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लौकडाउन मे जी उठी यमुना
करोड़ों रुपए खर्च कर के जो काम न हो पाया, वह काम महज चंद दिन के लौकडाउन ने कर दिया. दिल्ली में यमुना जी उठी है. यमुना फिर से सांसें ले रही है. फिर से नीली दिख रही है. इस में मछलियां अठखेलियां करती नजर आ रही हैं.
लौकडाउन में पशुओं की देखभाल
आज पूरे देश में वैश्विक महामारी कोरोना के कारण पूरे देश में लौकडाउन की स्थिति है. आप लोग भी अपनी फसलों को काट कर भंडारित करने की तैयारी कर रहे होंगे और अपने दुधारू पशुओं की देखभाल में लगे होंगे.
खेतों में सड़ रही किसानों की सब्जियां
महामारी बने कोरोना वायरस के चलते लगाए गए लौकडाउन ने सभी को प्रभावित किया है, लेकिन जिस के कंधे पर घरों में बैठे लोगों के पेट भरने का दारोमदार है, उन की सरकार से छूट मिलने के बाद भी हालत खराब होती जा रही है. इस में जिन पर सब से ज्यादा असर पड़ रहा है, वे हैं सब्जी किसान.
कोविड-19 प्रकोप के दौरान पोषण सलाह
सम्मानित किसान भाइयो व बहनो, कोरोना की इस महामारी के दौर में अपनेआप को सुरक्षित रखते हुए हमारी महिलाओं को अपने व अपने परिवार के सदस्यों के शरीर को चुस्तदुरुस्त रखने के लिए उचित पोषण व संतुलित आहार लेना बहुत जरूरी है. इस से आप में मजबूत प्रतिरक्षा प्रणाली बनती है और आप को सेहतमंद रखती है.
लौकडाउन में इस विधि से करें भंडारण सुरक्षित रहेगा अनाज
इस समय किसानों ने सरसों, चना, अलसी, गेहूं की कटाई शुरू कर दी है. फसलों की कटाई के बाद कुछ समय के लिए इन का भंडारण करना होता है. यह समय कटाई से अगली बोआई तक या कटाई से बेचने तक होता है.
खेती से बढ़ेगी किसान की आय
धान, गेहूं जैसी परंपरागत फसलों में बढ़ती लागत और कम आमदनी के चलते किसान इन सभी परंपरागत फसलों को कम और ऐसे फसलों को ज्यादा तवज्जुह दे रहे हैं, जिन्हें एक बार लगाने पर कई बार आमदनी हो पाए. सहजन (सोजाना, साईजन, मोरिंगा और इंगलिश में ड्रमस्टिक्स) ऐसी ही फसलों में से एक है.
कृषि यंत्रों से खेती बने रोजगार का जरिया भी
कम होती खेती की जमीन, युवाओं का खेती से मुंह मोड़ कर शहरों की ओर कामधंधे की तलाश में पलायन करना आम बात है. देश के सब से ज्यादा पलायन करने वाले राज्यों में बिहार, उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश जैसे राज्य हैं.
आदर्श पोषण वाटिका घर आगन मे उगाएं सब्जियां
रसोईघर की बाड़ या पोषण वाटिका या फिर गृह वाटिका उस वाटिका को कहा जाता है, जो घर के अगलबगल में हो. यह वाटिका घर के आंगन में ऐसी खुली जगह पर होती है, जहां पारिवरिक मेहनत से, परिवार के इस्तेमाल के लिए विभिन्न मौसमों में मौसमी फल और विभिन्न सब्जियां उगाई जाती हैं.
सब्जियों में सिंचाई
सब्जियों का 90 फीसदी या इस से ज्यादा भाग जल से बना होता है. ऐसे में सब्जियां जल के प्रति अति संवेदनशील होती हैं. ज्यादा सिंचाई और कम सिंचाई दोनों ही हालात सब्जियों पर भारी पड़ते हैं. जल पोषक तत्त्वों के लिए विलेय का काम करता है. जल से सारे पोषक तत्त्व पूरे पौधे तक पहुंच पाता है.
गेहूं कटाई से मंडी तक सावधानी
गेहूं कटाई से मंडी तक सावधानी
अच्छी मिटटी से मिले अच्छी पैदावार
मिट्टी और पानी खेती के आधार हैं. अगर मिट्टी का मिजाज फसल के मुताबिक न हो तो अच्छी फसल नहीं हो सकती. पेश हैं मिट्टी की सेहत से जुड़ी अहम जानकारियां.
सब्जियों की संकर किस्में
राष्ट्रीय बागबानी अनुसंधान संस्थान एवं विकास प्रतिष्ठान 35 सालों से किसानों के लिए सब्जी की खेती पर खासा सहयोग कर रहा है, खासकर के प्याज, लहसुन, टमाटर, लोबिया, मटर, धनिया, मेथी, सहजन जैसी सब्जियां का बेहतर बीज भी मुहैया करा रहा है.
फायदेमंद भिंडी
हमारे देश में भिंडी सब से ज्यादा लोकप्रिय सब्जी मानी जाती है. इस की सब्जी को कई तरह से तैयार कर के पकवान के रूप में इस्तेमाल किया जाता है.
तालाब की मिट्टी से बढ़ती है खेत की पैदावार
दुनियाभर में 60 तरह की मिट्टी पाई जाती है, जिस में से 46 तरह की मिट्टी भारत में पाई जाती है. उन मिट्टियों में से कुछ ही तरह की मिट्टी में खेती से अच्छी पैदावार ली जा सकती है.
ज्वार व बाजरे की फसल को कीड़ों से बचाएं
ज्वार और बाजरे में बीज जमाव के फौरन बाद खड़ी फसल और बालियां बनते समय कीड़ों का हमला होता है. ज्वार और बाजरे की फसल में एकजैसे ही कीड़े नुकसान पहुंचाते हैं. इन में प्ररोह मक्खी, तना बेधक, मिज मक्खी, पायरिला कीड़ा और भूरा भुंग खास कीड़े हैं.
स्ट्राबेरी की खेती से किसान मालामाल
उन्नतशील किसानों के लिए यह जरूरी है कि लाभदायक खेती की जाए, जिस से खेती में मुनाफा हो और किसान उसी पैसे का उपयोग कर के उन्नतशील खेती कर सकें. स्ट्राबेरी की खेती कैश क्रौप की तरह होती है. ऐसे में भारत में बड़ी तेजी से स्ट्राबेरी की खेती किसानों को लुभा रही है..
सब्जियों की खेती में जड़गांठ रोग पहचान और रोकथाम
भारत में बड़े पैमाने पर सब्जी की खेती की जाती है और दुनिया के कुल सब्जी उत्पादन का 14 फीसदी भारत में होता है, जबकि चीन 26 फीसदी सब्जियों का उत्पादन अकेले करता है.
फार्म एन फूड अवार्ड में किसानों ने लगाए स्टाल, मिला सम्मान
फार्म एन फूड अवार्ड में किसानों ने लगाए स्टाल, मिला सम्मान
पशुपालन में उन्नत तकनीकियां
'समय से पहले चेते किसान' यह कहावत काफी पुरानी है. वैसे तो पशुओं के लिए साफ सुथरी खुली जगह होनी चाहिए, लेकिन साथ ही पशुपालक संतुलित आहार और उचित देखभाल कर के अपने पशुओं को बीमार होने से बचा सकते हैं.
त्योहार की मिठाई गुझिया
गुझिया कम लागत में तैयार होने के चलते हर तबके के लोगों के लिए इसे बनाना आसान है. समय के साथ गुझिया का रूप बदल गया है. अब केवल खोया या मावा वाली गुझिया ही नहीं बनती, बल्कि तरहतरह के मेवा जैसे केसर, अंजीर, काजू, पिस्ता और बादाम को मावा के साथ मिला कर गुझिया तैयार होने लगी है.
खरीफ व जायद दोनों मौसम में करें - मूंग की बैज्ञानिक खेती
खरीफ व जायद दोनों मौसम में करें - मूंग की बैज्ञानिक खेती
अनार की आधुनिक खेती
कहावत है ‘एक अनार सौ बीमार'. इस कहावत का सीधा सा मतलब तो यही है कि किसी एक चीज के दावेदार कई लोग हैं. लेकिन अनार को बीमारी से जोड़ने का कोई न कोई मकसद तो जरूर रहा होगा.
वैज्ञानिक विधि से करें केले की खेती
दुनिया में केला सब से लोकप्रिय फल है. इस का नाम अरबी शब्द 'केला' से आया है, जिस का मतलब है उंगली.
राष्ट्रीय दुग्ध दिवस पर दूध पैदावार बढ़ाने पर दिया जोर
नई दिल्ली : देशभर में 26 नवंबर को राष्ट्रीय दुग्ध दिवस के रूप में मनाया जाता है. इस दिन डा. वर्गीज कुरियन का जन्मदिन हुआ था , जो भारत में श्वेत क्रांति के जनक थे.
राम तिल यानी काला तिल खेती से कायम की मिसाल
राम तिल पहाड़ी इलाकों में होने वाली तिलहनी फसल है. इसे गाय, हिरन, जंगली सूअर वगैरह जानवर नहीं खाते हैं.
मेहंदी की खेती
भारत में पुराने जमाने से मेहंदी का इस्तेमाल प्रसाधन के रूप में होता आया है. मेहंदी का प्रयोग शादीविवाह, दीवाली, ईद, क्रिसमस और दूसरे तीजत्योहार वगैरह पर लड़कियां और सुहागिन औरतें करती हैं
नारियल खेती की बढ़ती मांग
बडे शहरों में नारियल का पानी बेचने वालों की तादाद लगातार बढ़ रही है. देश के दक्षिणी राज्यों में तो नारियल की खेती सदियों पुरानी है, लेकिन अब दूसरे नए इलाकों में भी इसे बढ़ावा देने की सरकारी कोशिशें तेजी से चल रही हैं.
गाजरघास की बनाएं खाद
गाजरघास, जिसे कांग्रेस घास, चटक चांदनी, कड़वी घास वगैरह नामों से भी जाना जाता है, न केवल किसानों के लिए, बल्कि इनसानों, पशुओं, आबोहवा व जैव विविधता के लिए एक बड़ा खतरा बनती जा रही है. इस को वैज्ञानिक भाषा में पार्थनियम हिस्टेरोफोरस कहते हैं.
खेती मे काम आने वाली ख़ास मशीने
फसल की कटाई का ज्यादातर काम हंसिए से किया जाता है. एक हेक्टेयर फसल की एक दिन में कटाई के लिए 20-25 मजदूरों की जरूरत पड़ती है.
काजू बनी बेल और फंदे पर लटक गए किसान
मध्य प्रदेश में आदिवासी बहुल बैतूल के यों तो अलगअलग नाम हैं, लेकिन ज्यादातर नाम उस के भौगोलिक पर्यावरण को ध्यान में रखते हुए दिए गए हैं. बैतूल का मतलब कपासरहित इलाका, लेकिन अंगरेजी वर्णमाला के 5 अक्षरों से बने बैतूल शब्द यानी नाम को एक अलग ही पहचान दी गई है.