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अप्रैल महीने के ख़ास काम
इस महीने गेहूं, सरसों, चना आदि फसल की कटाई व उन का सही तरीके से भंडारण करना भी जरूरी है. गेहूं में सब से ज्यादा खतरा घुन लगने का रहता है, जिसे बीटल कहा जाता है. यह अगर एक बार गेहूं में लग गया तो इस से छुटकारा पाना बड़ा ही मुश्किल है, इसलिए भंडारण से पहले ही हमें खास बातों पर ध्यान देना चाहिए.
फसल कटाई के बाद क्या है खास
फसल की कटाई के बाद खेत में फसल अवशेष भूल कर भी न जलाएं. इस से खेत के लाभदायक मित्रजीव नष्ट हो जाते हैं और फसल में शत्रुजीवों का प्रकोप बढ़ जाता है. फसल अवशेषों को पशु चारे के तौर पर इस्तेमाल किया जा सकता है या उन की कंपोस्टिंग कर के उत्तम किस्म की खाद बनाई जा सकती है.
भिंडी की फसल को रोगों व कीड़ों से बचाएं
भिंडी एक वार्षिक उगाई जाने वाली सब्जियों में आती है, जिस को बड़े चाव से खाया जाता है. सब्जी के अलावा हरी कोमल फलियों से करी व सूप बनाया जाता है, जबकि इन की जड़ों व तने से बनाए जाने वाले गुड़ की गंदगी साफ करने में काम आता है.
गेहूं की कटान: वायु प्रदूषण व समाधान
हर साल रबी की प्रमुख फसल गेहूं की कटाई के दौरान वायु में प्रदूषण का स्तर बहुत ज्यादा बढ़ जाता है.
वसंतकालीन- अरवी की खेती ज्यादा लाभकारी
अरवी को घुइयां के नाम से भी जाना जाता है. इस की खेती मुख्यतः खरीफ मौसम में की जाती है, लेकिन सिंचाई सुविधा होने पर वसंतकालीन में भी की जाती है. इस की सब्जी आलू की तरह बनाई जाती है और पत्तियों की भाजी और पकौड़े बनाए जाते हैं.
आम के प्रमुख कीट और उन का प्रबंधन
हमारे देश में फलोत्पादन में सब से पहले अगर किसी फल का नाम आता है तो वह है फलों का राजा आम'. इस का प्रमुख कारण इस में पाए जाने वाले पोषकीय तत्त्वों, स्वाद, सुगंध व स्वास्थ्यवर्धक गुणों के साथसाथ विटामिन 'ए' की प्रचुर मात्रा में पाया जाना है.
किसानों को लुभा नहीं सकी 'आंकडों की खेती'
हमारे देश में बड़े कोरोना संकट के दौरान जिन करोड़ों किसानों ने रातदिन मेहनत कर के अन्न भंडारों को भर दिया था, उन को मोदी सरकार के इस बार के आम बजट ने बेहद निराश किया. संसद में भी इसे ले कर काफी चर्चा हुई और किसानों में भी.
अजोला की खेती और दुधारा जानवरों का चारा
अब तक अजोला का इस्तेमाल खासकर धान में हरी खाद के रूप में किया जाता था, लेकिन अब इस में छोटे किसानों के पशुपालन के लिए चारे की बढ़ती मांग को पूरा करने की जबरदस्त क्षमता दिखती है.
शामली में किया काले चावल का उत्पादन
भारत के नौर्थईस्ट राज्य में विख्यात औषधीय गुण वाले काले चावल यानी ब्लैक राइस का उत्पादन पश्चिमी उत्तर प्रदेश के शामली जिले में पहली बार किया गया. अपने औषधीय गुणों, स्वाद और कीमत के आधार पर यह काला चावल आम चावल की अपेक्षा बाजार में अपनी अलग पहचान रखता है, जो किसानों को परंपरागत खेती से ऊपर उठ कर कृषि विविधीकरण की ओर ले जाता है.
चूहा प्रबंधन घर से खेत तक कैसे करें
हमारे यहां ग्रामीण क्षेत्रों में चूहे को विभिन्न नामों से जाना जाता है. कहीं चुहिया, कहीं मूस, तो कहीं मूसी कहते हैं. चूहा घर व खेतखलिहान तक हानि पहुंचाता है.
उन्नत तकनीकी अपनाने से उत्पादन लागत करे कम
गांव में आज भी कृषि ही आजीविका का मुख्य साधन है. लगातार हो रहे अनुसंधान और नई किस्मों के आने से कृषि के स्तर में विकास हुआ है, लेकिन अब किसानों को खाद, बीज, दवाओं, कृषि औजारों, पानी, बिजली आदि पर अधिक खर्च करना पड़ रहा है.
कौट्रैक्ट फार्मिंग के नाम पर किसानों से ठगी
कृषि सुधार कानून में गड़बड़झाला
सेब के पौष्टिक उत्पाद खाएं भी कमाएं भी
अम्लीय फल सेब पोषक तत्त्वों से भरपूर है. इस के सेवन से केवल ऊर्जा ही नहीं मिलती, बल्कि विभिन्न मैटाबौलिक क्रियाओं के पूरे विकास में भी बहुत मदद मिलती है.
आज के जमाने में केले की खासीयत
आज के खाद्य वैज्ञानिकों ने अपनी रिसर्च में केले को बहुत ज्यादा उपयोगी पाया है. जरमनी के गोली जन विश्वविद्यालय के प्रोफैसर फूडल ने अपनी रिसर्च के आधार पर सलाह दी है कि डिप्रैशन के शिकार आदमी को केले का सेवन करना चाहिए. प्रोफैसर फूडल के मुताबिक, केले में सेरोटोनिन नामक तत्त्व पाया जाता है. इस से मानसिक परेशानियों से छुटकारा मिलता है.
प्याज व लहसुन में कीट और रोग प्रबंधन
प्याज व लहसुन कंद समूह की मुख्य रूप से 2 ऐसी फसलें हैं, जिन का सब्जियों के क्षेत्र में महत्त्वपूर्ण स्थान है. देश में इन की खपत और विदेशी मुद्रा अर्जन में बहुत बड़ा योगदान है.
गन्ने की खेती में नया कीर्तिमान
भारत में ज्यादातर किसान खेती से परेशान हैं. ऐसे में वे मजबूरी में खेती कर रहे हैं. इस की मुख्य वजह कहीं न कहीं उन की उपज का सही दाम न मिल पाना है, जिस्म के चलते उन्हें लगातार घाटा हो रहा है. फिर भी कुछ ऐसे किसान हैं, जो जरा कर के खेतीबारी कर रहे हैं.
केले की खेती ने दिखाई मुनाफे की राह
परंपरागत रूप से हो रही खेती में हर साल लागत बढ़ती जा रही है, पर फसल के सही दाम न मिलने से मुनाफे में कमी आ रही है. सरकार द्वारा फसल का सही समर्थन मूल्य न मिलने व अनाज व्यापारियों द्वारा किसान की फसल औनेपौने दाम पर खरीदने से किसानों की मुश्किलें बढ़ती जा रही हैं. ऐसे में खेती करने के तरीकों में बदलाव की ओर किसानों ने ध्यान देना शुरू कर दिया है.
प्रबंधन तकनीक से किसानों को रोजगार
बागबानी फसलों की तुड़ाई के उपरांत
ड्रिप और मल्चिग पद्धति से शिमला मिर्च की खेती
परंपरागत खेती में रोज ही नएनए तरीके अपना कर किसान उन्नत खेती के साथ मुनाफा ले रहे हैं. ड्रिप और मल्चिग पद्धति से खेती कर के फसलों की पैदावार बढ़ाई जा सकती है. इन के इस्तेमाल से न सिर्फ अच्छा उत्पादन मिलता है, बल्कि खरपतवार नियंत्रण और सिंचाई जल की बचत भी की जा सकती है.
पक्षियों में बर्ड फ्लू लक्षण, सावधानियां और बचाव के उपाय
बर्ड फ्लू यानी एवियन इनफ्लूएंजा पक्षियों में पाए जाने वाला एक बहुत ही घातक, संक्रामक, विषाणुजनित रोग है जो कि इनफ्लूएंजा टाइप 'ए' नामक विषाणु से होता है. यह मुरगी और बतख जैसे घरेलू पक्षियों को बीमार कर के उन की मौत कर सकता है.
अनार की उन्नत उत्पादन तकनीक
अनार भारत में उगाई जाने वाली एक महत्त्वपूर्ण फल फसल है.उपोष्ण जलवायु का फल वृक्ष होने के कारण अनार सूखे के प्रति सहनशील होने के साथसाथ कम लागत में अधिक आमदनी देता है. अनार के फल कार्बोहाइड्रेट, कैल्शियम, लौह तत्त्व और सल्फर के अच्छे स्त्रोत हैं. इस का प्रयोग खाने व रस के रूप में किया जाता है.
मशरूम की खेती से मिली नई राह
परंपरागत तरीके से खेती करना अब मुनाफे की गारंटी नहीं है. खेती में नवाचारों के माध्यम से किसान चाहें तो आमदनी बढ़ा सकते हैं.
बीजोपचार रोह की स्वस्थ फसल का आधार
भारत में उगाई जाने वाली खाद्यान्न फसलों में गेहूं एक प्रमुख फसल है, जो समस्त भारत में लगभग 30.31 मिलियन हेक्टेयर क्षेत्रफल में उगाई जाती है, जो कुल फसल क्षेत्रफल का तकरीबन 24.25 फीसदी है. फसल सत्र 2019-20 के दौरान भारत में 107.59 मिलियन टन गेहूं का उत्पादन हुआ.
जैविक खेती से संवर रही जिंदगी
हाल ही के सालों में किसानों ने अंधाधुंध रासायनिक खादों और कीटनाशकों का इस्तेमाल कर के धरती का खूब दोहन किया है. जमीन से बहुत ज्यादा उपज लेने की होड़ के चलते खेतों की उत्पादन कूवत लगातार घट रही है.
टमाटर उत्पादन की उन्नत तकनीक
टमाटर एक महत्त्वपूर्ण सब्जी है, जिस की अगेती व देर से फसल लेने में अधिक लाभ होता है.
सेहत के लिए जरूरी सोयाबीन
प्रोटीन के अलावा सोयाबीन में तकरीबन 18 फीसदी तेल होता है, लेकिन इस तेल में कोलेस्ट्रोल नहीं होता है और इस में 85 फीसदी अनसैचुरेटेड फैटी एसिड होते हैं, जो सेहत के लिए सही होते हैं. सोयाबीन के तेल में लीनो लिक और लीनो लेइक फैटी एसिड भी काफी मात्रा में होते हैं. ये दोनों ही अनसैचुरेटेड फैटी एसिड हमारी सेहत के लिए बहुत जरूरी होते हैं, क्योंकि ये हम में कोलेस्ट्रोल की मात्रा को कम करते हैं और इस में होने वाली दिल की बीमारियों को रोकते हैं.
मौनपालन से आमदनी बढ़ाएं
मधुमक्खीपालन एक ऐसा कारोबार है, जिसे दूसरे धंधों से कम धन, कम श्रम और कम जगह पर किया जा सकता है. मधुमक्खीपालन से मौनपालकों को शहद हासिल होता है, साथ ही साथ मधुमक्खियों के जरीए परपरागण के चलते फसलों और औद्योगिक फसलों से अच्छी उपज होती है.
गन्ना शीत ऋतु में
गन्ना एक प्रमुख व्यावसायिक फसल है. विषम परिस्थितियां भी गन्ना की फसल को बहुत अधिक प्रभावित नहीं कर पाती हैं. इन्हीं विशेष कारणों से गन्ना की खेती अपनेआप में सुरक्षित व लाभ देने वाली है.
काले गेहूं और चने की खेती
आज कोरोना वायरस की वजह से लोगों की जीवनशैली में काफी बदलाव आया है. हालात ये हैं कि कोरोना वायरस के संक्रमण के डर से लोग सुबह और शाम की सैर के लिए भी घर से बाहर नहीं निकल पा रहे हैं. ऐसे में मध्यम वर्ग के साथ अफसर, डाक्टर भी परंपरागत लोकमन, शरबती गेहूं की जगह काले गेहूं की रोटियां खाना पसंद कर रहे हैं.
वैज्ञानिक विधि से कैसे करें स्ट्राबैरी की खेती
स्ट्राबैरी (फ्रेगेरिया अनानासा) यूरोपियन देश का फल है. इस का पौधा छोटी बूटी के समान होता है. इस के छोटे तने से कई पत्तियां निकलती हैं. पत्तियों के निचले हिस्से से कोमल शाखाएं निकलती हैं, जिन्हें रनर्ज कहते हैं. इन रनर्ज द्वारा स्ट्राबैरी का प्रवर्धन किया जाता है.