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किसानों की योजनाओं की बजट राशि में भारी कटौती
सरकार यों तो पिछले कुछ सालों से दूसरे सैक्टरों की तुलना में कृषि एवं किसानों की योजनाओं और अनुदानों पर लगातार डंडी मारती आई है, किंतु यह बजट आगामी लोकसभा चुनाव के ठीक पहले का बजट था, इसलिए देश की आबादी के सब से बड़े तबके के किसानों ने इस बजट कई बड़ी उम्मीदें लगा रखी थीं.
और अधिक सहारा चाहता है कृषि क्षेत्र
अंतरिम बजट 2024
कल्टीवेटर खेती के करे कई काम
कल्टीवेटर यंत्र खेत से जुड़े अनेक काम करता है, फिर चाहे खेत तैयार करना हो या निराईगुड़ाई. यह निराई करने की खास मशीन है. पावर के आधार पर कल्टीवेटर हाथ से चलाने वाले, पशु चलित व ट्रैक्टर से चलने वाले होते हैं.
लाभकारी आर्टीमिसिया (क्वीन घास) की खेती
आर्टीमिसिया यानी क्वीन घास के बारे में लोगों को कम ही जानकारी होगी. बता दें कि मच्छरों से होने वाली बीमारी मलेरिया से बचाव के लिए जिन दवाओं का प्रयोग किया जाता है, वह आर्टीमिसिया (क्वीन घास ) नाम के औषधीय पौधें की सूखी पत्तियों से तैयार की जाती है. इसी वजह से दवा बनाने वाली कंपनियों में आर्टीमिसिया की सूखी पत्तियों की भारी मांग बनी रहती है. भारी मांग के चलते आर्टीमिसिया की खेती बेहद फायदे का सौदा साबित हो रही है.
खेती पर अंधविश्वास की मार
पूर्वी उत्तर प्रदेश के विभिन्न जिलों के तमाम किसान रविवार और मंगलवार के दिन खेतों की बोआई की शुरुआत नहीं करते हैं, क्योंकि उन का मानना है कि मंगलवार व रविवार को धरती माता सोती हैं.
लोबिया की किस्में
अर्का समृद्धि : इस किस्म को आईएचआर-16 के नाम से भी जानते हैं. यह जल्दी पकने वाली किस्म है. इस के पौधे सीधे, झाड़ीनुमा व 70-75 सैंटीमीटर लंबे होते हैं. इस की फलियां हरी, औसत मोटाई, मुलायम, गूदेदार, 15-18 सैंटीमीटर लंबी होती हैं. एक हेक्टेयर खेत से 180-190 क्विटल तक पैदावार मिल जाती है.
लोबिया की खेती व खास किस्में
बरबटी की खेती पशुओं के लिए हरा चारा, दाल व हरी फलियों की सब्जी के तौर पर की जाती है.
जैविक खेती की जरूरत और अहमियत
जैविक खेती, जिसे इंगलिश में और्गेनिक फार्मिंग भी कहते हैं, फसल, सब्जियां, फल और फूल उगाने की वह पद्धति है, जिस में कृत्रिम और रासायनिक निवेशों जैसे उर्वरक बीमारी और खरपतवारनाशक रसायन, वृद्धि उत्प्रेरक पदार्थों आदि का इस्तेमाल नहीं किया जाता है.
वनराजा मुरगीपालन
'ग्रामीण आजीविका 'मिशन' के तहत भूमिहीन एवं छोटी जोत वाले किसानों के जीविकोपार्जन एवं उन को माली रूप से मजबूत बनाने के लिए बैकयार्ड पोल्ट्री फार्म यानी वनराजा मुरगीपालन एक बेहतर विकल्प साबित हो रहा है, जिस में कम खर्च एवं कम व्यवस्थाओं में भी अच्छी आय अंडा उत्पादन और मांस उत्पादन से हासिल किया जा सकता है.
अंगूर की खेती से अच्छा मुनाफा
हमारे देश में कारोबारी रूप से अंगूर की खेती पिछले तकरीबन 6 दशकों से की जा रही है. माली नजरिए से सब से ज्यादा महत्त्वपूर्ण बागबानी उद्यम के रूप में अंगूर की खेती अब काफी उन्नति पर है. आज महाराष्ट्र में सब से अधिक क्षेत्र में अंगूर की खेती की जाती है और उत्पादन की दृष्टि से यह देश में अग्रणी है.
पौधों में डालें ये खाद फसल नहीं होंगी खराब
सर्दी का मौसम सब से ज्यादा मुश्किल भरा होता है. इस मौसम में पौधों की बढ़वार धीमी हो जाती है, इसलिए उन्हें अधिक पोषण की जरूरत होती है. ऐसे में पौधों को सही खाद देना बहुत ही महत्त्वपूर्ण है. पौधों को सर्दियों में मजबूत और स्वस्थ बनाए रखने के लिए कुछ खास तरह की खादें दी जाती हैं. ये खादें घर पर भी बनाई जा सकती हैं.
रबी की सब्जियों में लगने वाली बीमारियों की रोकथाम
रबी मौसम में अनेक सब्जियां उगाई जाती हैं. पर किसान फसलचक्र नहीं अपनाते हैं, जिस से सागसब्जियों में रोगों का प्रकोप बहुत ज्यादा मिलता है.
मधुमक्खीपालन को बनाएं स्वरोजगार
मधुमक्खीपालन का काम खेती के साथसाथ आसानी से किया जा सकता है. कम मेहनत में ज्यादा आमदनी की जा सकती है.
गन्ने के साथ सहफसली खेती
सहफसली खेती किसानों की माली हालात को सुधारने में कारगर सिद्ध हो रही है. किसी कारणवश एक फसल खराब हो जाए, तो उस के नुकसान की भरपाई दूसरी फसल से हो सकती है.
मत्स्यपालन: ढेरों योजनाएं
देश में मत्स्यपालन क्षेत्र की क्षमता का भरपूर इस्तेमाल करने के लिए केंद्रीय मत्स्यपालन, पशुपालन और डेयरी मंत्रालय के अधीन मत्स्यपालन विभाग मछलीपालन के आमूल विकास और मछुआरों के कल्याण के लिए विभिन्न पहल कर रहा है.
आलू फसल में पिछेती झुलसा करें फफूंदीनाशक का छिड़काव
भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद, केंद्रीय आलू अनुसंधान संस्थान, शिमला, हिमाचल प्रदेश द्वारा विकसित इंडोब्लाइटकास्ट पैन इंडिया मौडल से पिछेती झुलसा बीमारी का पूर्वानुमान लगाया गया है.
सरसों के खास रोग व उन की रोकथाम
सरसों रबी की खास तिलहनी फसल है. पैदावार के मामले में उत्तर प्रदेश देश का चौथा राज्य है, जो भारत के कुल सरसों उत्पादन का 10 फीसदी हिस्सा रखता है. इस समय प्रदेश का कुल उत्पादन लगभग 15 लाख टन है. सरसों की फसल में विभिन्न प्रकार के रोग लगने पर लगभग 7 से 25 फीसदी तक उत्पादन में नुकसान का अनुमान है. इस नुकसान को फसल प्रबंधन व नियंत्रण के तरीके अपना कर कम किया जा सकता है.
मिलेट्स हैं पौष्टिक और खेती करने में आसान
कृषि विज्ञान केंद्र, बस्ती में विभाग द्वारा मिलेट्स पुनरोद्धार योजना के तहत 50 सदस्यों (कृषक उत्पादक संगठन) के साथ 3 दिवसीय प्रशिक्षण का आयोजन हुआ.
राजस्थान में मूंग और मूंगफली की ज्यादा खरीद
राज्य में अधिक से अधिक किसानों को समर्थन मूल्य पर खरीद का लाभ मिले, इस के लिए मूंग एवं मूंगफली की पंजीकरण क्षमता को 90 फीसदी से बढ़ा कर 100 फीसदी किया गया है.
'विश्व मृदा दिवस' मनाया गया
कृषि विज्ञान केंद्र, बस्ती पर विश्व मृदा दिवस' मनाया गया. इस अवसर पर डा. वीबी सिंह ने कहा कि संयुक्त राष्ट्र के अनुसार, 'विश्व मृदा दिवस 2023' का विषय 'मिट्टी और पानी जीवन का एक स्रोत' है, जिस का उद्देश्य मृदा स्वास्थ्य की जागरूकता बढ़ाने और समाज को प्रोत्साहित कर के स्वस्थ पारिस्थितिकी तंत्र और मानव कल्याण को बनाए रखने के महत्त्व के बारे में मृदा जागरूकता बढ़ाना व मिट्टी की सेहत में सुधार करना है.
हाथियों में रक्तस्त्रावी रोग बन रहा घातक
भारत में संरक्षित क्षेत्र के साथसाथ मुक्त वन क्षेत्र में देखे गए इस रक्तस्रावी रोग के कारण हाथी के बच्चों (एलिफैंट काव्स) की बढ़ती मौत काफी चिंता की वजह है.
कृषि स्टार्टअप से लग रहे कृषि क्षेत्र को पंख
कृषि एवं किसान कल्याण विभाग द्वारा राष्ट्रीय कृषि विकास योजना (आरकेवीवाई) के अंतर्गत वर्ष 2018-19 से 'नवाचार एवं कृषि उद्यमिता विकास' कार्यक्रम लागू किया जा रहा है, जिस का उद्देश्य देश में स्टार्टअप पारिस्थितिकी तंत्र का पोषण करने के लिए वित्तीय एवं तकनीकी सहायता प्रदान करते हुए नवाचार और कृषि उद्यमिता को बढ़ावा देना है.
गेहूं स्टौक सीमा में संशोधन, जमाखोरों पर जुर्माना
केंद्र सरकार ने गेहूं की कीमतों को नियंत्रित करने के अपने निरंतर प्रयासों के अंतर्गत संस्थाओं के संबंध में गेहूं स्टौक सीमा को संशोधित करने का निर्णय लिया है.
'प्रधानमंत्री मत्स्य संपदा योजना' में ढेरों लाभ
मत्स्यपालन विभाग, मत्स्यपालन, पशुपालन और डेयरी मंत्रालय 5 वर्षों के लिए सभी राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों में 20050 करोड़ रुपए के निवेश के साथ 'प्रधानमंत्री मत्स्य संपदा योजना' (पीएमएमएसवाई) नाम की एक प्रमुख योजना लागू कर रहा है. देश में मत्स्यपालन क्षेत्र के समग्र विकास के लिए यह योजना वित्तीय वर्ष 2020-21 से वित्तीय वर्ष 2024-25 तक प्रभावी रहेगी.
देशी कपास की खास प्रजातियां
देशी कपास की ये खास प्रजातियां अनेक फसल बीमारियों से सुरक्षित तो हैं ही, नमी को भी सहन कर सकती हैं और पैदावार में भी कम नहीं.
किसानों के लिए रोल मोडल हैं डा. राजाराम त्रिपाठी
भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद, पूसा, नई दिल्ली के मेला ग्राउंड में आयोजित एक भव्य समारोह में 'महिंद्रा मिलेनियर फार्मर औफ इंडिया अवार्ड 2023' में छत्तीसगढ़ के डा. राजाराम त्रिपाठी को केंद्रीय पशुपालन मंत्री पुरषोत्तम रूपाला ने देश के सब से अमीर किसान की ट्रौफी दे कर सम्मानित किया और उन्हें 'भारत के सब से अमीर किसान' के खिताब से नवाजा.
नर्सरी में तैयार करें लतावर्गीय सब्जियों की पौध
जनवरीफरवरी का महीना लतावर्गीय सब्जियों की रोपाई के लिए बेहद ही खास माना जाता है. इस महीने रोपाईकमी के लिए अच्छा उत्पादन प्राप्त किया जा सकता है. इन बेल वाली सब्जियों में लौकी, तोरई, खीरा, टिंडा, करेला, तरबूज, खरबूजा, पेठा आदि हैं. इन की रोपाई जनवरी या फरवरी महीने में कर के गरमी के मौसम में मार्च से ले कर जून महीने तक अच्छी उपज ली जा सकती है.
लाभकारी है पपीता
पपीता औषधीय गुणों से भरपूर एक पौधा है. यह फल भारतवर्ष की लोकप्रिय और प्राचीनतम फलों की फसल में से एक है. पपीते के कई लोकप्रिय स्वादिष्ठ व्यंजन बनाए जाते हैं, जैसे अचार, सब्जी, जैम, जैली, मुरब्बा आदि इस के दूध से पैपेन तैयार किया जाता है, जो विभिन्न प्रकार के रोगों के उपचार के लिए इस्तेमाल में लाया जाता है.
जनवरी महीने के खास काम
इस मौसम की खास फसल गेहूं है. ठंड व पाले का प्रकोप भी इस माह में चरम पर होता है. इस समय गेहूं फसल पर सब से ज्यादा ध्यान देने की जरूरत होती है. 25 से 30 दिन के अंतर पर गेहूं में सिंचाई करते रहें. इस के अलावा खरपतवारों को भी समयसमय पर निकालते रहना चाहिए.
दुधारू पशुओं के लिए हरा चारा
जब दुधारू पशुओं में उन की सेहत, कम लागत पर दूध देने की कूवत और गर्भधारण की समस्या पर बात होती है, तो इस का हल काफी हद तक पशुओं को दिए जाने वाले प्रतिदिन के खानपान पर निर्भर करता है, क्योंकि ये सभी समस्याएं भोजन से प्राप्त होने वाले पोषक तत्त्वों पर निर्भर करती हैं, इसीलिए पशुओं के भोजन में मोटे चारे के रूप में हरे चारे का होना बहुत ही जरूरी है.