अपनी भौगोलिक स्थिति के कारण भारतीय बंदरगाह दुनिया के लिए एक अहम द्वार बनाते हैं. वे दक्षिणपूर्व एशिया, पश्चिम एशिया और अफ्रीका को जोड़ते हैं. केंद्रीय बंदरगाह, जहाजरानी और जलमार्ग मंत्री सर्वानंद सोनोवाल बता रहे हैं कि भारतीय बंदरगाहों और उनसे संबंधित क्षेत्रों ने 2014 के बाद से कितनी तेजी से तरक्की की है.
सागरमाला
पिछले साल में सागरमाला कार्यक्रम के तहत उठाए गए विभिन्न कदमों ने बंदरगाहों की समग्र परिचालन लागत घटाई है. वहीं, जहाजों की आवाजाही से जुड़ी पूरी प्रक्रिया में लगने वाला समय (टर्नअराउंड) घटा है, बड़े जहाजों को संभालने की क्षमता-दक्षता बढ़ी है और दक्षिण एशियाई क्षेत्र में भारतीय बंदरगाहों का रणनीतिक महत्व बढ़ाने में भी मदद मिली है. नतीजतन, बंदरगाहों ने 2022-23 में भारत को रिकॉर्ड 450 अरब डॉलर मूल्य के माल परिवहन में सक्षम बनाया.
गति शक्ति
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अराजकता के गर्त में वापसी
केंद्र और राज्य के निकम्मेपन से मणिपुर में नए सिरे से उठीं लपटें, अबकी बार नफरत की दरारें और गहरी तथा चौड़ी लगने लगीं, अमन बहाली की संभावनाएं असंभव-सी दिखने लगीं
अब आई मगरमच्छों की बारी
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नहरें: थीं तो बेशक ये पानी के ही लिए
सीवान शहर के पास जुड़कन गांव के कृष्ण कुमार अपने गांव में खुदी पतली-सी नहर की पुलिया पर बैठे मिले. ऐन नहर के किनारे उनका पंपसेट लगा था, जिससे वे अपने खेत की सिंचाई कर रहे थे. वे नहर के बारे में पूछते ही उखड़ गए और कहने लगे, \"50 साल पहले नहर की खुदाई हुई थी. हमारे बाप-दादा ने भी इसके लिए अपनी जमीन दी. हमारा दस कट्ठा जमीन इसमें गया. जमीन का पैसा मिल गया था. मगर इस नहर में एक बूंद पानी नहीं आया. सब जीरो हो गया, जीरो पानी आता तो क्या हमको पंपसेट में डीजल फूंकना पड़ता.\"