Vivek Jyoti - August 2023Add to Favorites

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I denne utgaven

1. उठो, जागो और कितने दिन सोओगे? : विवेकानन्द ४१४
2. रक्षाबन्धन (स्वामी तन्निष्ठानन्द) ४१७
3. भगवान ने हमें आवश्यक सब कुछ दिया है (स्वामी सत्यरूपानन्द) ४२०
4. रामकृष्ण संघ : एक विहंगम दृष्टि (स्वामी पररूपानन्द) ४२१
5. (बच्चों का आंगन) धीरज का अदम्य साहस (श्रीमती मिताली सिंह) ४२६
6. श्रीरामकृष्ण का आकर्षण (स्वामी अलोकानन्द) ४२८
7. (युवा प्रांगण) रानी लक्ष्मीबाई की हमशक्ल झलकारी बाई (स्वामी गुणदानन्द) ४३४
8. स्वामी विवेकानन्द और सुभाषचन्द्र : वीरयोद्धा (स्वामी सुपर्णानन्द) ४३६

Vivek Jyoti Magazine Description:

UtgiverRamakrishna Mission, Raipur

KategoriReligious & Spiritual

SpråkHindi

FrekvensMonthly

भारत की सनातन वैदिक परम्परा, मध्यकालीन हिन्दू संस्कृति तथा श्रीरामकृष्ण-विवेकानन्द के सार्वजनीन उदार सन्देश का प्रचार-प्रसार करने के लिए स्वामी विवेकानन्द के जन्म-शताब्दी वर्ष १९६३ ई. से ‘विवेक-ज्योति’ पत्रिका को त्रैमासिक रूप में आरम्भ किया गया था, जो १९९९ से मासिक होकर गत 60 वर्षों से निरन्तर प्रज्वलित रहकर यह ‘ज्योति’ भारत के कोने-कोने में बिखरे अपने सहस्रों प्रेमियों का हृदय आलोकित करती रही है । विवेक-ज्योति में रामकृष्ण-विवेकानन्द-माँ सारदा के जीवन और उपदेश तथा अन्य धर्म और सम्प्रदाय के महापुरुषों के लेखों के अलावा बालवर्ग, युवावर्ग, शिक्षा, वेदान्त, धर्म, पुराण इत्यादि पर लेख प्रकाशित होते हैं ।

आज के संक्रमण-काल में, जब भोगवाद तथा कट्टरतावाद की आसुरी शक्तियाँ सुरसा के समान अपने मुख फैलाएँ पूरी विश्व-सभ्यता को निगल जाने के लिए आतुर हैं, इस ‘युगधर्म’ के प्रचार रूपी पुण्यकार्य में सहयोगी होकर इसे घर-घर पहुँचाने में क्या आप भी हमारा हाथ नहीं बँटायेंगे? आपसे हमारा हार्दिक अनुरोध है कि कम-से-कम पाँच नये सदस्यों को ‘विवेक-ज्योति’ परिवार में सम्मिलित कराने का संकल्प आप अवश्य लें ।

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