भारतीय अर्थव्यवस्था के लिहाज से देखें तो वर्ष 2024 को 'मजबूत शुरुआत और कमजोर अंत' वाला वर्ष कहा जा सकता है। वर्ष की शुरुआत तो बेहतरीन रही, जब सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) की वास्तविक वृद्धि दर करीब आठ फीसदी थी और मुद्रास्फीति में कमी आ रही थी। मगर आखिर के कुछ महीनों में जीडीपी वृद्धि दर उम्मीद से अधिक घटने, खाद्य मुद्रास्फीति बढ़ने और रुपये का अवमूल्यन होने से नीतिगत संतुलन बिगड़ गया। आइए देखते हैं कि 2025 में क्या सामने आ सकता है?
चुनौती भरा वैश्विक वातावरण: अमेरिका में डोनाल्ड ट्रंप के दूसरे कार्यकाल की नीतियों के कारण बहुत अनिश्चितता है। माना जा रहा है कि नवनिर्वाचित राष्ट्रपति ट्रंप शुल्क तेजी से बढ़ाएंगे। इससे अमेरिका में महंगाई बढ़ेगी और फेडरल रिजर्व मार्च में एक बार कटौती करने के बाद पूरे 2025 में दरें जस की तस रखेगा। चीन और अधिक राजकोषीय प्रोत्साहन दे सकता है लेकिन इससे टिकाऊ वृद्धि शायद ही हो क्योंकि अर्थव्यवस्था सामान्य मंदी के दौर से नहीं गुजर रही है। इन वजहों से वैश्विक जीडीपी वृद्धि दर 2025 में घटकर 2.9 फीसदी रह सकती है, जो 2024 में 3.2 फीसदी थी। भारत के लिए इसका अर्थ होगा - वृद्धि के लिए निर्यात पर निर्भरता कम होना और देश के भीतर मांग बढ़ना।
वृद्धि में सुस्ती: कई लोग मानते हैं कि जीडीपी वृद्धि में चकित करने वाली कमी आना और वित्त वर्ष 25 की दूसरी तिमाही में इसका 5.4 फीसदी रह जाना एकबारगी घटना है और सरकारी व्यय तथा ग्रामीण सुधार के बल पर अर्थव्यवस्था आने वाली तिमाहियों में 6.5 से 7 फीसदी की वृद्धि हासिल कर सकती है। यह मुश्किल लगता है। महामारी के बाद भारत ने वृद्धि की राह पर जो फर्राटा भरा था, उसकी कई वजहें थीं जैसे काफी समय से दबी हुई मांग निकला, खुदरा ऋण की मांग बढ़ना, सार्वजनिक पूंजीगत व्यय पर जोर और निर्यात में तेजी आना। इनमें से कई वजहें अब खत्म हो रही हैं।
Denne historien er fra December 26, 2024-utgaven av Business Standard - Hindi.
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केन-बेतवा रिवर लिंक का शिलान्यास
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बुधवार को मध्य प्रदेश के खजुराहो में एक समारोह के दौरान केन-बेतवा रिवर लिंक परियोजना का शिलान्यास किया।
आप सरकार की योजनाओं से अधिकारियों ने बनाई दूरी
राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली में आम आदमी पार्टी (आप) सरकार द्वारा हाल में घोषित दो प्रमुख कल्याणकारी योजनाओं पर सियासी बवाल मच गया है।
वरिष्ठ नागरिकों के लिए विशेष आवास बाजार का बढ़ता दायरा
भारत में संपन्न वरिष्ठ नागरिकों की आबादी की तादाद अच्छी खासी है जो रिटायरमेंट के बाद जिंदगी को बेहतर और स्वतंत्र तरीके से बिताना चाहते हैं। ऐसे में इस क्षेत्र में कारोबार के लिए अच्छी संभावनाएं बन रही हैं।
प्रौद्योगिकी से बुजुर्गों की देखभाल
भारत की बढ़ती आबादी के साथ परिवारों और स्वास्थ्य सेवा उद्योग के लिए बुजुर्गों की देखभाल जरूरी होती जा रही है।
2024 में बदल गई दुनिया की तस्वीर
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स्थिरता के साथ कैसे हासिल हो वृद्धि?
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विकास और वनीकरण में हो बेहतर संतुलन
टाइम्स ऑफ इंडिया के दिल्ली संस्करण में 3 दिसंबर 2024 को छपी एक खबर में कहा गया कि राष्ट्रीय हरित अधिकरण (एनजीटी) ने ग्लोबल फॉरेस्ट वॉच की एक रिपोर्ट का स्वतः संज्ञान लिया है, जिसमें कहा गया था कि भारत में सन 2000 से अब तक लगभग 23 लाख हेक्टेयर वन नष्ट हो गए।
ड्रिप सिंचाई बढ़ाने के लिए 500 करोड़ के पैकेज की मांग
भारत में 67 प्रतिशत कपास का उत्पादन वर्षा पर निर्भर इलाकों में होता है
अक्टूबर में नई औपचारिक भर्तियां 21 प्रतिशत घटीं
अक्टूबर में ईपीएफ में नए मासिक सबस्क्राइबरों की संख्या मासिक आधार पर 20.8 प्रतिशत घटकर 7 माह के निचले स्तर 7,50,000 पर पहुंच गई है, जो सितंबर में 9,47,000 थी
ग्रीन स्टील खरीद के लिए संगठन नहीं
इस्पात मंत्रालय के ग्रीन स्टील (हरित इस्पात) की थोक खरीद के लिए केंद्रीय संगठन स्थापित करने के प्रस्ताव को वित्त मंत्रालय ने खारिज कर दिया है।