CATEGORIES
Kategorier
किसानों को मिलेगा न्यूनतम समर्थन मूल्य?
अन्नदाताओं में संशय बरकरार
आईटी उद्योग में हो रही बढ़ोत्तरी
यकीनन कोविड-19 की चुनौतियों के बीच एक ओर जहां भारत का आइटी उद्योग तेजी से आगे बढ़ा है, वहीं आउटसोर्सिंग से हमारी विदेशी मुद्रा भी बढ़ी है शानदार ऑर्डर प्रवाह के कारण देश के आइटी उद्योग का लाभ एक दशक के रिकॉर्ड स्तर पर पहुंच गया है इंडिया ब्रांड इक्विटी फाउंडेशन(आइबीइएफ) की अगस्त 2020 की रिपोर्ट के मुताबिक, इस वर्ष भारतीय आइटी सेक्टर की आय के 7.7 प्रतिशत बढ़कर करीब 191 अरब डॉलर तक पहुंचने का अनुमान है, जो 2025 तक 350 अरब डॉलर तक पहुंच सकती है गौरतलब है कि भारत दुनिया में आइटी सेवाओं का सबसे बड़ा निर्यातक देश है भारत की 200 से अधिक आइटी फर्म दुनिया के 80 से ज्यादा देशों में काम कर रही हैं जिसके कर्मचारियों की संख्या लगभग 43.6 लाख है।
'गुपकार गैंग पर सिर्फ राजनीति या कड़ी कार्रवाई! अभी तक क्यों नहीं?
24 अक्टूबर की "पीएजीडी" की बैठक के एक दिन पूर्व ही महबूबा मुफ्ती ने जो बयान दिया, जिसे सिर्फ "विवादित बयान" कहकर झाड़ा नहीं जा सकता है। संविधान द्वारा प्रदत्त नागरिकता के कारण देश के एक जिम्मेदार नागरिक होने से उस नागरिक दायित्व के बिलकुल विरुद्ध व बेशर्मी लिये हुआ महबूबा का यह बयान है, कि अनुच्छेद 370 की बहाली तक वे जम्मू -कश्मीर के झंडे के अलावा और कोई झंडा नहीं उठायेगी। यद्यपि प्रेस के एक खंड ने उक्त बयान की गलत बताते हुए "तिरंगे और राज्य के झंडे को एक साथ रखूगी", को महबूबा का सही बयान बतलाया है। फिलहाल इस संबंध में उनके स्पष्टीकरण की प्रतिक्षा है। इसके पहले फारूख अब्दुल्ला भी कह चुके है कि चीन की मदद से अनुच्छेद 370 "फिर लागू करेगें।
स्वच्छता के संकल्प को दें निरंतरता
स्वछता भारतीय संस्कृति का महत्वपूर्ण अंग है. अगर हम स्वच्छता के इतिहास को देखें, तो यह हड़प्पा और मोहनजोदड़ो की सभ्यता में भी परिलक्षित होता है. तब के नगरों की व्यवस्था ऐसी थी, जिसमें साफ-सफाई का विशेष ख्याल रखा जाता था तथा नालियों और पेयजल की व्यवस्था उत्तम स्तर की थी. मौर्यकाल में चाणक्य द्वारा स्थापित शासन व्यवस्था में इसकी महत्ता को इस बात से जाना जा सकता है कि प्रथम बार गंदगी फैलानेवालों को दंड के रूप में शुल्क देना होता था. हमारी संस्कृति के किसी भी समाज में स्वच्छता की पूरी व्यवस्था होती है. कई त्योहार, जैसे दीपावली, सरहुल, कर्मा, ओणम आदि भी स्वच्छता को ध्यान में रख कर ही मनाये जाते हैं.
श्रम सुधारों से बढ़ेगी इकॉनमी की रफ्तार
हाल ही में संसद ने तीन प्रमुख श्रम सुधार विधेयकइंडस्ट्रियल रिलेशन कोड 2020, ऑक्युपेशनल सेफ्टी, हेल्थ एंड वर्किंग कंडिशंस कोड 2020 और कोड ऑन सोशल सिक्योरिटी 2020 पारित किए, जो राष्ट्रपति के हस्ताक्षर के बाद कानून बन गए।
रुकना ही चाहिये नशे का कारोबार
तकरीबन एक अरब रुपए के भांग के सरकारी ठेके इस साल उत्तर प्रदेश, राजस्थान और मध्य प्रदेश को मिलाकर छूटे हैं। अकेले बागपत जिले में तीन ठेके 45 लाख रुपये से अधिक के छूटे जबकि उत्तर प्रदेश सरकार ने पिछले साल प्रदेश के लोगों के लिए जितनी भांग की व्यवस्था की थी, इस बार का टारगेट उससे डेढ़-दो प्रतिशत बढ़ा दिया है। मतलब, उत्तर प्रदेश में इस साल लोग और ज्यादा भांग खाएंगे। इतना ही नहीं, उत्तर प्रदेश और उत्तराखंड ने भांग की खेती को बढ़ावा देने के लिए कई योजनाएं बना रखी हैं। बगल में हिमाचल प्रदेश, जहां का गांजा विश्व प्रसिद्ध है और जिसे केंद्र में रखकर एक फिल्म 'चरस बन चुकी है, जिसमें मशहूर अभिनेता स्व. इरफान तस्कर की भूमिका में थे, वहां भी अब इसकी खेती बड़े पैमाने पर कराने की सरकारी तैयारी है।
तकनीक के क्षेत्र में आगे बढ़ रहा भारत
भरत झुनझुनवाला आज से 200 वर्ष पूर्व विश्व की आय में भारत का हिस्सा 25 प्रतिशत था और चीन का 33 प्रतिशत। 200 वर्षों के बाद भारत का हिस्सा घटकर 1 प्रतिशत रह गया था और चीन का मात्र 2 प्रतिशत।
रेप की घटनाओं पर लगे रोक
आशुतोष चतुर्वेदी हाथरस की बेटी के साथ दुष्कर्म और फिर उसकी हत्या पर उत्तर प्रदेश पुलिस ने जिस असंवेदनशील तरीके से कार्रवाई की और मामले को दबाने-ढकाने की कोशिश की, वह दर्शाता है कि हमारे समाज का क्षरण हो गया है. हाथरस की घटना के बाद राजस्थान व मध्य प्रदेश सहित अनेक राज्यों से दुष्कर्म की संगीन घटनाओं की खबरें सामने आयी हैं.
डिजिटल अर्थव्यवस्था का नया दौर
आर्टिफिशियल इंटेलिजेस (एआइ) पर पांच दिवसीय वैश्विक डिजिटल शिखर सम्मेलन के उद्घाटन के मौके पर प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि कृषि, शिक्षा, शहरी बुनियादी अधोसंचरना और आपदा प्रबंधन के तंत्र को मजबूत करने के लिए एआइ को प्रभावी बनाया जाना जरूरी है.
चरित्र निर्माण की पाठशाला में समाधान
भारत देश जहां यह कहा गया कि जहां नारी की पूजा हो, वहां देवता निवास करते हैं, जहां की मान्यता यह है कि नारी मां है और सबसे ऊंचा स्थान मां का है। जिस देश में संयम, व्रत की संस्कृति को पाला-पोसा गया, जिस देश में गुरुकुलों में पच्चीस वर्ष तक विद्यार्थियों को रखकर केवल किताबी शिक्षा नहीं, अपितु जीवन विज्ञान पढ़ाया जाता था, उस देश की स्वतंत्रता के 74 वर्ष में पहुंचतेपहुंचते हालत यह हो गई कि देश की बेटियां असुरक्षित हैं। इससे भी बुरी बात यह है कि हमारे देश की राजनीति इतनी नीचे गिर गई है कि विपक्षी दल यह देखते रहते हैं कि कहां कोई ऐसा वाकया हो जहां उनकी बंद पड़ी राजनीति की दुकान एक बार चल पड़े। भारत में अफसोसजनक स्तर तक महिलाओं के विरुद्ध अपराध हो रहे हैं।
'शासन-प्रशासन स्वास्थ्य योद्धा मीडिया एंव नागरिक कटघरे में?
कोरोनाः गैर जिम्मेदारों का बेताज बादशाह'
'कारसेवक' क्या अराजक व असामाजिक तत्व थे?
अयोध्या के "विवादित ढांचा" ढहाए जाने के आरोप के मुकदमे का बहुप्रतीक्षित निर्णय आखिर 28 साल बाद आज आ ही गया। सीबीआई की विशेष न्यायालय ने 49 आरोपियों में से बचे समस्त 32 जीवित आरोपियों को सबूतों के अभाव में "निरापराधी घोषित किया । "सम्मानित आरोपियों सहित प्रायः देश ने इस निर्णय का स्वागत ही किया है।
दीनदयाल जी और एकात्म मानववाद
दीनदयाल जी समाजवाद और साम्यवाद को कागजी और अव्यावहारिक सिद्धांत के रूप में देखते थे। उनका स्पष्ट मानना था कि भारतीय परिप्रेक्ष्य में ये विचार न तो भारतीयता के अनुरूप हैं और न ही व्यावहारिक ही हैं। भारत को चलाने के लिए भारतीय दर्शन ही कारगर वैचारिक उपकरण हो सकता है। चाहे राजनीति का प्रश्न हो, चाहे अर्थव्यवस्था का प्रश्न हो अथवा समाज की विविध जरूरतों का प्रश्न हो, उन्होंने मानवमात्र से जुड़े लगभग प्रत्येक प्रश्न की समाधानयुक्त विवेचना अपने वैचारिक लेखों में की है।
जनता के बीच वित्तीय साक्षरता बढ़ा रही मोदी सरकार, लोगों की परेशानियाँ हो रही हैं दूर
भारत में कल आबादी का लगभग 60 प्रतिशत से अधिक हिस्सा ग्रामीण इलाकों में रहता है एवं अपने रोज़गार के लिए मुख्यतः कृषि क्षेत्र पर ही निर्भर हैं। इस प्रकार भारत में कृषि का क्षेत्र एक सिल्वर लाइनिंग के तौर पर देखा जाता है। सामान्य तौर पर वित्तीय समावेशन की सफलता का आकलन इस बात से हो सकता है कि सरकार द्वारा इस सम्बंध में बनायी जा रही नीतियों का फ़ायदा समाज के हर तबके, मुख्य रूप से अंतिम पायदान पर खड़े लोगों तक पहुंच रहा है। भारत में वर्ष 1947 में 70 प्रतिशत लोग गरीबी की रेखा से नीचे जीवन यापन कर रहे थे। जबकि अब वर्ष 2020 में देश की कुल आबादी का लगभग 22 प्रतिशत हिस्सा गरीबी रेखा के नीचे जीवन यापन कर रहा है।
कोरोना मरीजों के उपचार और देखभाल की हो बेहतर व्यवस्थाः मुख्यमंत्री भूपेश बघेल
मुख्यमंत्री श्री भूपेश बघेल ने आज यहां अपने निवास कार्यालय से वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से अपने मंत्रि-मंडलीय सहयोगियों के साथ ही जिला के कलेक्टरों, पुलिस अधीक्षकों एवं चिकित्सा अधिकारियों से राज्य में कोरोना संक्रमण की स्थिति और इसकी रोकथाम के उपायों के संबंध में विस्तार से चर्चा की और उनसे सुझाव प्राप्त किए।
भारतीय हॉकी की रानी हैं रानी रामपाल कड़ी मेहनत से पहुंची हैं शीर्ष तक
भारतीय हॉकी के इतिहास में पहली बार ऐसा हुआ है, जब महिला हॉकी टीम की किसी खिलाड़ी को खेल जगत का सर्वोच्च सम्मान 'राजीव गांधी खेल रत्न पुरस्कार' दिया जाएगा।
फेसबुकः उठते सवाल, राजनीतिक बवाल और बार-बार माफी मांगने की आदत
गलती करना इंसान का एक अवगुण है, कितनी ही सावधानी बरतें लेकिन कहीं ना कहीं कोई त्रुटि हो ही जाती है। लेकिन त्रुटि के बाद माफी मांगना, इंसानियत का श्रेष्ठ गुण है। सॉरी, ये एक ऐसा शब्द है जिसका इस्तेमाल आप और हम न जाने कितनी ही बार करते हैं। लेकिन इसे बोलिए तभी जब सच में महसूस हो । एक बहुत ही मशहूर कहावत है कि अगर कोई काम एक या दो बार किया जाता है, तो उसे गलती कहा जाता है। लेकिन अगर वही बात बारबार दोहराई जाती है तो इसे कौन सी संज्ञा दी जाए ये आप खुद ही तय कर सकते हैं लेकिन इसे गलती तो कतई नहीं कहा जा सकता है। चेहरे की किताब यानी फेसबुक जिसके जरिए हम दोस्तों से जुड़े रिश्तेदारों से जुड़े।
मोदी सरकार की ओर से उठाये गये कदमों से बदल रहा है अर्थव्यवस्था का स्वरूप
कोरोना वायरस महामारी के बाद भारतीय अर्थव्यवस्था का स्वरूप कुछ बदलने की राह पर जाता दिखाई दे रहा है। अभी तक भारतीय अर्थव्यवस्था में कृषि का योगदान काफ़ी कम रहता है एवं सेवा क्षेत्र का योगदान सबसे अधिक रहता है। परंतु बदली हुई परिस्थितियों में कृषि का योगदान कुछ बढ़ता नज़र आ रहा है एवं सेवा क्षेत्र का योगदान कम हो सकता है क्योंकि पर्यटन एवं होटल उद्योग कोरोना वायरस महामारी में सबसे ज्यादा प्रभावित हुए हैं और ये दोनों उद्योग सेवा क्षेत्र के अंतर्गत आते हैं।
15 अगस्तः स्वतंत्रता दिवस वह खास दिन जब हमें मिली थी आजादी
15 अगस्त का दिन भारतीय लोकतंत्र और हर भारतीय के लिए काफी खास दिन है। यही वह दिन है जब भारत को ब्रिटिश शासन से आजादी मिली थी। इसी वजह से हर साल 15 अगस्त को स्वतंत्रता दिवस मनाया जाता है। आज के समय में भारत दुनिया का सबसे बड़ा लोकतंत्र है। आज हम देश की आजादी की 74वीं सालगिरह मना रहे हैं।
जानिए कारगिल युद्ध के उन जांबाजों को जिन्हें परमवीर चक्र से किया गया सम्मानित
26 जुलाई को कारगिल विजय दिवस मनाया जाता है। यह वही दिन है जिस दिन भारत ने अपने वीर जवानों के साहस के दम पर युद्ध में पाकिस्तान को धूल चटा दी थी। हमारे जवानों ने देश की आन बान और शान की खातिर अपने प्राण तक न्यौछावर कर दिए थे।
उल्लास में बलिदानियों को न भूलें
आखिर वह शुभ घड़ी आ ही गयी जिसकी हमें वर्षों से प्रतीक्षा थी, सभी लोग बाट जोह रहे थे उस पल की जब भगवान श्रीराम के जन्मस्थान पर भव्य राम मंदिर का निर्माण हो। लेकिन यह पल ऐसे नहीं आया है। इसके लिए लाखों रामभक्तों ने बलिदान दिया है। हिन्दू समाज ने इसके लिए मुगलकाल से लेकर अब तक कई लड़ाईयां लड़ी हैं। इसके लिए हजारों माताओं की गोद सूनी हुई है। हजारों हजार स्त्रियों के सिंदूर सूख गये और हजारों हजार बहनों के रक्षासूत्र टूटे हैं। किसी ने भाई, किसी ने बेटा और किसी ने अपना पति खोया है। वहीं अनेकानेक रामभक्तों ने तरह-तरह की यातनाएं सही हैं। राम मंदिर के शिलान्यास का यह क्षण हम सब की आंखों के सामने सहज नहीं आया है। हम सब भाग्यशाली हैं कि इस गौरवपूर्ण क्षण के साक्षी बने।
भारत का इतिहास भाईचारे का अमेरिकी के नाम से जन्मा है मॉब लिचिंग
लिंचिंग' ये शब्द अमेरिका से ही आया है इस बात में संदेह नही है , कुछ लोग जिसे विलियम लिंच के नाम से जानते है तो कुछ चा लिंच के नाम से उसने एक क्रांति के दौरान अपनी निजी अदालतें बिठानी शुरू की और अपराधियों तथा विरोधी षड्यंत्रकारियों को बिना किसी कानूनी प्रक्रिया के सजा देने लगा।
भारत-अमेरिका व्यापार तो बढ़ ही रहा है, मोदी के प्रयासों से निवेश की संभावनाएँ भी बढी
अभी हाल ही में भारत अमेरिका व्यापार परिषद की स्थापना के 45 वर्ष पूर्ण होने के उपलक्ष्य में देश के प्रधानमंत्री माननीय नरेंद्र मोदी ने भारत विचार शिखर सम्मेलन को संबोधित करते हुए अमेरिका सहित विदेशी निवेशकों को भारत में निवेश करने के लिए आमंत्रण दिया। प्रधानमंत्री ने स्वास्थ्य, रक्षा, अंतरिक्ष, ऊर्जा, बीमा समेत कई अन्य क्षेत्रों में विदेशी निवेश के लिए भारत में अवसर उत्पन्न होने के कई कारण गिनाए। प्रधानमंत्री ने कहा कि भारत अवसरों की भूमि के रूप में उभर रहा है। विशेष रूप से स्वास्थ्य, रक्षा, अंतरिक्ष, ऊर्जा, बीमा आदि क्षेत्रों पर निवेशकों का ध्यान आकर्षित करते हुए उन्होंने कहा कि भारत विदेशी निवेशकों को स्वास्थ्य सेवा, रक्षा और अंतरिक्ष, ऊर्जा, बीमा आदि क्षेत्रों में निवेश करने के लिए आमंत्रित करता है। भारत में स्वास्थ्य देखभाल क्षेत्र प्रति वर्ष 22 प्रतिशत से भी अधिक तेजी से बढ़ रहा है। भारत रक्षा के क्षेत्र में विदेशी निवेश के लिए प्रत्यक्ष विदेशी निवेश की सीमा को 74 तक बढ़ा रहा है। इसी प्रकार, चूंकि भारत में गैस आधारित अर्थव्यवस्था विकसित हो रही है अतः ऊर्जा के क्षेत्र में भी विदेशी निवेश के लिए भारत में अपार सम्भावनाएँ पैदा हो रही हैं।
भारतीय संस्कृति की विजय का पर्व
यह सर्वसमावेशी, सभी आस्थाओं का सम्मान करने वाली, पद दलितों को अपनाने वाली, सभी का भला चाहने वाली संस्कृति की विजय का पर्व है।
राम मंदिर पर दुराग्रह का प्रदर्शन
लगभग पांच शताब्दी की लंबी प्रतीक्षा के बाद अयोध्या में राम मंदिर निर्माण का भूमि पूजन समारोह संपन्न् हो गया।
गांव की अर्थव्यवस्था को मजबूती की मुहर
कोरोना जैसे संकट में जब पूरी दुनिया दहशत में थी, तब भारत के महानगरों से अपने घर जाने के लिए, लाखों-करोड़ों प्रवासी श्रमिक भी वापिस कूच कर गए। सरकार द्वारा चलाई गई विशेष श्रमिक रेलों से, बसों से, पैदल भी मजदूर परिवार सहित घर लौट चले। रास्ते की हर कठिनाई का सामना किया, सफर की हर मुश्किल झेली। उनका ये हौसला देखकर दुनिया दंग थी। 2-2 हजार किलोमीटर से वापिस अपने गांव-बसेरे पर लौटते, गरीबी और हाशिए पर खड़े प्रवासी मजदूरों के सामने रोजी- रोटी की पहाड़ सी समस्या मुंह बाये खड़ी थी। आजीविका का अभाव, गुजर-बसर की जद्दोजहद में राहत की राह देख रहे करोड़ों श्रमिकों के लिए भारत सरकार की गरीब कल्याण रोजगार अभियान प्रकाश स्तंभ के रूप में आयी।
कोरोना ने 'कश्मीर से कन्याकुमारी तक देश एक है की भावना को 'तार-तार तो नहीं कर दिया है?
हमारा देश अनेकता में एकता लिये हुए ऐसा देश है, जिसमें भिन्न- भिन्न संस्कृति, राजनैतिक विचार धाराएं, धार्मिक आस्थाएं नदियों पहाड़ों व जंगलों के साथ सुंदर प्राकृतिक भौगोलिक संरचना होते हुये भी, एकता लिए हुए एक मजबूत देश है। कतिपय संवैधानिक प्रतिबंधों के साथ कश्मीर से कन्याकुमारी तक देश के नागरिक को कहीं भी घूमने की व जीने की स्वतंत्रता है।
भारतीय राजनीति में 'सवालों' के 'जवाब' के 'उत्तर' में क्या सिर्फ 'सवाल' ही रह गए हैं?
भारतीय राजनीति का एक स्वर्णिम युग रहा है। जब राजनीति के धूमकेतु डॉ राम मनोहर लोहिया, अटल बिहारी बाजपेई, बलराम मधोक, के. कामराज, भाई अशोक मेहता, आचार्य कृपलानी, जॉर्ज फर्नाडिस, हरकिशन सिंह सुरजीत, ई. नमबुरूदीपाद, मोरारजी भाई देसाई, ज्योति बसु, चंद्रशेखर, तारकेश्वरी सिन्हा जैसे अनेक हस्तियां रही है। ये और उनके समकक्ष अनेक नेता गण संसद मैं व बाहर इतने हाजिर जवाब होते थे, जब इनसे मीडिया या अपने विपक्षियों द्वारा कोई प्रश्न पूछा जाता था। तब उनका उत्तर सामने वाले से उल्टा प्रश्न करना नहीं होता था, जैसे कि आजकल यह एक परिपाटी ही बन गई है। बल्कि वे सटीक जवाब देकर सामने वाले को निरूतर कर आवश्यकतानुसार प्रति-प्रश्न करने में भी सक्षम होते थे व माहिर थे।
इस तरह गूगल और एपल मिलकर तोड़ेंगी कोरोना संक्रमण की चेन
पिछले कुछ महीनों से विभिन्न देशों द्वारा कोरोना संक्रमण की चेन को तोड़ने के लिए अपने-अपने स्तर पर अलग-अलग तरह के प्रयास किए जा रहे हैं। कई देशों ने लॉकडाउन को एक कारगर हथियार के तौर पर इस्तेमाल किया तो कइयों ने इसके लिए आधुनिक तकनीक का भी उपयोग किया है।
कोराना त्रासदी
कोरोना की टेडी और बिगडी चाल