई
हमारे देश के कई हिस्सों में आलू की खुदाई शुरू हो चुकी है. लेकिन इस बार भी आलू की बंपर पैदावार के चलते किसानों को आलू की सही कीमत नहीं मिल पा रही है. यही वजह है कि कुछ किसानों ने तो कुछ दिनों के लिए अपने खेत से आलू की खुदाई रोक दी है. उन्हें इंतजार है कि आलू का बाजार भाव कुछ ठीक हो तो खुदाई करें.
पशुओं में थनैला रोग और उस की रोकथाम
दुधारू पशुओं में अकसर थनैला रोग हो जाता है. इस वजह से किसानों को काफी नुकसान उठाना पड़ता है. समय पर उचित उपाय अपना कर इस रोग से छुटकारा पाया जा सकता है. पशु डाक्टर की देखरेख में ही उपचार करेंगे, तो आप का पशु भी सेहतमंद रहेगा.
जनवरी माह के खास काम
नए साल का जनवरी महीना खेतीकिसानी के लिहाज से अहम
मछलीपालन से स्वरोजगार का अच्छा मौका
उदयपुर : महाराणा प्रताप कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय, उदयपुर के संगठक मात्स्यकी महाविद्यालय में पिछले दिनों 25 नवंबर, 2021 को मीठे पानी की पालने योग्य मछलियां व पालन पद्धति पर 3 दिवसीय प्रशिक्षण कार्यक्रम आयोजित हुआ.
बकरियों में पीपीआर बीमारी के लक्षण व बचाव
बकरियां बीमार पड़ने पर खानापीना छोड़ देती हैं और आंख बंद कर किसी कोने में खड़ी हो कर हांफती नजर आती हैं.
अदरक बने रहें गुण, बनाएं बहुतकुछ
मसालों के साथसाथ अदरक को दवा के रूप में भी इस्तेमाल किया जाता है. पहले किसान फसल को बाजार की मांग के मुताबिक बेचते थे और बाकी बचे अदरक की ओर ध्यान न दे कर उसे किसी इस्तेमाल में न ला कर उसे यों ही फेंक देते थे. जब किसान ताजा अदरक मंडी में भेजता है, तो उसे अपने उत्पाद के पूरे दाम नहीं मिल पाते थे, इसलिए इस अरदक के ऐसे व्यावसायिक पदार्थ बनाए जाएं तो फसल से ज्यादा से ज्यादा मुनाफा उठाया जा सकता है. अदरक का इस्तेमाल अचार, चटनी और उद्योगों में भी किया जा सकता है.
रास नहीं आई शहर की जिंदगी खेती को बनाया रोजगार का साधन
हाल के दशक में युवाओं का खेती में रुझान तेजी से बढ़ा है, इसलिए तमाम बड़ी डिगरियों वाले भारीभरकम तनख्वाह को छोड़ खेती की तरफ रुख मोड़ रहे हैं, जिस से ऐसे लोग नौकरियों से कई गुना ज्यादा खेती से आमदनी ले रहे हैं.
नीम पौध रोपण से किसानों की आमदनी बढ़ाने और पर्यावरण बचाने की कोशिश
मिट्टी और पर्यावरण के सुधार में नीम बहुत ही अधिक माने रखता है. हाल के सालों में नीम के पेड़ के महत्त्व को देखते हुए सरकारों और समुदाय दोनों में जागरूकता आई है. यही वजह है कि नीम के पौधे रोपने पर अब जोर दिया जाने लगा है.
क्या लाभकारी है काले गेहूं की खेती?
अब तक के इतिहास में काले गेहूं की किसी भी किस्म को भारत सरकार ने अधिसूचित नहीं किया है और न ही सरकारी संस्थानों व मान्यताप्राप्त संस्थानों के द्वारा इस का बीज बेचा जा रहा है, इसलिए किसानों को सतर्क रहने की जरूरत है कि वह जब तक सरकार द्वारा अनुमोदित बीज उपलब्ध न कराया जाए, तब तक ऐसे बीजों और भ्रामक प्रचार से बचा जाना चाहिए.
एक्वेरियम में ऐसे रखें रंगीन मछलियां
एक्वेरियम में रंगीन मछलियों को रखना और उस का पालन एक दिलचस्प काम है, जो न केवल घर की खूबसूरती बढ़ाता है, बल्कि मन को भी शांत करता है. रंगीन मछलियां व एक्वेरियम व्यवसाय स्वरोजगार के जरीए पैसे बनाने के मौके भी मुहैया कराता है.
अजोला है पौष्टिकता से भरपूर जलीय चारा
हमारे देश की अर्थव्यवस्था में पशुपालन का महत्त्वपूर्ण स्थान है. हमारे यहां जोत का आकार दिनप्रतिदिन छोटा होता जा रहा है और किसान चाह कर भी हरे चारे की खेती करने में खुद को असमर्थ पा रहे हैं. यही वजह है कि देश में हरे चारे की उपलब्धता बहुत कम होती जा रही है.
मोटे अनाजों की खेती
लघु या छोटी धान्य फसलों जैसे मंडुआ, सावां, कोदों, चीना, काकुन आदि को मोटा अनाज कहा जाता है. इन सभी फसलों के दानों का आकार बहुत छोटा होता है. लघु अनाज पोषक तत्त्वों और रेशे से भरपूर होने के चलते इस का औषधीय उपयोग भी है.
बैगन की खेती
भारत में बैगन को गरीबों की सब्जी कहा जाता है. बैगन हर तरह की मिट्टी में उगाया जा सकता है, क्योंकि इस का पौधा काफी सहनशील होता है. देश के सभी हिस्सों में बैगन की खेती की जाती है. एक अनुमान के मुताबिक, चीन के बाद हमारे देश में सब से ज्यादा बैगन उगाया जाता है, जो दुनिया की कुल पैदावार का तकरीबन 30 फीसदी है.
महिला किसान उन्नत कृषि यंत्रों का अधिक उपयोग करें
समाचार
दिसंबर महीने के खेतीबारी से जुड़े खास काम
रबी सीजन के लिए दिसंबर का महीना सब से महत्त्वपूर्ण माना जाता है. इस महीने में सब्जी, अनाज, फल वगैरह की अगेती फसलों की देखभाल से ले कर पछेती किस्मों की बोआई का काम किया जाता है.
मृदा परीक्षण से कृषि उत्पादन लागत और उपज पर प्रभाव
फसलों की वृद्धि और विकास के लिए 16 पोषक तत्त्वों की आवश्यकता पड़ती है, जिसे पौधे अपने जीवनकाल में वातावरण, मृदा और पानी के स्रोतों से प्राप्त कर भरपूर उत्पादन देते हैं. असंतुलन की स्थिति में यदि जैविक घटक जैसे मृदा, बीज, सिंचाई, उर्वरक, पेस्टीसाइड और अन्य प्रबंधन आदि अथवा गैरजैविक घटक जैसे वर्षा (कम या ज्यादा), तापमान (कम या ज्यादा), तेजी से चलने वाली हवाएं, कुहरा, ओले पड़ना आदि के कारण भी कृषि उत्पादन प्रभावित होता है.
बरसीम एक पौष्टिक दलहनी चारा
बरसीम हरे चारे की एक आदर्श फसल है. यह खेत की उर्वराशक्ति को बढ़ाती है. इसे भूसा के साथ मिला कर खिलाने से पशुओं के लिए निर्वाहक और उत्पादन दोनों प्रकार के आहारों में प्रयोग किया जाता है.
एमएसपी : ठगा जा रहा है अन्नदाता
अगर किसान को उस की फसल की लागत से थोड़ा अधिक पैसा मिल जाए तो वह संतुष्ट हो कर अगली फसल के लिए बेहतर बीज, खाद और पानी का इंतजाम कर सकेगा. इस से फसल भी अच्छी, अधिक और उम्दा होगी और इस का सीधा असर उस की खुशहाली पर दिखेगा.
सब्जियों की बरबादी को रोकने में मददगार सोलर कोल्ड स्टोर
बिहार के मुजफ्फरपुर जिले के कई गांवों में हजारों किसान सब्जियों की खेती करते हैं, जिस को वे स्थानीय मार्केट के अलावा पश्चिम बंगाल, उत्तर प्रदेश, झारखंड, छत्तीसगढ़ वगैरह राज्यों की मंडियों में भी भेजते हैं, लेकिन कई बार सब्जियों का अधिक उत्पादन और बाजार में रेट गिरने से किसानों को नुकसान होने का डर सताता रहता है. ऐसे में स्थानीय लैवल पर कोल्ड स्टोर की सुविधा न होने से किसान खराब होने वाली तैयार सब्जियों को लंबे समय तक रोक कर भी नहीं रख सकते हैं.
बस्ती जनपद के काला नमक धान का नाम पूरे भारत में है
7 नवंबर, 2021 को आचार्य नरेंद्र देव कृषि एवं प्रौद्योगिक विश्वविद्यालय, कुमारगंज, अयोध्या द्वारा संचालित कृषि विज्ञान केंद्र, बस्ती का भ्रमण डा. एके सिंह, निदेशक, भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान, नई दिल्ली, गोविंद राजू एनएस, आयुक्त, बस्ती, मंडल बस्ती व डा. बीएन सिंह, चेयरमैन शोध एवं विकास केंद्र, गोरखपुर ने किया.
पानी और पलायन रोकने वाले मध्य प्रदेश के किसानों का हुआ सम्मान
मध्य प्रदेश के बुंदेलखंड से सटे इलाकों में पानी की भारी किल्लत रहती है, चाहे वह पीने के पानी का मसला हो या खेत की सिंचाई में पानी की कमी का मसला हो. लेकिन इन्हीं उलट हालात के बीच कुछ ऐसे के भी लोग हैं, जो वर्षा की एकएक बूंद को जाया नहीं जाने देते हैं और वर्षा के पानी को मेंड़बंदी से संरक्षित कर उसी पानी से अपने खेतों में फसलों की भरपूर उपज लेते हैं. ऐसे लोग न केवल खुद की माली हालत सुधारने में कामयाब रहे हैं, बल्कि आसपास के दूसरे किसानों के लिए भी प्रेरणा बने हुए हैं.
भैसपालन में दें ध्यान मिलेगा बेहतर दध उत्पादन
डेरी कारोबार में भैंसपालन की बहुत ज्यादा अहमियत है. देश में तकरीबन 55 फीसदी दूध भैंसपालन से मिलता है, इसलिए भैंस की उन्नत नस्ल का होना बेहद जरूरी है. इस के लिए पशुपालकों को भैंस संबंधी हर जरूरी जानकारी रखनी चाहिए.
तिलापिया मछली का करें पालन
तिलापिया मछली दुनिया में दूसरी सब से ज्यादा पाली से जाने वाली मछली है, परंतु भारत में इस का व्यावसायिक पालन सीमित है. तिलापिया मछली को पालने के लिए एशियाई देशों का मौसम और पर्यावरण स्थितियां अनुकूल होती हैं. किन्हीं कारणों से 1959 में भारतीय मात्स्यिकी अनुसंधान समिति द्वारा इस मछली के पालन पर रोक लगा दी गई थी.
गेहूं की उन्नत खेती
भारत में गेहूं एक मुख्य फसल है. गेहूं का तकरीबन 97 प्रतिशत क्षेत्र सिंचित है. गेहूं का है इस्तेमाल इनसान अपने खाने के लिए रोटी के रूप में करते हैं, जिस में प्रोटीन प्रचुर मात्रा में पाया जाता है.
धनिया में लगने वाले कीट व रोग और उन का प्रबंधन
खुशबूदार धनिया का सब्जियों में खास स्थान है. धनिया की हरीहरी पत्तियां सब्जियों को तो जायकेदार बनाती ही हैं, साथ ही किसानों की जिंदगी में बहार लाती हैं. देश के अनेक इलाकों जैसे उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश, राजस्थान, हरियाणा, बिहार, तमिलनाडु, कर्नाटक आदि में धनिया की खेती की जाती है.