असम परिसीमन
उसी दिन मुख्यमंत्री हेमंत बिस्व सरमा ने ट्वीट करके 'दुख' जाहिर किया कि 2001 से उनके निर्वाचन क्षेत्र रहे जालुकबाड़ी का नया नक्शा खींचकर उसके दो अहम इलाकों को दूसरे निर्वाचन क्षेत्रों में मिला दिया गया, जबकि अन्य को कहीं और जोड़ दिया गया. सरमा मानते हैं कि राज्य में 2026 के चुनाव के वक्त उनके 70 फीसद मतदाता नए होंगे. फिर भी उन्होंने मसौदे का यह कहकर स्वागत किया, "इसमें असम की भावनाओं की सटीक झलक है."
लेकिन उनके विरोधियों को उनके इस 'नुक्सान' से कोई हमदर्दी नहीं. उनका कहना है कि परिसीमन की पूरी कवायद का एकमात्र मकसद सत्तारूढ़ भाजपा को चुनाव जीतने में मदद करना है. निर्वाचन क्षेत्रों की सीमा को कुछ इस तरह तय करके कि 126 विधानसभा क्षेत्रों में से मुसलमान मतदाताओं का प्रभाव 45 से घटकर महज 22 निर्वाचन क्षेत्रों तक सीमित हो जाए. 2011 की जनगणना के मुताबिक, असम की करीब 35 फीसद आबादी मुसलमान है. समुदाय के करीब 65 फीसद लोग बांग्लाभाषी हैं जिन पर अक्सर 'अवैध बांग्लादेशी प्रवासी' होने का आरोप लगता है.
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नहरें: थीं तो बेशक ये पानी के ही लिए
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