राजधानी की नई मुख्यमंत्री आतिशी ने घोषणा की, "दिल्ली में एक ही मुख्यमंत्री है और उनका नाम है अरविंद केजरीवाल." केजरीवाल के अचानक इस्तीफा देने की घोषणा के 48 घंटे बाद 17 सितंबर को जब केजरीवाल के उत्तराधिकारी के रूप में आम आदमी पार्टी (आप) ने उनको मनोनीत किया तो उसके तुरंत बाद उन्होंने यह घोषणा की.
इसके साथ ही केजरीवाल ने ऐलान कर दिया है। कि दिल्ली में चुनाव का मौसम आ गया है, यह उससे काफी पहले है जिसका उनके आलोचकों ने अनुमान लगाया होगा. हालांकि 'राजनैतिक हथियार के रूप में यह इस्तीफा', जैसा कि कुछ विश्लेषक कहते हैं, नया नैरेटिव गढ़ने की कोशिश है, साथ ही यह भी सच है कि आप को चुनाव से पहले आबकारी नीति मामले के साये से छुटकारा पाने की जरूरत है. केजरीवाल तक ने भी जल्द चुनाव कराने की मांग की है-नवंबर में महाराष्ट्र के चुनाव के साथ लेकिन चुनाव आयोग की ओर से इस मांग को माने जाने की संभावना नहीं है (दिल्ली में पांच महीने बाद अगले साल फरवरी में चुनाव होने हैं).
आप विधायक दल की बैठक में चुने जाने के बाद आतिशी ने यह भी कहा, "यह बहुत अफसोस की बात है कि दिल्ली के प्रिय मुख्यमंत्री को भाजपा की साजिश के कारण आज इस्तीफा देना पड़ा है, "लेकिन इसका मतलब यह भी है कि दिल्ली को एक दशक बाद, जब केजरीवाल ने कांग्रेस की शीला दीक्षित को सत्ता से बेदखल करते हुए कुर्सी हासिल की, तीसरी महिला मुख्यमंत्री मिली है. कुछ राजनैतिक पंडित कह रहे हैं कि यह कोई 'जुआ' नहीं, चुनाव से पहले भाजपा के तूफानी हमलों से बचने का यही एकमात्र तरीका था. केजरीवाल की जमानत की शर्तों में अन्य बातों के साथ-साथ यह भी है कि वे मुख्यमंत्री कार्यालय नहीं जाएंगे और महत्वपूर्ण फाइलों पर भी हस्ताक्षर नहीं करेंगे. जब केजरीवाल को 13 सितंबर को जमानत मिली तो भाजपा की प्रतिक्रिया तल्ख थी, उसने कहा था कि इतनी बंदिशों के बाद वे महज 'दिखावे के तौर पर' मुख्यमंत्री रहेंगे. दो दिन बाद ही उन्होंने अपनी पार्टी को दूसरे तरीकों से लाभ पहुंचाने के लिए इसका रास्ता निकाल लिया.
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