जनवरी की 4 तारीख को जब अखिल भारतीय कांग्रेस समिति के अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे संयुक्त आंध्र प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री वाइ.एस. राजशेखर रेड्डी की बेटी वाइ.एस. शर्मिला का पार्टी के तिरंगे की छाप वाली शॉल ओढ़ाकर स्वागत कर रहे थे तो उस दिन उनके भाई और राज्य के मुख्यमंत्री वाइ.एस. जगनमोहन रेड्डी हैदराबाद में भारत राष्ट्र समिति के प्रमुख के. चंद्रशेखर राव का हाल-चाल पूछ रहे थे. राव से उनकी बातचीत करीब दो घंटे हुई. राव की भारत राष्ट्र समिति हाल में तेलंगाना में संघर्षपूर्ण विधानसभा चुनाव में सत्ता से बाहर हो गई. संभव है कि जगनमोहन रेड्डी उनसे नई चुनौतियों और उनकी गलतियों के बारे में पूछ रहे हों.
भाई-बहन की लड़ाई अब वाइएसआर की राजनैतिक विरासत में दरार डाल रही है. जगन ने वर्षों के जबरदस्त संघर्ष के बाद यह विरासत हासिल की थी. अपने नेतृत्व में कांग्रेस को लगातार दूसरी बार विधानसभा चुनाव जितवाने के कुछ समय बाद ही वाइएसआर की सितंबर 2009 में हेलिकॉप्टर हादसे में मृत्यु हो गई थी जिसके बाद परिवार का भी रास्ता अलग हो गया था. जगन ने वर्ष 2011 में अपना राजनैतिक संगठन खड़ा कर लिया और कांग्रेस का कुछ आधार भी हथिया लिया. उसके बाद 2014 में आंध्र प्रदेश का पुनर्गठन हुआ और तेलंगाना बना सबसे पुरानी पार्टी कांग्रेस औंधे मुंह गिरी और वह एक भी सीट नहीं जीत सकी. उसे 2014 के चुनाव में महज 2.4 फीसद वोट मिले (शायद इसलिए कि राज्य के विभाजन के लिए मतदाताओं ने उसे जिम्मेदार माना). 2019 के चुनाव में उसका मत प्रतिशत और गिरकर 1.2 फीसद रह गया (नोटा को मिले वोटों से भी कम वोट).
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नहरें: थीं तो बेशक ये पानी के ही लिए
सीवान शहर के पास जुड़कन गांव के कृष्ण कुमार अपने गांव में खुदी पतली-सी नहर की पुलिया पर बैठे मिले. ऐन नहर के किनारे उनका पंपसेट लगा था, जिससे वे अपने खेत की सिंचाई कर रहे थे. वे नहर के बारे में पूछते ही उखड़ गए और कहने लगे, \"50 साल पहले नहर की खुदाई हुई थी. हमारे बाप-दादा ने भी इसके लिए अपनी जमीन दी. हमारा दस कट्ठा जमीन इसमें गया. जमीन का पैसा मिल गया था. मगर इस नहर में एक बूंद पानी नहीं आया. सब जीरो हो गया, जीरो पानी आता तो क्या हमको पंपसेट में डीजल फूंकना पड़ता.\"