CATEGORIES
Kategorier
छा गए भोजपुरी कलाकार
डिजिटल क्रांति के बाद जहां देशभर में प्रिंट मीडिया के पाठकों में कमी आई है, वहीं देश के सब से बड़े प्रकाशनों में शुमार दिल्ली प्रैस पत्र प्रकाशन लिमिटेड की पत्रिकाएं आज भी पाठकों के बीच अपनी लोकप्रियता बनाए रखने में कामयाब रही हैं.
लड़कियों के लिए सैल्फ डिफैस सिक्योरिटी भी कैरियर भी
आज के समय में लड़कियों के साथसाथ औरतों की सिक्योरिटी समाज में एक बड़ा मुद्दा है. इस की सब से बड़ी वजह यह है कि आज लड़कियां स्कूल के समय से ही लड़कों से बराबरी करने के लिए मैदान में उतर रही हैं. वे स्कूल के बाद कालेज और फिर आगे की पढ़ाई के लिए गांवघर से दूर बड़े शहरों में जाने लगी हैं. ऐसे में उन के सामने खुद की सिक्योरिटी करना अहम हो गया है.
पहला प्यार
पिछले अंकों में आप ने पढ़ा था : प्रणीता और महीप के फ्लैट से गिर कर रश्मि की मौत हो गई थी. महीप पर शक गया, क्योंकि वह भी उस के साथ वहीं था. पर पुलिस कुछ पता नहीं कर पाई. इस के बाद महीप ने एक दूसरी औरत नैना को अपना शिकार बनाया. अपना सबकुछ लुटा कर जब नैना घर पहुंची तो अपने अपराधी पति दिलीप से उलझ गई. अब पढ़िए आगे...
कंगना हैं फ़िल्मी दुनिया की मैचो गर्ल
हाल ही में बिंदास कलाकार कंगना राणावत की एक फिल्म ‘पंगा' आई थी, जिस में उन्होंने एक ऐसी कबड्डी खिलाड़ी का किरदार निभाया था, जो अपने वजूद की जंग और उस में खुद को बेहतरीन साबित कर पाने की जद्दोजेहद करती है.
आप का दम बाकी बेदम
सियासत में जो सत्ता पर काबिज होता है, वही सिकंदर कहलाता है. इन चुनावों में अरविंद केजरीवाल की आम आदमी पार्टी ने इसे दोबारा सच साबित कर दिया. उन्हें दिल्ली की जनता ने अपना दिल ही नहीं दिया, बल्कि 'झाड़' को वोट भी भरभर कर दिए, 70 में से 62 सीटें.
सिनेमा सीखने के लिए सिनेमा देखा
इन दिनों भोजपुरी में लगातार अच्छी फिल्में बन रही हैं, भोजपुरी में अच्छी कहानी, अच्छी लोकेशन और बेहतर तकनीक का इस्तेमाल तब से ज्यादा बढ़ गया है, जब से नौजवान और अनुभवी डायरेक्टरों ने भोजपुरी फिल्म बनाने की तरफ़ अपने कदम आगे बढ़ाए हैं. इन डायरेक्टरों में एक नाम संजय श्रीवास्तव का है, जिन्होंने “ऐक्शन राजा', 'यादवजी घुस के मारबे', 'बिरुआ', “दहशत, “राजा ', नागनागिन ' जेसी कर्ई काययाब फिल्में भी दी हैं. सुपरस्टार रितेश पांडेय के साथ इन की फिल्म फर्ज रिलीज होने को है. भोजपुरी स्रिनेसा जिन बदलाव से गुजर रहा है, उस को ले कर संजय श्रीवास्तव से लंबी बातचीत हुई. पेश हैं, उसी के खास अंश:
सरकार में हेमंत, रघुवर बेघर
रघुवर दास ने नरेंद्र मोदी के स चुनावी नारे 'घर घर मोदी' में की नकल कर के झारखंड विधानसभा चुनाव में 'घरघर रघुवर' का १ नारा दिया था, लेकिन झारखंड की जनता के ने उन्हें पूरी तरह से बेघर कर दिया.
सतरंगी रंग
पायल छुट्टियों में होस्टल से घर आई थी, पर यहां के माहौल में उस का मन जरा भी नहीं लग रहा था. दरअसल, पायल की दादी उसे होस्टल से वापस घर बुलाना चाहती थीं और वह किसी भी कीमत पर होस्टल छोड़ना नहीं चाहती थी.
लुटेरी दुलहनों से सावधान
26 साल के रूपेश शर्मा की जिंदगी में जो हुआ वह वैसे तो आएदिन की बात हो चली है, पर इस के बाद भी चोरी और ठगी के मामले लगातार उजागर होने लगे हैं तो बात सबक लेने की है कि बिना छानबीन के जल्दबाजी में शादी तय कर लेना अब बेहद जोखिम भरा काम हो चला है. इस से अरमान और भरोसा तो टूटते ही हैं, जिंदगीभर के लिए एक ऐसा जख्म मिल जाता है जो थोडाबहुत सूखता तो है, पर भरता कभी नहीं.
ये ईलूईलू क्या है
छेड़छाड़ की बढ़ती घटनाओं से परेशान पुलिस विभाग ने पिछले हफ्ते 'आपरेशन मजनू पकड़' नाम से एक खास मुहिम छेड़ी थी. स्कूलकालेज और चौकचौराहों पर सादा वरदी में पुलिस के जवान पूरी मुस्तैदी के साथ ड्यूटी दे रहे थे.
यह साल आयुष्मान के नाम
न कोई खान और न ही कोई कपूर. हिंदी फिल्म इंडस्ट्री का साल 2019 उस हीरो के नाम रहा, जिस ने कभी हिंदी के बड़े लेखक धर्मवीर भारती के नाटक “अंधा युग' में अश्वत्थामा का किरदार निभाने के लिए बैस्ट हीरो का अवार्ड जीता था.
मोहरा
सुहानिका आज कुछ ज्यादा ही खुश थी. अभी 2 महीने पहले ही तो उस ने एक असिस्टैंट के रूप में यह औफिस जौइन किया था. शुरुआत में उस की तनख्वाह 20 हजार रुपए महीना थी और इन 2 महीने में ही उस की तनख्वाह 40 हजार रुपए महीना हो गई.
मेरे देश के नौजवान
ऐसा है कि 21वीं सदी की शुरुआत के बाद से ही नौनिहालों ने हमें आंखें दिखानी शुरू कर दी हैं, जिस से हमें यह पता लगता है कि यह पीढ़ी न केवल दिमाग चलाने में तेज होगी, बल्कि हाजिरजवाबी में भी इस का कोई सानी नहीं होगा. इस का 'आईक्यू' या 'ईक्यू' ही नहीं, बल्कि सब तरह के क्यू ऊंचे होंगे. मसलन:
मजार की आड़ में
असरार और जुबैर की दोस्ती जेल में हुई थी. जुर्म की दुनिया में पैर रखते ही दोनों दोस्तों के दिमाग में हमेशा जुर्म की बात गूंजती रहती थी.
भक्ति या हुडदंग
भारत में धर्म की आड़ में लोग कुछ भी परोस सकते हैं. उन्हें किसी चीज के पीछे की सचाई या विज्ञान क्या है, उस से तनिक भी मतलब नहीं होता है.
बदहाल अस्पताल की बलि चढ़े नैनिहाल
राजस्थान के कोटा जिले के एक सरकारी अस्पताल में चंद दिनों के भीतर 100 से ज्यादा बच्चों की मौत फिर यह बता रही है कि हमारे देश का स्वास्थ्य ढांचा कितना बदहाल है.
प्रतिबिंब
जिंदगी में कुछ ऐसी घटनाएं घट जाती हैं, जिन्हें भुलाए भी भूला नहीं जा सकता. एक ऐसा ही दर्द मैं कहानी के रूप में उतार रहा हूं.
पिछड़ो ने लगाई 'मी पुन्हा येईन' की हुंकार
25 नवंबर, 2019 की हलकी ठंडी सुबह. हरियाणा के फरीदाबाद का सैक्टर 34 में नया बना टाउन पार्क. वहां अपनी सेहत को ले कर कुछ जागरूक लोगों की चहलपहल.
नहीं हट सका - तालाबों से कब्जा
बिहार के सभी तालाब, आहर और पईन से 31 दिसंबर 209 तक कब्जा हटा कर उन्हें काम के लायक बनाने का सरकारी ऐलान फाइलों से बाहर नहीं निकल सका. सरकार का मुंह ताकते रहने के बजाय राज्य के कुछ किसान अपने खेतों के कुछ हिस्सों में तालाब बना कर फसलों को लहलहा रहे हैं.
नागरिकता बिल
देश में आखिरकार नया नागरिकता बिल | पास हो चुका था, जिस के आधार पर भारत में शरणार्थियों की तरह रह रहे हिंदुओं को अब भारत की नागरिकता मिल सकती थी और वे भी इज्जत की जिंदगी जी सकते थे.
दम तोड़ते सरकारी स्कूल
मध्य प्रदेश के सरकारी स्कूलों में पढ़ाईलिखाई की क्वालिटी बढ़ाने के लिए पिछले 15-20 सालों में नएनए प्रयोग तो खूब किए गए, पर इन स्कूलों में टीचरों की कमी दूर करने के साथ ही इन में पढ़ने वाले बच्चों की जरूरतों को पूरा करने की दिशा में कोई ठोस उपाय सरकारी तंत्र द्वारा नहीं किए गए.नतीजतन, स्कूलों में पढ़ाईलिखाई का लैवल बढ़ने के बजाय दिनोंदिन गिरा है और छात्रों के मांबाप भी प्राइवेट स्कूलों की ओर खिचे हैं.
दम तोड़ते परिवार
समाज की सब से अहम इकाई परिवार है और हर साल 15 मई को पूरी दुनिया में 'अंतर्राष्ट्रीय परिवार दिवस' मनाया जाता है. पर हमारी शहरी जिंदगी ने लोगों को इतने बड़े सपने दिखा दिए हैं कि उन्हें पूरा करने के लिए वे किसी भी हद तक चले जाते हैं, पर जब वे सपने पूरे नहीं होते हैं या परिवार का ही कोई हमारी पीठ में छुरा घोंपता है, तो नतीजा दर्दनाक भी हो जाता है.
जाति ने बांट दिए दो कौड़ी के बरतन
घटना थोड़ी पुरानी है, पर सुनो तो आज भी सिहरा देती है. उत्तर प्रदेश के बुलंदशहर जिले में एक गांव है खेतलपुर भंसोली. वहां पर बरतन छू जाने से एक दलित औरत सावित्री की पिटाई और इलाज के दौरान मौत होने का शर्मनाक मामला सामने आया था. वह भी तब जब सावित्री पेट से थी.हुआ यों था कि कूड़ेदान को हाथ लगाने से नाराज अंजू देवी और उस के बेटे रोहित कुमार ने कथित तौर पर सावित्री को डंडे और लातों से बहुत मारापीटा था.
तुनकमिजाज औलाद - तनाव में परिवार
पिंटू नाम का लड़का बैंगलुरु में इंजीनियरिंग की पढ़ाई कर रहा था. उस के मांबाप ने उस को ले कर बड़ेबड़े सपने देखे थे कि बेटा इंजीनियर बनेगा, तो परिवार और गांव का नाम रोशन करेगा.
डर के साए में अवाम
नागरिकता संशोधन कानून की आग में देश का बड़ा हिस्सा सुलग रहा है. इस आंच से सब से ज्यादा नुकसान उद्योगधंधों के साथसाथ गरीब, दलित व पिछड़ों को हो रहा है. छोटे दुकानदारों के कामधंधे चौपट हो रहे हैं.
जाति की वकालत करता नागरिकता संशोधन कानून
नया नागरिकता संशोधन कानून भले ही भारत में लागू हो गया है, पर सारे देश में हो रहे इस के विरोध ने इसे कठघरे में खड़ा कर ही दिया है. जिस कानून को दोनों सदनों ने बहुमत से पास किया हो, उस कानून को ले कर सारे देश में बवाल मचा हुआ है.
चालक लड़की
कौन सी गाड़ी का टिकट कट रहा है साहब?” एक सुरीली आवाज ने राजेश का ध्यान खींचा. बगल में एक खूबसूरत लड़की को देख कर वह जैसे सबकुछ भूल चुका.
गलती की सजा
विजय ने इस शादी के लिए मना कर दिया था. इस खबर की चर्चा पूरे गांव में होने लगी. सगाई की रस्म भी पूरी हो चुकी थी. लड़की वालों ने पूरी तैयारी कर ली थी. बहुत सी तैयारियां तो विजय के घर वालों ने भी कर ली थीं.
खजाने के चककर मर खोदे जा रहे किले
मध्य प्रदेश व महाराष्ट्र से लगे आदिवासी बहुल जिले बैतूल में भारत सरकार के पुरातत्त्व विभाग की अनदेखी के चलते 4 पहाड़ी व एक मैदानी किले खजाने की खोज में तकरीबन पूरी तरह खंडहर हो चुके हैं.
कानून से खिलवाड़ करती हत्याएं
महाराष्ट्र के अकोला शहर में नवंबर, 2015 में एक बड़े माल की खरीदारी में आपसी लेनदेन को ले कर बिल्डर किशोर खत्री को दिनदहाड़े गोलियों से भून दिया गया, फिर उस की गला रेत कर हत्या कर दी गई. इस केस में 2 आरोपियों को ताउम्र कैद की सजा मिली.