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पितरों का सम्मान करना हमारा नैतिक कर्त्तव्य
हमें भारतीय संस्कृति पर पूर्ण विश्वास करते हुए अपना नैतिक कर्त्तव्य समझकर अपने पूर्वजों के प्रति कर्त्तव्यपालन करना चाहिए, क्योंकि पितरों का सम्मान करना हमारा नैतिक कर्त्तव्य है।
जीवन प्रबन्धन के देवता श्रीगणेश!
भारत में आदिकाल से ही गणेश पूजा की परम्परा चली आ रही है। कोई भी शुभ कार्य श्रीगणेश पूजन से ही आरम्भ होता है। चाहे वह विवाह हो अथवा भवन निर्माण आदि।
श्रीगणेशपञ्चरत्नम्
आद्य शंकराचार्य ने भगवान् गणेश की स्तुति हेतु 'श्रीगणेशपञ्चरत्नम्’ नामक सुन्दर स्तोत्र की रचना की। इस स्तोत्र में छह पद हैं। अन्तिम पद में फलश्रुति का वर्णन करते हुए कहा गया है कि प्रतिदिन इस स्तोत्र का प्रात:काल पाठ करने पर आरोग्य, निर्दोषत्व, सत्साहित्य में उपलब्धि, सुपुत्र लाभ, लम्बी आयु और आठों विभूतियाँ प्राप्त हो जाती हैं। इसी कारण इस स्तोत्र का पाठ विद्यार्थियों, कलाविदों, साहित्यकारों, विद्वानों, शिक्षकों, लेखकों आदि को करने की सलाह दी जाती है।
शुक्र एवं शनि का फल
कैसे करें सटीक फलादेश (भाग-194) मीन लग्न के अष्टम भाव में स्थित
महान् दार्शनिक, शिक्षाविद् और कुशल प्रशासक डॉ. राधाकृष्णन
डॉ. राधाकृष्णन प्रेरक, मनस्वी और उदात्त शिक्षक के रूप में सदैव व्यक्ति, समाज, राष्ट्र की चेतना को 'सत्यम्, शिवम्, सुन्दरम्' सिद्धि के लिए स्पन्दित करते रहे। वास्तव में आज मानव को उन जैसे ही स्वभाव की आवश्यकता है।
वृक्षों पर होता है अलौकिक शक्तियों का निवास
एक धार्मिक विधि सम्पन्न हो रही थी। वृद्धा ने आशीर्वाद दिया 'घर में लक्ष्मी का निवास हो, वंश को केले के पेड़ के अनुसार फूल दो, दूर्वांकर के समान वंश विस्तार हो, वट-वृक्ष एवं पीपल के समान तपस्वी बनकर सबको छाया का सुख दो।'
मूलसंज्ञक नक्षत्र में जन्म कहीं अशुभ कर्मों का फल तो नहीं
कोई वृन्दावन में प्रथम बार आते ही भक्ति पा जाता है और कोई 15 वर्षों से वहाँ रह रहा है, तब भी उसे भक्ति नहीं मिल पाती है, क्योंकि सबके कर्म अलग-अलग हैं और फल भी अलग-अलग प्रकार से प्राप्त होते हैं।
स्टूडियो के वास्तुदोष भी हैं नितिन देसाई की सुसाइड कारण!
वास्तुदोषों के कारण ही एन. डी. स्टूडियो जब से बना, तभी से ही नुकसान में चल रहा था। ज्यों-ज्यों स्टूडियो में नये-नये फ्लोर बनते गये, त्यों-त्यों नुकसान घटने की जगह बढ़ता ही गया।
प्रतीकों से जानिए कृष्ण स्वरूप
बाँसुरी अथवा मुरली के बिना कृष्ण की कल्पना नहीं की जा सकती। इसी तरह कृष्ण का मोर मुकुट, गायें, माखन के प्रति उनका लगाव, नृत्य और रास उनके व्यक्तित्व से जुड़े हैं।
जब राधा जी ने दी श्रीकृष्ण को चुनौती!
जब भक्त को अपने भगवान् के सिवाय और कुछ नहीं दिखाई देता, जब उसे अपने भगवान् से इतना प्रेम हो जाता है कि उसे अपना भी भान नहीं रहता कि वह कौन है? तब वह अपने असली स्वरूप को ही भूल जाता है। ऐसा ही एक बार राधा जी के साथ भी हुआ।
मणिपुर में हो रही हिंसा में वास्तुदोषों की भूमिका!
आग्नेय कोण में नीचाई हो, तो शत्रुओं से कष्ट होता है और विवाद होते हैं। मणिपुर एक अण्डाकार घाटी में स्थित है, इस भौगोलिक स्थिति के कारण मणिपुर में गरीबी है और यहाँ के लोगों को विभिन्न प्रकार की समस्याओं का सामना करना पड़ता है।
जानें कुण्डली में छिपा कर्म रहस्य!
गलत कर्मों को करने से मनुष्य को डरना चाहिए, क्योंकि यदि नहीं डरें और गलत कर्म किए, तो यही कर्मा जब मनुष्य को पीड़ित करेगा, तो वह बड़ी भय वाली स्थिति होगी और फिर कर्ज का वह भोग लाचारी के साथ करना ही होगा।
दिव्य ज्योति है राधा!
भक्ति, प्रेम और रस की त्रिवेणी जब हृदय में बहने लगती है तो मन 'तीर्थ' बन जाता है। मन में जगे इस महाभाव को ही 'राधाभाव' कहते हैं। श्रीकृष्ण जिनके लिए परम आराध्य हैं। जो भक्त उन्हें अपना सर्वस्व मानते हैं उनके लिए श्रीकृष्ण ही आनंद का मूर्तिमान स्वरूप है और उनके प्रति प्रेम की सर्वोच्च अवस्था ही 'राधाभाव' है।
चाँद पर भारत के कदम ...'मैं अपनी मंजिल पर पहुँच गया और आप भी...'
यह संदेश चाँद से आया है और भेजने वाला है भारत के चन्द्रयान-3 मिशन का ‘विक्रम लैंडर'। 23 अगस्त, 2023 को चन्द्रमा की सतह पर पहुँचने के बाद उसने यह संदेश भेजा और उसके साथ ही चाँद की सतह की एक तस्वीर भी भेजी।
यदा यदा हि धर्मस्य ग्लानिर्भवति भारत ...
वसुदेव 'विशुद्ध चित्त' और देवकी 'निष्काम बुद्धि' थीं। ये दोनों मिलते हैं, तभी तो भगवान् का जन्म होता है।
चारधाम यात्रा की अधूरी है बिना नैमिषारण्य धाम
सनातन धर्म में प्रत्येक मनुष्य की इच्छा होती है कि वह एक बार चार धाम की यात्रा करे। यही कारण है कि प्रत्येक वर्ष बड़ी संख्या में लोग चार धाम की यात्रा पर निकलते हैं। चार धाम यात्रा करने पर पुण्य की प्राप्ति होती है। हालाँकि उत्तरप्रदेश में। एक ऐसा पवित्र तीर्थस्थल है, जहाँ दर्शन नहीं करने पर चारधाम की यात्रा अधूरी मानी जाती है।
विश्व हॉकी में भारतीय पताका फहराने वाले हॉकी के जादूगर मेजर ध्यान चन्द
1928 से 1936 तक तीन बार ओलम्पिक हॉकी प्रतियोगिता में भारत को सोने का तमगा दिलाने के बाद तो ध्यानचन्द की पूरे विश्व में जैसे धूम ही मच गई थी। खचाखच भरे स्टेडियम में लोग सिर्फ ध्यानचन्द को देखने आते थे।
आस्था और विश्वास की यात्रा अमरनाथ यात्रा
बाहर की ओर जल की मोटी धारा में से थोड़ा-थोड़ा जल प्रसाद के रूप में एक व्यक्ति सबको देता है। यहीं पर यात्रा की समाप्ति के पश्चात् यात्री वापस लौटना आरम्भ कर देते हैं।
रक्षाबन्धन महान् घटनाओं का संगम दिवस!
देवों और दानवों के युद्ध में जब देवता हारने लगे, तब वे देवराज इन्द्र के पास गए। देवताओं को भयभीत देखकर इन्द्राणी (देवराज इन्द्र की पत्नी) ने उनके हाथों में रक्षासूत्र बाँध दिया।
सच्चरित्र तथा कुलवधिंनी स्त्री प्राप्ति के योग
सभी ऐश्वर्य स्त्री के बिना अपूर्ण होते हैं। यानि एक स्त्री ही पुरुष को पूर्ण करती है और समस्त ऐश्वर्य नहीं होने पर भी सद्गुणी स्त्री की प्राप्ति इस खामी की कमी खलने तक नहीं देती है।
कालजयी हैं तुलसीदास जी
लोकमंगल की भावना से तुलसी ने भक्ति, ज्ञान और कर्म की ऐसी त्रिधारा बहाई, जिसमें गोता लगाकर मन को शान्ति और आनन्द मिलता है। जहाँ राम हैं, वहीं तुलसी का नाम भी सहज ही स्मरण हो जाता है।
परम शान्ति मिलती है भगवान् शंकर को जल चढ़ाने से
भगवान् शंकर को जल चढ़ाने से परम शान्ति मिलती है। दूध एवं दही की धारा चढ़ाने से सन्तान प्राप्ति, गन्ना के रस चढ़ाने से लक्ष्मी की प्राप्ति, मधु धारा के चढ़ाने से कोष की वृद्धि, घी के चढ़ाने से ऐश्वर्य की प्राप्ति और तीर्थ जल चढ़ाने से मोक्ष मिलता है।
आई तीज बिखेर गई बीज
राजस्थान का सांस्कृतिक वैभव अतुलनीय है। कहीं मेले-उत्सव, तीज-त्योहार की उमंग है, तो कहीं धोरों में गूँजती स्वर लहरियाँ हैं।
क्या आप प्रतियोगिता परीक्षा में सफल हो पाएँगे?
प्रतियोगिता परीक्षा में सफलता का विचार करते समय लग्न, तृतीय, पंचम, षष्ठ, सप्तम, नवम एवं एकादश भाव का विचार मुख्य रूप से करना चाहिए।
आखिर कब होगा कल्कि अवतार?
भारतीय परम्परा में अवतारवाद का महत्त्वपूर्ण स्थान है।
रक्षाबन्धन मुहूर्त
30 अगस्त, 2023
गोस्वामी तुलसीदास की जन्मतिथि: एक गवेषणा
रामचरितमानस के लेखक एवं महान् संत गोस्वामी तुलसीदासजी का यशोगान समस्त हिन्दू धर्मावलम्बियों के घरों में किया जाता है, परन्तु ऐसे महान् संत की जन्मतिथि के सम्बन्ध में अभी भी निश्चित रूप से कुछ नहीं कहा जा सकता।
तुलसीदासजी की जन्मपत्रिका!
हाल ही में तुलसीदासजी की एक जन्मपत्रिका संज्ञान में आई, जो कि तुला लग्न की थी, जिसमें लग्न में शनि-गुरु, मकर का राहु, मिथुन का चन्द्रमा, कर्क का सूर्य, मंगल और केतु, सिंह का बुध तथा कन्या का शुक्र था।
चंद्रयान-3 उडा चांद की ओर... नए राज़ खुलेंगे अब
चंद्रयान-3 मिशन से जुड़े वैज्ञानिक टीम में प्रोजेक्ट डायरेक्टर पी. वीरामुत्थुवल के अलावा 29 एसोसिएट व डिप्टी डायरेक्टर थे। 55 प्रोजेक्ट मैनेजर थे। एसोसिएट डायरेक्टर कल्पना की अहम भूमिका रही।
भवसागर पार कराने वाले गुरु ईश्वर-तुल्य हैं
‘आचार्य देवोभवः' का स्पष्ट अनुदेश भारत की पुनीत परम्परा है और वेद आदि धर्मग्रन्थों का अनुपम आदेश है।