पांच फरवरी को जब नरेंद्र मोदी लोकसभा में बोलने के लिए खड़े हुए तो प्रधानमंत्री के पोर-पोर से आत्मविश्वास और निश्चय की आभा झलक रही थी. उन्होंने विपक्ष में बैठे सदस्यों का मजाक तक उड़ाते हुए कहा कि वे दशकों तक विपक्ष में ही बैठेंगे. उन्होंने दावा किया कि आम चुनाव में सत्तारूढ़ भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) अपने दम पर 370 सीटें जीतेगी, यानी लोकसभा में बहुमत के लिए जरूरी 272 से 98 ज्यादा. उन्होंने भाजपा की अगुआई वाले राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (एनडीए) को हैरतअंगेज 405 सीटें मिलने का अनुमान जाहिर किया. फिर गर्वोक्ति के साथ कहा, “अबकी बार...." और ज्यों ही वे कुछ क्षण ठहरे, सदन में मौजूद उनकी पार्टी के सदस्यों ने वाक्य पूरा कर दिया, "चार सौ पार."
ऐसी कामयाबी सिर्फ राजीव गांधी ने 1984 के आम चुनाव में हासिल की थी. तब वे अपनी मां और देश की प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी की हत्या से उपजी सहानुभूति की लहर पर सवार थे, जिसने 404 सीटों का विशालकाय बहुमत कांग्रेस की झोली में डाल दिया था. बाद में देश की इस सबसे पुरानी पार्टी ने असम और पंजाब में देर से हुए चुनावों में 10 सीटें जीतकर और उसमें जोड़ लीं. मोदी को यह भी पता है कि अगर वे स्पष्ट बहुमत के साथ लोकसभा के लगातार तीन चुनाव जीत लेते हैं, तो राजीव के नाना जवाहरलाल नेहरू के रिकॉर्ड की बराबरी कर लेंगे. देश के पहले प्रधानमंत्री ने 1964 में अपनी मृत्यु से पहले कांग्रेस को 1952, 1957 और 1962 के लोकसभा चुनावों में लगातार जीत दिलाई थी.
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ठोकने की यह कैसी नीति
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नहरें: थीं तो बेशक ये पानी के ही लिए
सीवान शहर के पास जुड़कन गांव के कृष्ण कुमार अपने गांव में खुदी पतली-सी नहर की पुलिया पर बैठे मिले. ऐन नहर के किनारे उनका पंपसेट लगा था, जिससे वे अपने खेत की सिंचाई कर रहे थे. वे नहर के बारे में पूछते ही उखड़ गए और कहने लगे, \"50 साल पहले नहर की खुदाई हुई थी. हमारे बाप-दादा ने भी इसके लिए अपनी जमीन दी. हमारा दस कट्ठा जमीन इसमें गया. जमीन का पैसा मिल गया था. मगर इस नहर में एक बूंद पानी नहीं आया. सब जीरो हो गया, जीरो पानी आता तो क्या हमको पंपसेट में डीजल फूंकना पड़ता.\"