
जब मौसम बदलता है, सर्दी दरवाजा, खड़काती है, पराली का मुद्दा, राजनैतिक सफा एवं कोर्ट-कचहरियों में बड़ी चर्चा बन जाता है। पराली जलाने के मामले में हाहाकार होती है। देश की राजधानी दिल्ली के हाकिम वर्षभर कुंभकरण की नींद सोते हैं, फरमान जारी करते हैं, कचहरियों में 'लोग हितैषी' रिट्ट डालते हैं, बड़ी कचहरी हुक्म सादर करती है। परन्तु परनाला वहीं का वहीं रहता है।
बिना संदेह पराली प्रबंधन बड़ा मसला है। बहुत से किसान आगे वाली फसल की तैयारी के लिए इसका आसान समाधान इसको जलाने में देखते हैं। इससे बड़ा नुक्सान होता है। पराली जलाने से भूमि की कोख में मौजूद अनेक लाभदायक सूक्ष्म जीव-जंतू नष्ट हो जाते हैं, जो कृषि उपज के लिए सहायक हैं। एक अध्ययन के अनुसार एक टन पराली जलाने में भूमि की कोख में मौजूद 5.5 किलोग्राम नाईट्रोजन, 2.3 किलोग्राम फासफोरस, 25 किलोग्राम पोटाशियम, 1.2 किलोग्राम सल्फर समेत और लाभदायक पौष्टिक तत्व नष्ट हो जाते हैं। अंतर्राष्ट्रीय खाद्य नीति अनुसंधान संस्था की एक रिपोर्ट के अनुसार भारत के अलग-अलग राज्यों में पराली जलाने से लगभग 2 लाख करोड़ रुपए का वित्तीय नुक्सान होता है।
देश की सबसे बड़ी अदालत सुप्रीम कोर्ट ने 24 सितम्बर 2024 को पराली जलाने के मुद्दे पर हवा गुणवत्ता प्रबंधन कमिशन (सी ए क्यू एम) से जवाब तलबी की और पूछा कि पिछले हुक्मों की तामील क्यों नहीं की गई और 15 सितम्बर के हफ्ते में ही पराली जलाने की घटनाओं में बढ़ोतरी क्यों हुई। सी ए क्यू एम एक्ट की धारा-14 के अधीन अधिकारियों कर्मचारियों के खिलाफ कार्रवाई क्यों नहीं की जो पराली जलाने के मामलों में जिम्मेदार हैं। अदालत ने पंजाब-हरियाणा सरकारों को भी फटकार लगाई। कि उन्होंने किसानों के विरुद्ध पराली जलाने के अमलो में कठोर कार्रवाई क्यों नहीं की।
वास्तव में बरसों से सरकारें चुप हैं। किसानों के इस गंभीर मसले का समाधान करने में असमर्थ हैं। जो छोटे-मोटे प्रयास पराली प्रबंधन के लिए किये जाते हैं, वह सही अर्थों में 'सरकारी स्कीमों' जैसे किसानों के दर पर नहीं पहुँचते। जबकि बहुत सी स्कीमें बनती हैं, वित्तीय साधनों की कमी के कारण वह सभी धरी धराई रह जाती हैं।
この記事は Modern Kheti - Hindi の 1st November 2024 版に掲載されています。
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कृषि में डॉक्टरेट की मानद उपाधि प्राप्त करने वाली 'मिलेट क्वीन' - रायमती घुरिया
ओडिशा के कोरापुट जिले की 36 वर्षीय आदिवासी महिला किसान रायमती घुरिया को कृषि क्षेत्र में उनके उल्लेखनीय योगदान के लिए डॉक्टरेट की मानद उपाधि से सम्मानित किया गया है।

फसलों में सूक्ष्म पोषक तत्वों का महत्व
बढ़ती हुई जनसंख्या की मांग पूरी करने के लिए अधिक उत्पादन जरुरी है, प्रत्येक फसल के बाद भूमि में पोषक तत्वों की जो कमी आती है, उनकी पूर्ति करना आवश्यक है, वरना भूमि की उपजाऊ शक्ति व पैदावार में कमी आयेगी।

फलों के पेड़ लगाने की करें तैयारी
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गेहूं के प्रमुख कीटों की रोकथाम कैसे करें ?
गेहूं भारत की प्रमुख खाद्य फसल है।

"बीज व्यवसाय एवं गुणवत्ता का द्वंद्व"
कृषि उत्पाद के लिये बीज मूल्यवान एवं असरदार माणिक्य है।

नैनो यूरिया के प्रयोग के प्रति बढ़ रहे खदशे
किसानों एवं सरकार को हर वर्ष पारंपरिक दानेदार यूरिया खाद की कमी से जूझना पड़ता है। शायद ही कोई ऐसा वर्ष हो जब यूरिया की निर्विघ्न सप्लाई हुई हो।

घुइया या अरवी की खेती में कीट एवं रोगों का प्रबंधन
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पौधों के प्रजनन में परागण की भूमिका
परागण किसी भी पुष्पीय पौधे के जीवन चक्र का एक महत्वपूर्ण चरण है, जिससे निषेचन और बीज निर्माण की प्रक्रिया पूरी होती है।

केरल कृषि विश्वविद्यालय ने बीज रहित तरबूज किया विकसित
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कृषि विविधीकरण में सूरजमुखी सहायक
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