झारखंड में विधान सभा चुनावों के ऐलान से ठीक पहले बीते 25 सितंबर को प्रदेश के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने असम और देश के अन्य राज्यों में रहने वाले झारखंड के आदिवासियों की आर्थिक और सामाजिक सर्वेक्षण के लिए समिति का गठन किया ताकि उन्हें उनका पूरा अधिकार मिल सके। सोरेन ने कहा, 'झारखंड के आदिवासियों को अंग्रेज असम और अंडमान और निकोबार जैसे स्थानों पर ले गए थे। इनकी संख्या करीब 15 से 20 लाख है और वे अपने अधिकारों के लिए लड़ाई लड़ रहे हैं। पता चला है कि असम के चाय बागानों में काम करने वाले आदिवासियों को अब तक अनुसूचित जनजाति (एससी) का दर्जा नहीं दिया गया है और उन्हें उनके लिए ही बनाई गई कल्याणकारी योजनाओं से भी वंचित कर दिया गया है।'
इससे पहले असम के मुख्यमंत्री और विधान सभा चुनावों के लिए भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के झारखंड के सह-प्रभारी हिमंत विश्व शर्मा ने राज्य के आदिवासियों के लिए सोरेन सरकार के अधूरे वादों पर जोरदार हमला किया था, जिसके प्रति उत्तर में सोरेन की टिप्पणी आई थी। सोरेन यह कह कर पलटवार किया कि शर्मा झारखंड सरकार की आलोचना करने से पहले असम में रह रहे झारखंड के आदिवासियों की चिंता दूर करें।
Denne historien er fra November 02, 2024-utgaven av Business Standard - Hindi.
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आप सरकार की योजनाओं से अधिकारियों ने बनाई दूरी
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वरिष्ठ नागरिकों के लिए विशेष आवास बाजार का बढ़ता दायरा
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