राष्ट्रीय लोकदल (रालोद) के संस्थापक अजित सिंह का जन्मदिन मनाने के लिए कार्यकर्ता नई दिल्ली के शाहजहां रोड स्थित पार्टी के कार्यालय में जुटने लगे थे. कार्यकर्ताओं को उम्मीद थी कि रालोद के राष्ट्रीय अध्यक्ष जयंत चौधरी अपने पिता के जन्मदिवस पर राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (एनडीए) में शामिल होने की आधिकारिक घोषणा कर सकते हैं. ये अटकलें तब शुरू हुईं जब 9 फरवरी को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा चरण सिंह को भारत रत्न देने की घोषणा पर प्रतिक्रिया देते हुए चौधरी ने 'एक्स' पर पोस्ट किया था: "दिल जीत लिया." जब उनसे पूछा गया कि क्या वे भाजपा के साथ हाथ मिला रहे हैं तो उन्होंने कहा था, "आज मैं किस मुंह से इनकार करूं." जैसी उम्मीद थी, चौधरी ने वैसा ही किया. अपने पिता और पार्टी संस्थापक अजित सिंह को उनकी जयंती पर श्रद्धांजलि देने के बाद चौधरी ने रालोद के एनडीए में शामिल होने की घोषणा कर दी. चौधरी ने कहा, "मैंने अपने सारे विधायकों से बात कर ली है. हमें अल्प समय में यह फैसला लेना पड़ा क्योंकि परिस्थितियां ऐसी थीं. हमारे सभी विधायक और कार्यकर्ता इस फैसले में हमारे साथ हैं." रालोद के शामिल होने से यूपी में लोकसभा चुनाव से पहले से एनडीए का कुनबा बीते एक दशक के भीतर रिकॉर्ड बढ़ चुका है.
इससे पहले पिछले वर्ष दिसंबर में अपने जन्मदिन पर चौधरी ने मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की जिस तरह से तारीफों के पुल बांधे, उसने भी इंडिया गठबंधन की सहयोगी पार्टी रालोद के बदले रुख की ओर संकेत कर दिया था. हुआ यह था कि उत्तर प्रदेश पुलिस में 60,244 सिपाहियों की भर्ती निकली. इस भर्ती के लिए युवक निर्धारित उम्र सीमा में तीन साल छूट की मांग कर रहे थे. चौधरी की पार्टी रालोद भी युवाओं की मांग के समर्थन में थी. चौधरी ने भी सोशल मीडिया पर अपनी इस मांग को उठाया था. मुख्यमंत्री ने 26 दिसंबर को युवाओं की मांग मानते हुए सिपाही भर्ती के लिए निर्धारित उम्र सीमा में तीन साल की छूट देने का ऐलान कर दिया. इस फैसले के तुरंत बाद चौधरी ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर लिखा, "कल मेरा जन्मदिवस है और इससे अच्छा तोहफा नहीं मिल सकता! उत्तर प्रदेश में 60,244 सिपाही भर्ती में तीन साल की आयु सीमा बढ़ेगी! योगी जी ने उचित निर्णय लिया है."
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नहरें: थीं तो बेशक ये पानी के ही लिए
सीवान शहर के पास जुड़कन गांव के कृष्ण कुमार अपने गांव में खुदी पतली-सी नहर की पुलिया पर बैठे मिले. ऐन नहर के किनारे उनका पंपसेट लगा था, जिससे वे अपने खेत की सिंचाई कर रहे थे. वे नहर के बारे में पूछते ही उखड़ गए और कहने लगे, \"50 साल पहले नहर की खुदाई हुई थी. हमारे बाप-दादा ने भी इसके लिए अपनी जमीन दी. हमारा दस कट्ठा जमीन इसमें गया. जमीन का पैसा मिल गया था. मगर इस नहर में एक बूंद पानी नहीं आया. सब जीरो हो गया, जीरो पानी आता तो क्या हमको पंपसेट में डीजल फूंकना पड़ता.\"