CATEGORIES
क्या आदतन झूठी है यूपी पुलिस ?
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ का हाथरस केस में नया बयान होगा जिसका हर किसी को इंतजार होगा. मुमकिन है जैसे यूपी पुलिस ने केंद्र सरकार को हाथरस में बलात्कार न होने के दावे के साथ पत्र लिखा है, नये सिरे से शिकायती पत्र लिख डाले कि सीबीआई की जांच सही दिशा में नहीं जा रही है और जानबूझ का जाति के आधार पर बेकसूर नौजवानों के खिलाफ चार्जशीट फाइल की गयी है!
यूपी में आप व ओवैसी का भविष्य!
उत्तर प्रदेश के विधानसभा चुनावों में अभी अच्छा खासा वक्त बचा हुआ है. लेकिन राजनीति के सियासी खिलाड़ी अपनी अपनी पिच तैयार करने में जुट गए हैं. सत्ताधारी भाजपा अपनी रणनीतियों को और अमलीजामा पहना रही है तो विपक्षी दल भी अपने अपने समीकरण साधने में जुटे हुए हैं.
बढ़ती जनसंख्या, घटते संसाधन
जनसंख्या वृद्धि कही न कही हमें आने वाले समय में भयंकर दुष्परिणाम की तरफ ले जा रही है, इसपर हम आज न सचेत हुए तो आने वाले समय में संसाधनों के लिए महायुद्ध जैसी स्थिति का सामना करना पड़ सकता हैं. क्योंकि दैनिक उपयोग के संसाधन जैसे की पेट्रोल, डीजल, पेयजल, निवास और खेती हेतु भू-भाग इत्यादि सीमित मात्रा है.
ऑनलाईन गेमिंग की ओर अग्रसर होता देश
अधिकांश हमने देखा हैं कि फिल्मों और धारावाहिकों में काल्पनिक यानि कि आभासी दुनिया में ले जाया जाता है. वो ख्वाब जो कभी पूरे नहीं हो सकते वे इनमें डिसक्लेमर के साथ पूरे होते हुए दिखाए जाते है.
...जय किसान आंदोलन देश का
दिल्ली की सीमा किसानों के कब्जे में है. किसान डटे हैं और उनका स्पष्ट कहना है कि चाहे ठंड पड़े या दंड मिले लेकिन वे अपनी मांगों से पीछे नहीं हटेंगे. इधर सरकार भी संकेत दे रही है कि वह थोडी नरम हो सकती है. बीच का रास्ता तो निकलेगा लेकिन उसमें सियासी लाभ कौन उठायेगासत्ता पक्ष या विपक्ष. यह देखना दिलचस्प होगा. इस गैरराजनीतिक आंदोलन का परोक्ष रुप से राजनीतिक लाभ लेने में सभी सियासी दल लगे हैं, ऐसे में किसानों के हित कितने पूरे होते हैं, इसी का विश्लेषण करती यह रिपोर्ट...
किसान आंदोलन के इतिहास पर एक नजर
पचास हजार संथाल किसान लड़ाकू वीरों के संग्राम को लीजिए. इन संथाल किसानों पर भयंकर अत्याचार करने वाले सूदखोर, महाजनों, जमींदारों और विदेशी सरकार के नापाक त्रिस्तरीय गुट के अत्याचार व शोषण के खिलाफ किसानों ने बड़ी वीरता और उत्साह से लड़ाई चलाई. उनमें से आधे से ज्यादा किसानों ने लड़ते-लड़ते अपनी जान की आहुति दे दी. अंग्रेजों ने नई भूमि व्यवस्था लागू कर दी जिस वजह से उनकी साफ की गई खेती योग्य जमीन जमींदारों के पास आ गई. अंग्रेज और जमीदारों ने कृषि पर मालगुजारी भी बढ़ा दी.
क्या मुस्लिम मतदाता ममता को देंगे मात?
कुल 29 फीसदी वोट बैंक को ध्यान में रखकर ममता बनर्जी अपनी रणनीती तय करती है तो ऐसे में तृणमूल कांग्रेस को पुनः सत्ता में वापसी करना कठिन साबित हो सकता है. क्योंकि बंगाल में 50-60 विधानसभा क्षेत्रों में ही मुस्लिम मतदाता निर्णायक भूमिका में हैं. जबकि कुल 242 विधान सभा क्षेत्रों में अधिकांश में हिंदू वोटर ही जीत या हार का फैसला तय करेंगे.
घांसू है कुली नंबर 1 का सॉन्ग 'हुस्न है सुहाना'
बॉलीवुड की मोस्ट अवेटेड फिल्मों में से एक 'कुली नंबर 1' अब जल्द ही रिलीज होने वाली है. फिल्म का ट्रेलर और एक गाना पहले ही धूम मचा चुका है. वहीं अब इस फिल्म का एक नया गाना रिलीज होते ही सोशल मीडिया पर छा गया है. यह गाना है 'हुस्न है सुहाना...' का नया वर्जन.
ब्रिटिश टापू की तरफ बढ़ रहा है दुनिया का सबसे बड़ा आइसबर्ग
अंटार्कटिका के नजदीक स्थित ब्रिटिश टापू पर संकट के बादल मंडराते दिखाई दे रहे हैं. इसकी वजह बना है दुनिया का सबसे बड़ा हिमपर्वत या आइसबर्ग. ये आइसबर्ग 1 ट्रिलियन टन वजनी है.
बदले-बदले से शिवराज
कांग्रेस को सत्ता से बेदखल कर चौथी बार सीएम बनने के बाद से शिवराज सिंह चौहान के तेवर बदले हुए नजर आ रहे हैं. दरअसल शिवराज सिंह चौहान उत्तर प्रदेश के सीएम योगी आदित्यनाथ की तर्ज पर अपनी छवि हार्डलाइनर नेता के तौर पर गढ़ने की कोशिश कर रहे हैं. यही वजह है कि योगी आदित्यनाथ द्वारा यूपी में उठाए जा रहे मुद्दे अब एमपी में भी उठने लगे हैं और ना सिर्फ मुद्दे उठ रहे हैं बल्कि इस दिशा में काम भी हो रहा है.
फिल्म सिटी पर सियासत का निहितार्थ
देशभर में जहां एक ओर किसान आंदोलन की लहर है. वहीं उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ अपनी नोएडा फिल्मसिटी को लेकर चर्चा में बने हुए हैं. ऐसे में बॉलीवुड के साथ-साथ मुख्यमंत्री को भोजपुरी सिनेमा जगत से भी जमकर समर्थन मिलता दिखाई दे रहा है.
विकास का मुद्दा है, एक देश एक चुनाव
वर्ष 1999 में विधि आयोग ने अपनी एक सौ सत्तर वीं रिपोर्ट में लोकसभा और विधानसभाओं के चुनावों को एक साथ कराने का समर्थन किया था. लेकिन इसके लिए संविधान में संशोधन करने की जरुरत होगी, क्योंकि यह देखा गया है कि पूर्व में विधानसभाएं समय रहते ही भंग होती रही हैं. जाहिर है कि कई राज्य विधानसभाओं का समय सीमा भी कम करना होगा और कई का समय सीमा बढ़ाना भी पड़ेगा.
विजय दिवस की जय गाथा
16 दिसंबर 1971 को भारत की तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी संसद भवन के अपने कार्यालय में स्वीडिश टेलीविजन को साक्षात्कार दे रही थीं कि तभी उनकी मेज पर रखा लाल रंग का टेलीफोन बजा. रिसीवर उठाकर उन्होंने मात्र चार शब्द कहे, यस-यस, बैंक यू. फोन पर दूसरी ओर भारतीय सेना के जनरल मानेक शॉ थे जो प्रधानमंत्री को बांग्लादेश में जीत की खबर दे रहे थे. श्रीमती गांधी साक्षात्कार बीच में ही छोड़कर तुरंत वहां से उठकर तेज कदमों से लोक सभा की तरफ बढ़ीं. अभूतपूर्व शोर शराबे के बीच उन्होंने घोषणा की ढाका अब एक स्वतंत्र देश की स्वतंत्र राजधानी है. बाकी का उनका वक्तव्य तालियों की गड़गड़ाहट और नारेबाजी के बीच डूब गया.
क्या होते हैं माइक्रोवेव हथियार?
बीते 17 नवंबर को मीडिया में एक अफवाह ने खबर का रूप ले लिया, लेकिन बाद में भारतीय सेना ने इन दावों को पूरी तरह से खारिज किया है. दरअसल, अफवाह यह चली कि चीन की पीपल्स लिबरेशन आर्मी (पीएलए) ने लद्दाख में माइक्रोवेव हथियारों का इस्तेमाल किया है.
भारतीय अर्थव्यवस्था को मिला एक नया आयाम
बेहद सरत्त लॉकडाउन के कारण गंभीर दौर से गुजरने के छह महीने बाद आरिवरकार अर्थव्यवस्था में सुधार के आसार बन रहे हैं. ब्रिकवर्क रेटिंग्स के मुताबिक, भारतीय अर्थव्यवस्था के सुधार की तरफ बढ़ने के कुछ संकेत मिले हैं, लेकिन यह अर्थव्यवस्था के पटरी पर लौटने का दौर बेहद क्षणिक हो सकता है.
ब्रिक्स को कमजोर करता चीन
दुनियाभर में आतंकवाद से लड़ने के मामले में भारत को छोड़कर शेष ब्रिक्स देशों की लुंजपुंज नीति इसकी उपयोगिता पर ही सवाल खड़े करती है.
लव जिहाद की दुकान पर 'कानून' का ताला
मध्य प्रदेश की शिवराज सरकार ने लव जिहाद पर अध्यादेश लाने का फैसला किया है. धार्मिकता की आड़ में होने वाले इस घिनौने अपराध पर लगाम लगनी चाहिए. बिल पास करवाने में अगर मामा की सरकार सफल रही तो लव जिहाद के खिलाफ सरकार की यह पहली सर्जिकल स्ट्राइक होगी. इसके पूर्व कर्नाटक, हरियाणा और यूपी ने इसपर कानून बनाने का फैसला किया है.
केजरीवाल की फ्यूचर पॉलिटिक्स
दिल्ली में कोरोना वायरस का प्रकोप फिर से विस्फोटक रूप ले चुका है. आंकड़े बताते हैं कि दिल्ली में औसतन हर घंटे कम से कम चार लोगों की कोरोना से मौत हो रही है. ऐसी ही हालत जून में हुई थी,जब केंद्र सरकार को मदद के लिए आगे आना पड़ा था और तब दिल्ली और केंद्र दोनों ही सरकारें मिल कर कोरोना से जंग लड़ रही हैं.
कांग्रेस क्या वाकई है मुक्ति की छटपटाहट?
14-15 अगस्त 1947 की आधी रात को दुनिया सो रही थी तब हिन्दुस्तान अपनी नियति से मिलन कर रहा था. कांग्रेस आजादी की लड़ाई का दूसरा नाम बन चुकी थी. उस कांग्रेस के सबसे बड़े नेता थे पंडित जवाहर लाल नेहरू.आजादी के उस दौर के पांच साल के भीतर कांग्रेस का सत्ता से साक्षात्कार हुआ.लेकिन नियति से हाथ मिलाने के 72 साल बाद आज वही पार्टी अपनी रहनुमाई और दिन संवारने की उम्मीद में नेहरू-गांधी परिवार से इतर नजरें टिकाई बैठी है.
आसान नहीं है गुर्जर आरक्षण की राह
राजस्थान में गुर्जर आरक्षण को लेकर आन्दोलन तेज है. गुर्जर आरक्षण संघर्ष समिति के संयोजक कर्नल किरोड़ी बैंसला का कहना है कि दो वर्षों से समाज को सिर्फ आश्वासन मिल रहा है, इसलिए मजबूरी में उन्हें आन्दोलन का रास्ता अपनाना पड़ा. हालांकि एक नवम्बर से जारी इस आन्दोलन से पहले ही गुर्जर समाज इस आन्दोलन को लेकर दोफाड़ हो गया है, जिनमें से एक खेमा 31 अक्तूबर को सरकार के साथ कुछ बिन्दुओं पर सहमति बनने के बाद समाज हित में आन्दोलन खत्म करने की अपील कर रहा है तो कर्नल बैंसला के नेतृत्व में दूसरा खेमा आन्दोलन को उग्र रूप देने पर उतारू है. राज्य में एमबीसी (मोस्ट बैकवर्ड कास्ट) की भर्तियों सहित 6 सूत्रीय मांगों को लेकर शुरू हुए गुर्जरों के इस आन्दोलन की कमान कर्नल बैंसला के पुत्र विजय बैंसला संभाले हुए हैं, जिनके नेतृत्व में गुर्जर समुदाय के लोग बड़ी संख्या में रेलवे ट्रैकों पर डटे हैं और कुछ जगहों पर फिश प्लेटें उखाड़ दी गई हैं.
अर्थव्यवस्था उम्मीद की खनक
कोरोना काल न केवल भारत बल्कि पूरी दुनिया की अर्थव्यवस्था के लिए ग्रहणकाल रहा. लेकिन जो आंकड़े सामने आ रहे हैं, उससे बाजार में चुस्ती के संकेत साफ दिख रहे हैं और अर्थव्यवस्था के पटरी पर पुनः लौटने की पुष्टि कर रहे हैं. देश की अर्थव्यवस्था की विश्लेषण करती उमेश्वर कुमार का विश्लेषण...
मीडिया को क्या चाहिए, स्वतंत्रता या स्वछंदता!
देश में अभिव्यक्ति की आजादी, मीडिया की आजादी को लेकर बड़ी बहस छिड़ी हुई है. भारत में मीडिया, खासकर इलेक्ट्रॉनिक मीडिया आज उस स्तर पर है, जहां वर्चस्व की साफ-सीधी लड़ाई है, लेकिन यह दौर वर्जनाओं के टूटने का है. पुराने मानदंड टूट रहे हैं.
यहां ताकत बने तो आगे निकल जाएंगे हम
दिल्ली में पिछले महीने एक ऐसा वैश्विक सम्मेलन हुआ, जिसमें भारत की आधुनिक वैज्ञानिक दृष्टि और महत्वाकांक्षा की झलक दिखाई दी. सामाजिक सक्षमता के लिए उत्तरदायी कृत्रिम बुद्धिमत्ता यानी 'रेज' (रेस्पॉन्सिबल आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस फॉर सोशल एम्पावरमेंट) से जुड़े इस सम्मेलन ने आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस के बारे में वैश्विक विमर्श की बड़ी पहल की. दर्जनों सत्रों, चर्चाओं, व्याख्यानों और बहसों में विज्ञान और तकनीक की दुनिया में काल-विभाजक परिवर्तन लाने में सक्षम इस विषय पर अंतरराष्ट्रीय वैचारिक धारा को प्रभावित करने वाले ज्वलंत मुद्दे उठे. किंतु केंद्र में रहा भारत, उसकी क्षमताएं, नेतृत्वकारी स्थिति तथा महत्वाकांक्षाएं.
'सभ्यता-पूर्व'का महापर्व है छठ
बिहार, झारखंड, पूर्वांचल या आसपास के क्षेत्रों का सबसे बड़ा लोकपर्व छठ इस बार कुछ अलग होगा. आम तौर पर नदी, तालाब के तट पर समूह में छठव्रती छठ पूजा करते हैं लेकिन इस वर्ष कोरोना वायरस के संक्रमण की वजह से सोशल डिस्टेंसिंग से नजारा कुछ बदला होगा. खैर, यह सूयोर्पासना का पर्व सदियों से चला आ रहा है लिहाजा पर्व तो मनाया ही जाएगा लेकिन कुछ अलग ढंग से. हालांकि छठ का त्योहार आते ही देश के विभिन्न हिस्सों में लोग यह सवाल पूछने लग जाते हैं कि आखिर छठ क्यों मनाया जाता है? यह पर्व कब से मनाया जा रहा है और इसकी सर्वव्यापकता का राजक्या है?
राजनीतिक मैदान से सपा-बसपा नदारद
लोकतंत्र में सत्ता पक्ष को संतुलन में रखने के लिए सशक्त विपक्ष आवश्यक है, लेकिन विपक्ष खुद ही स्वयं को निर्बल बना ले और अपने क्रियाकलाप से अवसरवादी होने का संकेत देने लगे तो फिर सत्ता की हनक सनक में बदलते देर नहीं लगती. ताजा स्थिति उत्तर प्रदेश की यह बन गई है कि यहां के दोनों प्रमख विपक्षी दल सपा और बसपा पूरी तरह से राजनीतिक मैदान छोड़ कर गायब है.
लकड़ी के टुकड़े को जीवंत बनाते हैं कमांडेट मनोरंजन कुमार
सीमा सुरक्षा बल के कमांडेंट के रूप में तैनात मनोरंजन कुमार को देख कर सहसा आपको अपनी आंखों पर भरोसा ही नहीं होगा कि सेना में उच्चाधिकारी के पद पर कार्यरत इस व्यक्ति में ईश्वर ने इतनी प्रतिभा कैसे भरी है.
फेर नीतीशे कुमार
चुनाव परिणाम के अनुसार, 243 विधानसभा सीटों में से राजग को 125 तो महागठबंधन को 110 और लोजपा को महज 1 सीट तो अन्य के खाते में 7 सीटे गईं है. राजग के घटकों में भाजपा को 14, जदयू को 43, विकासशील इंसान पार्टी (वीआईपी) को चार और हिंदुस्तानी आवाम पार्टी (हम) को चार सीटें मिली. तो वहीं महागठबंधन में राजद को 75, कांग्रेस को 19, वाम दलों को 16 सीटें तथा लोजपा को एक, बसपा को एक और असदुद्दीन अवैसी की पार्टी एआईएमआईएम 5 सीटों पर जीत हासिल हुई. कोरोना काल के दौरान देश में हुए इस सबसे बड़े चुनाव के नतीजे आने में 15 घंटे से अधिक समय लगा. लेकिन राजग और महागठबंधन के बीच के मुकाबला काटे का रहा. अंत-अंत तक स्थिति में किसी भी प्रकार के उलट-पुलट की संभावना से इनकार करने लायक स्थिति नहीं थी.
ममता तलाश रही अमित शाह की रणनीति की काट
नवंबर के पहले सप्ताह में भाजपा के वरिष नेता तथा गृहमंत्री अमित शाह का तीन दिवसीय पश्चिम बंगाल के दौरे को राजनीतिक विश्लेषक सूबे में होने वाले विधानसभा चुनाव के मद्देनजर इसे चुनावी दौरा ही मान रहे हैं. सूबे का सत्ता पक्ष अर्थात तृणमूल कांग्रेस उनके दौरे व उसके निहितार्थ पर नजर जमाये हुए हैं. अब स्थिति यह हो गई है कि पश्चिम बंगाल में ममता को वाम दलों के बजाय अब भाजपा से सीधेसीधे मुकाबला करनी होगी.
उपचुनाव में भाजपा की बल्ले-बल्ले
'मोदी है तो मुमकिन है', लगता है अब यह नारा नहीं बल्कि हकीकत बन गया है. बिहार विधानसभा चुनाव में भारतीय जनता पार्टी ने अपने शानदार प्रदर्शन की बदौलत ना सिर्फ दूसरे सबसे बड़े दल का खिताब हासिल किया बल्कि अपने जबरदस्त स्ट्राइक रेट की बदौलत एनडीए की फिर से सरकार भी बना ली.
एनआरसी में बांग्लादेशियों के नाम पर मचा है बवाल
एनआरसी की अंतिम सूची में बड़ी संख्या में अवैध बांग्लादेशियों के नाम निकलकर सामने आए हैं. इसी के बाद असम सरकार ने सुप्रीम कोर्ट से अंतिम सूची में शामिल नामों का दोबारा सत्यापन करने और 10 प्रतिशत नामों को हटाने की अनुमति मांगी है.