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छद्म की जगह खुला युद्ध क्यों चुन रहा ईरान!
नेताओं ईरान के परमाणु कार्यक्रम के प्रति इजराइल का यह डर, पूर्व में ईरानी द्वारा खुले तौर पर इजराइल के विनाश की वकालत करने से सच साबित होता है। उदाहरण के लिए, अक्टूबर 2005 में ईरान के राष्ट्रपति महमूद अहमदी ने खुले रूप से घोषणा किया कि इजराइल को 'मानचित्र से मिटा दिया जाना चाहिए।' इस उत्तेजक बयानबाजी ने इजराइली चिंताओं को बढ़ाया है जो ईरान की परमाणु महत्त्वाकांक्षाओं से उत्पन्न कथित खतरे को रेखांकित करता है।
क्या चीन की गोद में खेल रहे सोनम वांगचुक?
सोनम वांगचुक को जिस मूवी थ्री इडियट्स ने हीरो बनाया, वह मूवी उनकी असली जिंदगी से एक प्रतिशत भी वास्ता नहीं रखती, यह बात खुद सोनम वांगचुक ने दर्जनों बार मीडिया में कबूली है। मूवी में जिस वैज्ञानिक फुन्सुक (सोनम वांगचुक से प्रेरित चरित्र) का किरदार आमिर खान ने निभाया है, वह माली का बेटा है, जबकि सोनम वांगचुक मंत्री के बेटे हैं। उनके पिता सोनम वांग्याल कांग्रेस नेता थे, जो बाद में राज्य सरकार में मंत्री बने।
बाड़मेर में राष्ट्रीय दलों के खिलाफ युवा जनसैलाब
रवीन्द्र सिंह भाटी को टिकट न देकर बीजेपी ने अपनी मुश्किलें बढ़ा ली हैं। अब कांग्रेस को जीत की किरण दिख रही है, लेकिन सर्वे कुछ और बयां कर रहे है। 2024 में राजस्थान की बाड़मेरजैसलमेर सीट चर्चा का विषय बनी हुई है। शिव विधानसभा सीट से विधायक बनने वाले रवीन्द्र सिंह भाटी ने निर्दलीय पर्चा भरा है। उनके चुनावी मैदान में उतरने से बाड़मेर के समीकरण रोचक हो गए हैं।
नक्सलियों के गढ़ में जमकर वोटिंग
प्रथम चरण के लोकसभा चुनाव में 19 अप्रैल को बस्तर संसदीय निर्वाचन क्षेत्र में शांतिपूर्ण तरीके से वोट पड़े और मतदान प्रतिशत में भी इजाफा हुआ है। बस्तर में जहां पहले नक्सली चुनाव के दौरान भय पैदा करने के लिए धमाके करते थे, गांव में बैठक कर लोगों को डराते थे, मगर नक्सलियों का अब यह डर लोगों के दिमाग से निकल चुका है। यह कहा जा सकता है कि बैलेट पेपर अब बारूद पर भारी पड़ रहा है।
शिखर से सिफर तक...
समाजसेवी अन्ना हजारे का आंदोलन अरविंद केजरीवाल के जीवन का बहुत बड़ा टर्निंग प्वाइंट साबित हुआ क्योंकि अरविंद केजरीवाल ने यहां से राजनीतिक उड़ान भरी। साल 2013 में हुए दिल्ली के चुनावों में आम आदमी पार्टी को 28 सीटों पर जीत मिली और आम आदमी पार्टी सबसे बड़ी पार्टी बनकर उभरी लेकिन जिस भ्रष्टाचार के खिलाफ केजरीवाल राजनीति में आए, उसी भ्रष्टाचार में लिप्त पाये जाने पर जेल के सलाखों के पीछे हैं।
सिविल सेवा की सफलता से मुस्लिम समाज गौरवान्वित
किसी समाज के उत्थान में किसी न किसी प्रेरणा की आवश्यकता होती है जिसकी वजह से वह समाज सफलता के पथ पर अग्रसर हो जाता है। अब बात आती है अल्पसंख्यक समुदाय के बीच सिविल सेवा परीक्षा के बारे में जागरूकता की, तो जब शाह फैसल ने 14 साल पहले यूपीएससी की परीक्षा में टॉप किया था, इससे न केवल मुसलमानों में गर्व की भावना पैदा हुई, बल्कि सिविल सेवाओं में नए सिरे से रुचि पैदा हुई। शाह फैसल ने 2010 में टॉप करके कश्मीरियों समेत पूरे देश के मुस्लिम युवाओं को प्रेरणा दी थी।
ईवीएम सही, आशंकाएं गलत
चुनाव आयोग का कहना है कि विभिन्न हाईकोर्ट ने ईवीएम को भरोसेमंद माना है। साथ ही, ईवीएम के पक्ष में अलग-अलग हाईकोर्ट द्वारा दिए गए कुछ फैसलों को जब सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी गई, तब सुप्रीम कोर्ट ने उन अपीलों को खारिज कर दिया।
आजादी के बाद पहली बार वोटिंग
झारखड जिसे 'जंगल की धरती' कहा जाता है, यह पूर्वी भारत में एक छोटा सा राज्य है। झारखंड का गठन 15 नवंबर सन् 2000 को किया गया था। पहले यह बिहार का दक्षिणी हिस्सा हुआ करता था। रांची इसकी वर्तमान राजधानी है। यहां से लोकसभा के लिए 14, राज्यसभा के लिए 6 और राज्य विधानसभा के लिए 82 सदस्य चुने जाते हैं।
'माननीय' बनने में क्यों पिछड़ रही 'आधी आबादी'
राजनीति में महिलाओं का प्रतिनिधित्व कम क्यों है? इसकी वजह तालाशी जाए तो यह साफ है कि भारत एक गहन पितृसत्तात्मक समाज है और महिलाओं को प्रायः पुरुषों से हीन माना जाता है। यह मानसिकता समाज में गहराई तक समाई हुई है और महिलाओं की राजनीति में नेतृत्व एवं भागीदारी की क्षमता के संबंध में लोगों की सोच को प्रभावित करती है।
जेहाद की जद में उत्तराखंड
देवभूमि उत्तराखंड धार्मिक जेहाद की जद में है। आलम यह है कि जेहाद की तपिश इतनी बढ़ गई कि इसे थामने के लिए सामाजिक विरोध के साथ ही कानूनी-प्रशासनिक कोशिशें करनी पड़ रही हैं। स्थानीय लोग बाहरियों को भगा रहे हैं। तो सरकार बाहर से आने वालों के लिए कानून बना रही है। हालांकि मर्ज गहरा है और इसे केवल धर्म के आधार पर रोक पाना समाज व सरकार दोनों के लिए खासा चुनौतीभरा है।
जंगल की आग से झुलसता उत्तराखंड
जंगलों में लगने वाली आग के लिए अमूमन इंसा लापरवाही जिम्मेदार होती है। कई बार जंगल में घूमने, फोटोग्राफी या किसी शोध के लिए गए लोग कैंप फायर, जलती सिगरेट, जानवरों को भगाने वाले पटाखे या माचिस की जलती तिली यूं ही फेंक देते हैं। इससे भी जंगल में आग लगने का खतरा बढ़ जाता है। वहीं अगर जंगल में एक बार आग लगी तो वहां चलने वाली खुली हवा इसे और बढ़ा देती है।
राष्ट्रीय स्तर पर भी धामी की धूम
उत्तराखंड में अपने महज ढाई साल के कार्यकाल में ही समान नागरिक संहिता, नकल विरोधी कानून लागू करने से उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने देशभर की जनता के दिलों में खास जगह बनाई है। इसके बाद पुष्कर सिंह धामी को लेकर युवाओं में खासा क्रेज दिख रहा है। इसे देख पार्टी हाईकमान अब उनका उपयोग स्टार प्रचारक के रूप में कर रही है। ऐसा भी पहली बार हो रहा है, जब भाजपा किसी छोटे राज्य के सीएम को विभिन्न प्रदेशों में प्रचार करने के लिए भेज रही है।
उत्तर से उभर रहे हिन्दू हृदय सम्राट
वर्तमान परिवेश में भारत की सभी सेकुलर सियासी जमातों के निशाने पर योगी आदित्यनाथ और पुष्कर सिंह धामी हैं। अपने को सेकुलर कहने वाले लोग यह जानते हैं कि इन दोनों क्षत्रपों के रहते तुष्टिकरण की राजनीति संभव नहीं है। जिस आत्मीयता और सहमति के साथ अटक से कटक, कच्छ से कामरूप, कश्मीर से कन्याकुमारी, दिल्ली से दिसपुर और रामनगरी से रामेश्वरम तक समूचा हिन्दू समाज योगी आदित्यनाथ की आवाज में अपनी आवाज को मिलाता है, जिस अपेक्षा से धामी की तरफ राष्ट्रवादी मानस की निगाहें निहारती हैं, उससे यह प्रतीत होता है कि बहुसंख्यक समाज को उत्तर के इन दो सपूतों में अपना 'हिन्दू हृदय सम्राट' दिखाई देने लगा है।
सियासत के अखाड़े में क्षत्रिय
देश में इन दिनों 18वीं लोकसभा चुनाव के मतदान की प्रक्रिया जारी है। सभी राजनीतिक दल अपने-अपने तरीके से वोटरों को लुभाने में लगे हैं। कोई अपनी जाति-बिरादरी के नाम पर वोट मांग रहा है तो कोई धर्म और क्षेत्र के नाम पर। इस बार के चुनावों राजपूत यानि क्षत्रिय बिरादरी को लेकर खासी चर्चा हो रही है। दरअसल, भाजपा के ही एक नेता ने राजपूतों को लेकर एक विवादित बयान दे दिया जिसके बाद से राजपूतों में नाराजगी का उबाल साफ देखा जा सकता है।
धनबल बनाम लोकतंत्र
राजनीतिक प्रक्रिया में धनबल का एक पहलू यह है कि जब एक प्रत्याशी बड़ी मात्रा में अघोषित पैसा चुनाव में लगाता है तो वह जीतने के लिए इसको 'निवेश' की तरह इस्तेमाल करता है। इसी का नतीजा होता है कि चुनाव जीतने के बाद सार्वजनिक धन का बड़े पैमाने पर गबन किया जाता है। ऐसे मामले अक्सर सामने आ ही जाते हैं। अब समय आ गया है कि पैसों का खेल करने वाले राजनेताओं पर कड़ी कार्रवाई हो। आज हमारे सामने सबसे बड़ा प्रश्न यही है कि क्या हमारे राजनेता छोटे-छोटे स्वार्थों से ऊपर उठकर प्रजातंत्र की रक्षा के लिए ऐसा कानून बनाएंगे जिससे चुनावों में धनबल हावी न हो सके। धनबल लोकतंत्र की आत्मा को बुरी तरह जख्मी कर रहा है, इसलिए समय रहते राजनीतिक दलों और चुनाव आयोग को सतर्क होकर कार्य करने की जरूरत है।
चुनावों में एआई का खतरा!
भारत में लोकसभा चुनाव का बिगुल बज चुका है यहां लोकसभा की 543 सीटों पर 7 फेज में चुनाव चल हैं। पहले चरण की वोटिंग 19 अप्रैल को हो गई, वहीं सातवें चरण की वोटिंग 1 जून को होगी, जबकि मतगणना 4 जून को की जाएगी। दूसरी तरफ अमेरिका में भी राष्ट्रपति चुनाव होने वाले हैं। हाल ही में टेक्नोलॉजी कंपनी माइक्रोसॉफ्ट ने एलर्ट जारी करते हुए कहा कि चीन एआई जनरेटेड कंटेंट का प्रयोग करके चुनावों में हेर-फेर कर सकता है। माइक्रोसॉफ्ट ने चेतावनी जारी करते हुए कहा कि चीन इस साल आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस से बने कंटेंट का उपयोग करके अमेरिका, दक्षिण कोरिया और भारत में होने वाले चुनावों में हेर-फेर करने का खतरा बना हुआ है।
दलतंत्र को लोकतंत्र की मजबूती के लिए काम करना चाहिए
वाणी की शक्ति अपरिमित है। संस्कृति मनुष्य को उदात्त बनाती है। संस्कृत देववाणी है। इसमें संस्कृति के विकास की विराट क्षमता है। भारतीय संस्कृति में वाणी और शब्द के आश्चर्यजनक सदुपयोग मिलते हैं लेकिन राजनैतिक क्षेत्र में सामान्य वक्तव्य भी हिंसक हो जाते हैं। भारतीय सुभाषितों में कहा गया है कि सत्य बोलो-सत्यम ब्रूयात। प्रिय बोलो-प्रियं ब्रूयात। लेकिन अप्रिय सत्य मत बोलो। यहां सत्य को भी अप्रिय होने के कारण उचित नहीं कहा गया।
देशभक्ति की भावना भरेंगे 'योद्धा' सिद्धार्थ मल्होत्रा
सिद्धार्थ मल्होत्रा, राशि खन्ना और दिशा पटानी अभिनित ऐक्शन फिल्म 'योद्धा' सिनेमाघरों में रिलीज हो चुकी है। यह फिल्म एक विशेष टास्क फोर्स अधिकारी अरुण कात्याल (सिद्धार्थ मल्होत्रा) की यात्रा की कहानी पर आधारित है, जो देश को आतंकवादियों से बचाने के लिए कुछ भी करेगा।
धोनी का जलवा बरकरार!
आईपीएल के अपने पहले ही मैच में विस्फोटक बल्लेबाजी से जीता दिल
बदल रहे मौसम में अपने खान-पान का रखें ध्यान
कहा जाता है कि तंदुरुस्ती हजार नियायत है, सेहत ठीक रहेगी तभी हर काम फिट होगा। पंचतत्व से बना मानव शरीर ईश्वर की सर्वश्रेष्ठ रचनाओं में से एक है पर इसका संचालन खुद मानव के हाथ में है।
समुद्री डकैतों के लिए खौफ बन कर उभर रही भारतीय नौसेना
हिंद महासागर के कई इलाकों में समुद्री डकैती जारी है । सोमालिया, इथोपिया, इरिट्रिया और जिबूती जैसे देशों के समुद्री डकैत समंदर में सामानों से भरे जहाज लूटने में लगे हैं और अब भारतीय नौसेना इनके लिए एक काल बनके उभरी है। भारतीय नौसेना ने अरब सागर और अदन की खाड़ी जैसे क्षेत्रों में मैरीटाइम सर्जिकल स्ट्राइक करते हुए 35 समुद्री लुटेरों को पकड़कर उन्हें मुंबई लेकर आई। इस कार्यवाही को आईएनएस कोलकाता ने अंजाम दिया है।
उत्तराखंड में ऊर्जा निगम से मिल रही नई ऊर्जा
उत्तराखंड ऊर्जा निगम ने केन्द्र सरकार की दीनदयाल उपाध्याय ग्राम ज्योति योजना के तहत पर्वतीय क्षेत्रों में घर-घर बिजली पहुंचाने और फाल्ट की समस्या के निस्तारण के लिए ठोस पहल की। उत्तराखंड ऊर्जा निगम का दावा है कि प्रदेश के ग्रामीण क्षेत्रों को 99 प्रतिशत विद्युतीकृत कर दिया गया है। हालांकि पहाड़ों के कुछ दुर्गम क्षेत्रों तक बिजली पहुंचना बाकी है।
बसपा फिर से सोशल इंजीनियरिंग की राह पर
बहुजन समाज पार्टी लोकसभा चुनाव में अपना पूरा दमखम दिखाने की कोशिश कर रही है। किसी भी चुनाव में मायावती की उपस्थिति इसलिए काफी महत्वपूर्ण हो जाती है क्योंकि उनके पास दलितों का अच्छा खासा वोट है। मायावती की पहचान एक सशक्त दलित नेता के रूप में भी होती है लेकिन चौंकाने वाली बात यह है इस बार है मायावती नहीं, उनके उत्तराधिकारी आकाश आनंद ने प्रचार की शुरुआत की। मायावती के भतीजे आकाश अब बीएसपी में नंबर 2 की हैसियत पर हैं।
यूपी में पेंडुलम की तरह झूलते ओबीसी वोटर!
केन्द्र में मोदी को शीर्ष तक पहुंचाने में ओबीसी की बड़ी भूमिका रही है। राज्यों में मुलायम, लालू एवं नीतीश की राजनीति भी ओबीसी की फैक्ट्री से ही निकली। आज भी कई राज्यों में राजनीतिक दलों का भविष्य ओबीसी वोटरों के मूड पर निर्भर करता है। यह तब है जबकि चुनाव आयोग के पास ऐसा कोई आंकड़ा नहीं है, जो बता सके कि किस वर्ग ने किस दल को वोट किया।
पश्चिमी यूपी के मुसलमान इस बार किसके साथ?
पश्चिमी यूपी की 27 सीटों पर पहले तीन चरणों में मतदान होना है, जहां मुस्लिम वोटर की बड़ी आबादी किसी भी चुनाव का परिणाम बदलने का माद्दा रखती है। सपा, बसपा ने पिछले चुनाव में इसी समीकरण के जरिए आठ सीटें जीती थीं। वर्ष 2013 के मुजफ्फरनगर दंगों के बाद जाटों और मुस्लिमों के बीच जो दूरी बढ़ी, वह रालोद के लगातार प्रयास से कम हुई थी।
पहला द्वार पश्चिमी यूपी तो 7वां पूर्वांचल में खुलेगा
19 और 26 अप्रैल को प्रथम एवं द्वितीय चरण का मतदान होगा। इन दोनों चरणों में पश्चिमी यूपी की 16 सीटों पर वोटिंग होगी। प्रथम और दूसरे चरण के मतदान में पश्चिमी उत्तर प्रदेश की क्रमशः आठ-आठ सीटों के उम्मीदवारों के भाग्य का फैसला होगा। 07 मई को भी तीसरे चरण में दस सीटों पर मतदान होगा। इसमें भी 10 में से पश्चिमी यूपी की चार सीटें शामिल होंगी।
धामी के कंधों पर उत्तराखंड का मिथक तोड़ने की चुनौती
प्रदेश की धामी सरकार ने पिछले दो साल में कई अभूतपूर्व कार्य किए हैं। इसमें सबसे पहले आता है समान नागरिक संहिता कानून जो लागू होने जा रहा है। बताते चलें कि यूसीसी से महिला सशक्त होगी, उनकी सुरक्षा होगी, बच्चों की सुरक्षा होगी, लिव इन रिलेशनशिप का भी ध्यान रखा गया है। इसके बाद दूसरा नंबर आता है नकल रोकने के लिए सख्त नकल विरोधी कानून भी राज्य सरकार लेकर आयी है।
भाजपा ने रिकार्ड दोहराने को दिग्गजों पर खेला दांव
भाजपा ने जीत की गारंटी पर ही टिकट तय किए। प्रदेश की टिहरी, अल्मोड़ा और नैनीताल यूएसनगर सीट पर सिटिंग सांसदों को ही एक बार फिर मौका दिया गया जबकि हरिद्वार और पौड़ी संसदीय सीट पर नये चेहरों को मौका दिया गया है। अब प्रदेश में पांचों सीटों पर सभी प्रत्याशी नामांकन भी कर चुके हैं। पौड़ी संसदीय सीट पर इस बार प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और गृहमंत्री के करीबी भाजपा के राष्ट्रीय मीडिया प्रमुख और राज्यसभा सदस्य अनिल बलूनी को मौका दिया गया। वहीं हरिद्वार सीट से पूर्व मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत को उतारा गया है।
'नेता मुक्त' होती कांग्रेस
10 वर्षों के आंकड़ों पर नजर डालें तो 2014 से 12 पूर्व मुख्यमंत्रियों समेत 50 से ज्यादा बड़े नेता कांग्रेस को अलविदा कह चुके हैं। इन सभी नेताओं के कांग्रेस छोड़ने की वजह नेतृत्व और पार्टी की कार्यप्रणाली में कमियां गिनायीं । जाहिर है बड़े और जनाधार वाले नेताओं का कांग्रेस से बाहर जाना पार्टी के लिए परेशानी का सबब है। कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी के करीबियों में शुमार होने वाले ज्योतिरादित्य सिंधिया और मिलिंद देवड़ा जैसे नेता भी पार्टी को अलविदा कह भगवा खेमे में जा चुके हैं।
2024 का चक्रव्यूह भेदने की बेताबी
अब भाजपा ने मोदी की गारंटी को लोकसभा चुनावों के लिए अपना मुख्य नारा बना लिया है। इसके साथ ही 22 जनवरी को अयोध्या में संपन्न हुए राम मंदिर में श्रीराम की मूर्ति की प्राण प्रतिष्ठा के भव्य और दिव्य आयोजन से देश में जो राममय माहौल बना, भाजपा को उससे भी अपना चुनावी बेड़ा पार होने की उम्मीद है। हाल ही में हुए राज्यसभा चुनावों में उत्तर प्रदेश और हिमाचल प्रदेश में सपा व कांग्रेस में हुई क्रॉस वोटिंग से भाजपा ने जिस तरह अपने अतिरिक्त उम्मीदवारों को जिताया है, उससे जाहिर होता है कि जीत के लिए भाजपा हर रणनीति अपनाने से पीछे नहीं हटती है। उधर, भाजपा को सत्ताच्युत करने के लिए विपक्ष एकजुट तो जरूर हुआ है लेकिन बावजूद इसके उसमें बिखराव जारी है।