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डॉ. केशव बलिराम हेडगेवार जनजागृति के सूत्र
भारतीय इतिहास के देदीप्यमान नक्षत्र प्रात : स्मरणीय डॉ. केशव बलिराम हेडगेवार का जीवन राष्ट्र भक्ति की प्रेरणा का अखंड स्रोत है।
प्रदेश में योगीराज की भव्य ऐतिहासिक वापसी
भारतीय जनता पार्टी के कर्मयोद्धा योगी आदित्यनाथ ने कई राजनैतिक मिथकों को तोड़ते हुए प्रचंड बहुमत प्राप्त कर उत्तर प्रदेश की राजनीति में अपनी उपयोगिता को साबित कर दिया है।
डॉ.केशव बलिराम हेडगेवार जन्मजात देशभक्त एवं अद्भुत संगठन-शिल्पी
हिन्दू धर्म में वर्ष प्रतिपदा का विशेष महत्व होता है। वर्ष प्रतिपदा यानी वर्ष का पहला दिन।
डॉ. हेडगेवार ने देश के लिए जीना सिखाया
राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की स्थापना को दो वर्ष बाद यानी विजयादशमी 2025 को सौ वर्ष पूरे हो जाएंगे।
पश्चिम बंगाल विधानसभा में हिंसा के दाग
पश्चिम बंगाल विधानसभा में सत्ता पक्ष और विपक्ष के विधायकों के बीच हाथापाई और नेता प्रतिपक्ष समेत पांच भाजपा विधायकों के निलंबन की घटना एक बार फिर भारतीय लोकतंत्र को शर्मसार कर गई।
व्यक्तिपूजा के निषेध और अस्पृश्यता निवारण का मूल मंत्र
केशव बलिराम हेडगेवार जब जवानी की ओर कदम बढ़ा रहे थे, उन दिनों भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस औपनिवेशिक सोच और आधार से मुक्त होकर उस भारतीय जनमानस का प्रतिनिधि बन चुकी थी, जो अंग्रेजों की गुलामी से अपने देश और अपनी माटी को आजाद देखना चाहता था। कांग्रेस को इस दिशा में मोड़ने में निश्चित तौर पर लाल-बाल और पाल की तिकड़ी के ओजस्वी नेतृत्व का प्रभाव सबसे ज्यादा था। लाल यानी लाला लाजपत राय, बाल यानी बाल गंगाधर तिलक और पाल यानी विपिन चंद्र पाल जैसे गरम दल के नेताओं ने कांग्रेस को भारतीयों की सोच की प्रतिनिधि पार्टी बनाने की दिशा में मोड़ दिया था। यह भी देखने की बात है कि ये तीनों नेता भारत के तीन इलाकों के थे, लेकिन भारतीय राष्ट्र की अखंडता और उसकी आजादी को लेकर तीनों की सोच एक थी। बाल गंगाधर तिलक जहां देश के पश्चिमी हिस्से यानी महाराष्ट्र के थे, वहीं बिपिन चंद्र पाल देश के पूर्वी छोर यानी बंगाल के निवासी थे। इसी तरह लाला लाजपत राय पंजाब के थे।
अब नकल की एक नई तरकीब
अब नकल करने की एक नई तरकीब की साजिश सामने आई है, जिसमें रशियन हैकर्स के जरिए भारत की बड़ी-बड़ी परीक्षाएं जैसे जेईई, जीमैट, एसएससी और सेना की ऑनलाइन परीक्षाएं पास कराई जा रही हैं।
चैत्र शुक्ल प्रतिपदा अपना हिंदू नववर्ष
हिंदू नववर्ष व अंग्रेजी नववर्ष मनाने की पद्धति में बड़ा ही अंतर है। इस दिन जहां हिंदू घरों में नवरात्रि के प्रारम्भ के अवसर पर कलश स्थापना की जाती है घरों में पताका ध्वज आदि लगाये जाते हैं तथा पूरा नववर्ष सफलतापूर्वक बीते इसके लिए अपने इष्ट, गुरु, माता-पिता सहित सभी बड़ो का आशीर्वाद लिया जाता है। जबकि अंग्रेजी नववर्ष पूरे विश्व में हुड़दंग का दिन होता है। हिंदू नववर्ष की शुरूआत में ही मां दुर्गा के नवरूपों के आराधना के रूप में महिलाओं के सम्मान की बात सिखायी जाती है जबकि अंग्रेजी नववर्ष में नारी शक्ति का उपयोग मनोरंजन प्रधान वस्तु के रूप में करता है।
कट्टरता के कैंसर को उजागर करती 'द कश्मीर फाइल्स'
निर्माता-निर्देशक विवेक अग्निहोत्री और उनकी पत्नी पल्लवी जोशी, जोशी, अभिनेता अनुपम खेर आदि के सम्मिलित प्रयास से निर्मित बहुचर्चित फिल्म 'द कश्मीर फाइल्स' लीक से हटकर बनी है।
'भारत है हिन्दू राष्ट्र' विचार के प्रतिपादक- डॉ. हेडगेवार
हिन्दू राष्ट्र के विचार और भगवा ध्वज के साथ संघ स्थापना करके संघ कार्य को सफल कर दिखाने वाले डॉ. हेडगेवार के प्रति कृतज्ञता का भाव मन में धारण कर संघ कार्य को आगे बढ़ाना प्रत्येक हिन्दू का स्वाभाविक कर्तव्य है। संघ ने भारत को परम वैभवशाली बनाने का लक्ष्य अपनी आंखों के सामने रखा है। उसे साकार करने में सहयोग देना हिन्दू और राष्ट्र के लिए परम कल्याणकारी होगा।
सेरोगेसी का मायाजाल
सरोगेसी का विचार एक अपार संभावनाओं को लेकर हमारे सामने प्रस्तुत हुआ। यह उन पेरेंट्स के लिए वरदान साबित हुआ है जो किसी कारणवश माता-पिता नहीं बन पा रहे हैं वे इसके द्वारा माता-पिता बन सकते हैं। परंतु इसके विपरीत इसका दुरुपयोग होना शुरू हो गया है। जैसा कि हम लोग जानते हैं कि अमीर, शारीरिक रूप से स्वस्थ और हर प्रकार की सुविधा से युक्त लोग आज इसका उपयोग करने लगे हैं जिसने हमारे समाज, संस्कृति और मां बनने के एक महान कार्य को मजाक बना कर रख दिया है।
शहीद भगत सिंह और उनका हिंदी प्रेम
देशवासी शहीद भगत सिंह के कार्यों और शहादत से भलीभांति परिचित हैं पर उनके जीवन का एक पक्ष यह भी है कि वह हिंदी के प्रसिद्ध पत्रकार और लेखक थे। इस पक्ष से लोग कम ही परिचित हैं। उन्होंने अपने विद्यार्थी जीवन में ही इसका परिचय दे दिया था। उन दिनों में उन्होंने हिंदी में एक लंबा लेख लिखा था जो पंजाब की भाषा और लिपि से संबंधित था। यह लेख उन्होंने पंजाब के हिंदी साहित्य सम्मेलन की ओर से आयोजित प्रतियोगिता में भेजा था और इस पर उन्हें पुरस्कार भी प्राप्त हुआ था।
विधानसभा चुनावों के राजनीतिक संकेत
उत्तर प्रदेश के चुनावों में जाति का कार्ड उन जगहों पर चलता नजर आया, जहां समाजवादी पार्टी ने किसी खास जाति के मजबूत चेहरे को उतारा था। इस चुनाव ने यह भी साबित किया है कि अहंकार की भाषा को लोकतांत्रिक समाज स्वीकार नहीं करता। सभाओं में उमड़ती भीड़ देख अखिलेश की कर्कश होती भाषा को वोटरों ने एक बार फिर बदअमली की वापसी की आशंका के तौर पर लिया और समाजवादी पार्टी तमाम बढ़त के बावजूद भाजपा से पीछे रही। वैसे कह सकते हैं कि यह जीत सबका साथ और सबका विश्वास के विचार की है, जिसकी बुनियाद पर हाल के दिनों में एक ऐसा भारत खड़ा हो रहा है, जिसकी आर्थिक और राजनीतिक धमक देश के बाहर भी गंभीरता से सुनी जा रही है।
योगी का हठ योग बना जीत का जोग
उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव
मोदी, योगी की जोड़ी ने विपक्ष की कमर तोड़ी
उत्तर प्रदेश बना भाजपा का स्थायी गढ़
प्रतिभा के धनी रवि
खेल-जगत
पांच राज्यों में हुए चुनावी परिणाम के सियासी मायने
विधानसभा चुनाव 2022
दमदार, उद्देश्यपूर्ण और एक सशक्त फिल्म
द कश्मीर फाइल्स
ज्वालामुखी और सुनामी से प्रशांत क्षेत्र में अशांति
पर्यावरण की खबरे
कर्नाटक हाई कोर्ट का फैसलाः स्कूल और कॉलेजों में हिजाब बैन
हिजाब विवाद
हिजाब विवाद भारत का तालिबानीकरण करने की गहरी साजिश
हिजाब विवाद
रूस-यूक्रेन संकट भारत की कुशल रणनीति
आज हर जगह केवल रूस-यूक्रेन संकट की चर्चा है और साथ ही पूरी दुनिया की निगाहें इस संकट पर भारत की भूमिका पर हैं। भारत सरकार ने अभी तक इस प्रकरण पर बहुत ही संतुलित व तटस्थ भूमिका का निर्वाहन किया है। संयुक्त राष्ट्र महासभा सहित जिन मंचों पर रूस के खिलाफ निंदा प्रस्ताव या अन्य जितने भी प्रस्ताव पास हुए हैं उन सभी में मतदान के दौरान भारत अनुपस्थित ही रहा है। यह पंक्तियां लिखे जाने तक भारत के रूख से रूस और अमेरिका सहित विश्व के सभी देश खुश हैं।
रूस और यूक्रेन के विवाद की जड़
रूस-यूक्रेन युद्ध
मां, ममता और आत्मनिर्भरता
आज महिलाएं समाज पर सकारात्मक प्रभाव डालने में सफलता हासिल कर रही हैं। हर देश की सामाजिक-आर्थिक स्थिति पर महिलाओं के विकास का सीधा असर पड़ता है। गुजरात हमेशा से महिलाओं के विकास और सशक्तिकरण में अग्रसर रहा है। मुख्यमंत्री भूपेन्द्र पटेल के दूरदर्शी नेतृत्व में गुजरात सरकार ने राज्य की महिलाओं को मजबूत करने के लिए कई महिला केद्रित पहले की हैं।
भूपेंद्र पटेल गुजरात के आर्थिक इंजीनियर
भूपेन्द्र की बेहतरीन पारी
परम्परा या कुरीति : हिजाब
यूनिफार्म सिविल कोड आज इसलिए भी अधिक जरुरी बन जाता है क्योंकि आज स्कूल-कॉलेज की छात्राएं हिजाब/बुर्का पहन कर आने की आजादी मांग रही है जो समझ से परे, क्योंकि एक ओर जहां आज महिलाएं परम्परा रूपी दीवारों को तोड़कर आसमान में उड़ान भर रही हैं वहीं दूसरी तरफ मुस्लिम महिलाएं अभी भी जड़ता रूपी कुरीतियों में फंसी हुई हैं जो सोचनीय है।
डायबिटीज के कारण किडनी रोग का ज्यादा जोखिम
डायबिटीज के कारण किडनी रोग के ज्यादातर जोखिमों को समय पर डायग्नोसिस, आधुनिक चिकित्सा और लाइफस्टाइल में बदलाव से सुधारा जा सकता है और इस स्थिति का इलाज एवं प्रबंधन संभव हो सकता है। हालांकि अन्य गंभीर बीमारियों की तरह ही किडनी रोग में भी बहुत कम शुरुआती लक्षण दिखते हैं। मसलन, किसी मरीज में एल्बुमिनुरिया हो सकता है, जो किडनी रोग का शुरुआती लक्षण है।
गुजरात की अस्मिता को सशक्त बनाने में सदा तत्पर हूं
"यदि आप गुजरात की सफलता का बारीकी से विश्लेषण करेंगे और विदेशी निवेशकों को आकर्षित करने की इसकी क्षमता के पीछे के कारकों के बारे में सोचेंगे, तो आप पाएंगे कि पिछले एक दशक में गुजरात के तकनीकी कौशल, उद्योग के अनुकूल में नीतियां, पारदर्शी प्रशासनिक प्रणाली और विकास के प्रति प्रतिबद्धता जैसे कारकों ने सबसे अहम भूमिका निभाई है। ये वे कारक हैं, जिन्होंने गुजरात को निवेशकों का सबसे पसंदीदा राज्य बनाया है। हम कारोबारी माहौल को आसान बनाने के लिए अपनी नीतियों और प्रबंधन को लगातार अपग्रेड कर रहे हैं। हमारी सिंगल-विंडोसिस्टम की पहल ने 800,000 से अधिक एप्लिकेशन को प्रोसेस किया है और यह इंडस्ट्री संबंधी अप्रूवल एवं क्लीयरेंस के लिए वन-स्टॉप समाधान बन गया है, यह कहना हैं गुजरात के मुख्यमंत्री भूपेन्द्र पटेल का दीपक कुमार रथ के साथ हुई विशेष बातचीत में। प्रस्तुत है प्रमुख अंश :
कानून ने दिखाया जन्नत का रास्ता
बीते 18 फरवरी को स्पेशल कोर्ट ने अबतक के इतिहास में सबसे बड़ी सजा सुनाते हुए 49 दोषियों में से एक साथ 38 दोषियों को फांसी की सजा और 11 दोषियों को उम्रकैद की सजा सुनाई है। इन दोषियों के जुर्म की कहानी भी उतनी ही दर्दनाक है जितनी इनकी मौत होनी है। इनका जुर्म सिर्फ किसी की मौत नहीं है बल्कि इस कहानी में वो कितने घर हैं जो इनके जुर्म की वजह से उजड़ गए, कितने बच्चों के सर से उनके अभिभावकों का साया उठ गया, सम्पति के नुकसान की तो बात छोड़ ही दीजिये। स्वाभाविक है कि इनके जुर्म को जानकर किसी का भी खून खौल उठेगा।
अलविदा बप्पी दा
बप्पी दा का अंदाज ही अलग था। उनका संगीत अलग था। वह डिस्को किंग माने जाते थे। 80 के दशक में बप्पी दा ने फिल्म इंडस्ट्री में जो धूम मचाई वो हर संगीतकार के बस की बात नहीं। साल 1982 में निर्माता प्रकाश मेहरा एक नई फिल्म बनाने की तैयारी में थे। उस वक्त तक प्रकाश मेहरा अमिताभ बच्चन के साथ जंजीर, मुकद्दर का सिंकदर और लावारिस जैसी सुपरहिट फिल्म बना चुके थे। बतौर संगीतकार कल्याण जी आनंद जी प्रकाश मेहरा की टीम का हिस्सा थे। इन तीनों ही फिल्म का संगीत कल्याण जी आनंद जी ने ही दिया था। लेकिन संगीत की दुनिया तेजी से बदल रही थी। हिंदी फिल्म इंडस्ट्री में एक नए संगीतकार ने पदार्पण किया था और वो बड़े-बड़े संगीतकारों को चुनौती दे रहा था। प्रकाश मेहरा ने वक्त की नब्ज को भांपकर अपनी नई फिल्म के लिए भी इसी नए संगीतकार को चुना। वो फिल्म थी- नमक हलाला बाकी जो हुआ वो इतिहास में दर्ज है।