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प्याज व लहसुन में कीट और रोग प्रबंधन
प्याज व लहसुन कंद समूह की मुख्य रूप से 2 ऐसी फसलें हैं, जिन का सब्जियों के क्षेत्र में महत्त्वपूर्ण स्थान है. देश में इन की खपत और विदेशी मुद्रा अर्जन में बहुत बड़ा योगदान है.
गन्ने की खेती में नया कीर्तिमान
भारत में ज्यादातर किसान खेती से परेशान हैं. ऐसे में वे मजबूरी में खेती कर रहे हैं. इस की मुख्य वजह कहीं न कहीं उन की उपज का सही दाम न मिल पाना है, जिस्म के चलते उन्हें लगातार घाटा हो रहा है. फिर भी कुछ ऐसे किसान हैं, जो जरा कर के खेतीबारी कर रहे हैं.
केले की खेती ने दिखाई मुनाफे की राह
परंपरागत रूप से हो रही खेती में हर साल लागत बढ़ती जा रही है, पर फसल के सही दाम न मिलने से मुनाफे में कमी आ रही है. सरकार द्वारा फसल का सही समर्थन मूल्य न मिलने व अनाज व्यापारियों द्वारा किसान की फसल औनेपौने दाम पर खरीदने से किसानों की मुश्किलें बढ़ती जा रही हैं. ऐसे में खेती करने के तरीकों में बदलाव की ओर किसानों ने ध्यान देना शुरू कर दिया है.
प्रबंधन तकनीक से किसानों को रोजगार
बागबानी फसलों की तुड़ाई के उपरांत
ड्रिप और मल्चिग पद्धति से शिमला मिर्च की खेती
परंपरागत खेती में रोज ही नएनए तरीके अपना कर किसान उन्नत खेती के साथ मुनाफा ले रहे हैं. ड्रिप और मल्चिग पद्धति से खेती कर के फसलों की पैदावार बढ़ाई जा सकती है. इन के इस्तेमाल से न सिर्फ अच्छा उत्पादन मिलता है, बल्कि खरपतवार नियंत्रण और सिंचाई जल की बचत भी की जा सकती है.
पक्षियों में बर्ड फ्लू लक्षण, सावधानियां और बचाव के उपाय
बर्ड फ्लू यानी एवियन इनफ्लूएंजा पक्षियों में पाए जाने वाला एक बहुत ही घातक, संक्रामक, विषाणुजनित रोग है जो कि इनफ्लूएंजा टाइप 'ए' नामक विषाणु से होता है. यह मुरगी और बतख जैसे घरेलू पक्षियों को बीमार कर के उन की मौत कर सकता है.
अनार की उन्नत उत्पादन तकनीक
अनार भारत में उगाई जाने वाली एक महत्त्वपूर्ण फल फसल है.उपोष्ण जलवायु का फल वृक्ष होने के कारण अनार सूखे के प्रति सहनशील होने के साथसाथ कम लागत में अधिक आमदनी देता है. अनार के फल कार्बोहाइड्रेट, कैल्शियम, लौह तत्त्व और सल्फर के अच्छे स्त्रोत हैं. इस का प्रयोग खाने व रस के रूप में किया जाता है.
मशरूम की खेती से मिली नई राह
परंपरागत तरीके से खेती करना अब मुनाफे की गारंटी नहीं है. खेती में नवाचारों के माध्यम से किसान चाहें तो आमदनी बढ़ा सकते हैं.
बीजोपचार रोह की स्वस्थ फसल का आधार
भारत में उगाई जाने वाली खाद्यान्न फसलों में गेहूं एक प्रमुख फसल है, जो समस्त भारत में लगभग 30.31 मिलियन हेक्टेयर क्षेत्रफल में उगाई जाती है, जो कुल फसल क्षेत्रफल का तकरीबन 24.25 फीसदी है. फसल सत्र 2019-20 के दौरान भारत में 107.59 मिलियन टन गेहूं का उत्पादन हुआ.
जैविक खेती से संवर रही जिंदगी
हाल ही के सालों में किसानों ने अंधाधुंध रासायनिक खादों और कीटनाशकों का इस्तेमाल कर के धरती का खूब दोहन किया है. जमीन से बहुत ज्यादा उपज लेने की होड़ के चलते खेतों की उत्पादन कूवत लगातार घट रही है.
टमाटर उत्पादन की उन्नत तकनीक
टमाटर एक महत्त्वपूर्ण सब्जी है, जिस की अगेती व देर से फसल लेने में अधिक लाभ होता है.
सेहत के लिए जरूरी सोयाबीन
प्रोटीन के अलावा सोयाबीन में तकरीबन 18 फीसदी तेल होता है, लेकिन इस तेल में कोलेस्ट्रोल नहीं होता है और इस में 85 फीसदी अनसैचुरेटेड फैटी एसिड होते हैं, जो सेहत के लिए सही होते हैं. सोयाबीन के तेल में लीनो लिक और लीनो लेइक फैटी एसिड भी काफी मात्रा में होते हैं. ये दोनों ही अनसैचुरेटेड फैटी एसिड हमारी सेहत के लिए बहुत जरूरी होते हैं, क्योंकि ये हम में कोलेस्ट्रोल की मात्रा को कम करते हैं और इस में होने वाली दिल की बीमारियों को रोकते हैं.
मौनपालन से आमदनी बढ़ाएं
मधुमक्खीपालन एक ऐसा कारोबार है, जिसे दूसरे धंधों से कम धन, कम श्रम और कम जगह पर किया जा सकता है. मधुमक्खीपालन से मौनपालकों को शहद हासिल होता है, साथ ही साथ मधुमक्खियों के जरीए परपरागण के चलते फसलों और औद्योगिक फसलों से अच्छी उपज होती है.
गन्ना शीत ऋतु में
गन्ना एक प्रमुख व्यावसायिक फसल है. विषम परिस्थितियां भी गन्ना की फसल को बहुत अधिक प्रभावित नहीं कर पाती हैं. इन्हीं विशेष कारणों से गन्ना की खेती अपनेआप में सुरक्षित व लाभ देने वाली है.
काले गेहूं और चने की खेती
आज कोरोना वायरस की वजह से लोगों की जीवनशैली में काफी बदलाव आया है. हालात ये हैं कि कोरोना वायरस के संक्रमण के डर से लोग सुबह और शाम की सैर के लिए भी घर से बाहर नहीं निकल पा रहे हैं. ऐसे में मध्यम वर्ग के साथ अफसर, डाक्टर भी परंपरागत लोकमन, शरबती गेहूं की जगह काले गेहूं की रोटियां खाना पसंद कर रहे हैं.
वैज्ञानिक विधि से कैसे करें स्ट्राबैरी की खेती
स्ट्राबैरी (फ्रेगेरिया अनानासा) यूरोपियन देश का फल है. इस का पौधा छोटी बूटी के समान होता है. इस के छोटे तने से कई पत्तियां निकलती हैं. पत्तियों के निचले हिस्से से कोमल शाखाएं निकलती हैं, जिन्हें रनर्ज कहते हैं. इन रनर्ज द्वारा स्ट्राबैरी का प्रवर्धन किया जाता है.
छोटे किसानों के लिए कारगर तिपहिया ट्रैक्टर
भारत में छोटे और मझोले किसानों में कृषि यंत्रों की कमी आज भी बड़ी समस्या है. इस कमी का एक बड़ा कारण है ट्रैक्टर और खेती में काम आने वाले यंत्रों के ऊंचे दाम. ऐसे में छोटे और मझोले किसान महंगे दामों पर किराए पर ट्रैक्टर और यंत्रों का उपयोग करने के लिए मजबूर होते हैं.
समृद्धि के अवसरों का प्रदेश उत्तर प्रदेश
उत्तर प्रदेश में जिस तरह औद्योगीकरण को बढ़ावा दिया जा रहा है, वह राज्य में विकास का सुनहरा दौर लेकर आएगा। नये उद्योग लगाने के लिए जो सुविधाएं प्रदान करायी जा रही हैं, उनके परिणामस्वरूप बहुत से देशी-विदेशी निवेशक उत्तर प्रदेश में आने के इच्छुक हैं। बुनियादी डाँचे में भी जबरदस्त सुधार किया जा रहा है, जो उद्योगों के विकास के लिए बहुत आवश्यक है। सभी महत्वाकांक्षी परियोजनाओं पर तेजी से काम हो रहा है, जिससे वे सही समय पर पूर्ण हो सकें। लाखों नवयुवकों को रोजगार के अवसर प्रदान कराये गये है। मुझे पूरा यकीन है कि उत्तर प्रदेश अपने औद्योगीकरण और विकास के लक्ष्यों को पाने में अवश्य सफल होगा। - नरेन्द्र मोदी,प्रधानमंत्री
फसल अवशेष प्रबंधन यंत्र मोबाइल श्रेडर
फसल कटाई के बाद फसलों की जड़ें खेत में रह जाती हैं, जिन्हें खेत में मिलाना या उखाड़ना मुश्किल काम होता है. इस काम में काफी मेहनत और खर्चा भी होता है. इस फसल अवशेषों का प्रबंधन कृषि यंत्रों से किया जाए, तो किसान के लिए यह काम आसान हो जाता है.
अपनी दुधारू गाय खुद तैयार कीजिए
इस से पहले अंक में आप ने पढ़ा था : आप की गाय बच्चा दे चुकी है. प्रसव के तनाव से गुजरने के बाद उसे हलकी चीजें खाने को देनी चाहिए. अगर 36 घंटों के बाद भी जेर न गिरे, तो उसे डाक्टर को दिखाना चाहिए. उसे पोषक तत्त्वों का सेवन कराना चाहिए और साफसफाई पर विशेष ध्यान देना चाहिए.
ज्यादा आमदनी के लिए ब्रोकली की खेती
ब्रोकली गोभी कुल की सदस्य है. इस के शीर्ष भी गोभी की तरह, लेकिन आमतौर पर हरे रंग के होते हैं. ब्रोकली की खेती हमारे देश में सीमित क्षेत्र में की जाती है. इस का बहुत अधिक पोषण और औषधीय महत्त्व है.
मसूर की उन्नत खेती
दलहनी वर्ग में मसूर सब से पुरानी और खास फसल है. मसूर का दुनियाभर में भारत की श्रेणी क्षेत्रफल के अनुसार पहला व उत्पादन के अनुसार दूसरा नंबर है और भारत में क्षेत्रफल के अनुसार मध्य प्रदेश की प्रथम श्रेणी है. प्रचलित दालों में सर्वाधिक पौष्टिक होने के साथसाथ इस दाल को खाने से पेट के विकार समाप्त हो जाते हैं.
लसोड़ा ताकत बढ़ाने में लाभकारी
हमारे देश में कोरोना महामारी से बचाव के लिए सब से अच्छा उपाय शरीर की इम्यूनिटी को बढ़ाना है. अगर शरीर की इम्यूनिटी अच्छी होगी तो आसानी से कोरोना के वायरस से लड़ा जा सकता है. इस के लिए विभिन्न प्रकार की आयुर्वेदिक औषधियां उपयोगी हैं, वहीं लसोड़ा पेड़ के फल, पत्ती व छाल भी उपयोगी है.
बिहारी किसानों के लिए सोलर सिंचाई पंप बड़े काम का
किसी भी फसल का उत्पादन उस को समय से दी जाने वाली सिंचाई पर निर्भर करता है. किसान भले ही खेती में उन्नत बीज और तकनीकी का प्रयोग कर लें, लेकिन फसल की सिंचाई समय पर न की जाए, तो फसल के पूरी तरह से नष्ट होने का खतरा बना रहता है.
तोरिया (लाही) की उन्नत उत्पादन तकनीक
तोरिया 'कैच क्रौप' के रूप में खरीफ व रबी के मध्य में बोई जाने वाली तिलहनी फसल है. इस की खेती कर के अतिरिक्त लाभ हासिल किया जा सकता है. यह 90-95 दिन के अंदर पक कर तैयार हो जाती है. इस की उत्पादन क्षमता 12-18 क्विटल प्रति हेक्टेयर है.
12वीं के बाद एग्रीकल्चर में कैरियर को दें उडान
हर नौजवान अपने कैरियर को ले कर हर नौजवान असमंजस में रहता है. 12वीं का रिजल्ट आते ही छात्रों को कैरियर चुनने में कन्फ्यूजन रहता है कि क्या करना सही होगा, क्या नहीं. पहले के समय में ज्यादातर छात्र डाक्टरी,इंजीनियरिंग करने की सोचते थे. इस के अलावा एमबीए करने की सोच सकते थे, लेकिन बदलते समय के साथसाथ कैरियर को ले कर भी हजारों मौके खुल चुके हैं. कमी है तो सिर्फ सही और सटीक जानकारी की.
अपनी दुधारू गाय खुद तैयार कीजिए
इस से पहले अंक में आप ने पढ़ा था : आप की गाय के गर्भकाल के 8 महीने पूरे हो चुके हैं. 9वां महीना बड़े ध्यान से निकालना पड़ता है. आप को अब गाय को दुहना बंद कर देना होता है और गाय के खानपान पर खास ध्यान देना होता है. गाय को किसी भी तरह का तनाव नहीं होना चाहिए और उसे दूसरे पशुओं से अलग कर देना चाहिए. अब पढ़िए आगे....
पपीता उत्पादन में नई तकनीक
सरदार वल्लभभाई पटेल कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय, मेरठ के जैव प्रोद्यौगिकी विभाग में पपीते के पौधों को ले कर शोध किया जा रहा है, जिस से पपीते के पौधे के पनपते अथवा पहली अवस्था में ही पता चल जाएगा कि पौधा नर है या मादा.
धान में कंडुआ रोग से बचने पर दें ध्यान
आचार्य नरेंद्र देव कृषि एवं प्रौद्योगिक विश्वविद्यालय, कुमारगंज, अयोध्या द्वारा संचालित कृषि विज्ञान केंद्र, सोहांव, बलिया के अध्यक्ष, प्रोफैसर रवि प्रकाश मौर्य ने धान की खेती करने वाले किसानों को अभी से कंडुआ रोग से सावधान रहने की सलाह दी है.
सही खानपान से बढ़ाएं शरीर की इम्यूनिटी
भागमभाग भरी जिंदगी और हमारे खानपान की गलत आदतों के चलते ज्यादातर लोग आज भी किसी न किसी बीमारी से जूझ रहे हैं. इस की वजह है शरीर में बीमारियों से लड़ने की कमी होना. इसे इंगलिश भाषा में इम्यूनिटी कहा जाता है, जो किसी भी तरह के सूक्ष्मजीवों (बीमारी पैदा करने वाले बैक्टीरिया, वायरस आदि) से शरीर को लड़ने की ताकत देती है.