यह कुल वन क्षेत्र का 6 प्रतिशत है, जितने में 15 दिल्ली शहर एक साथ समा जाएँगे! हालांकि वनों में चिंताजनक कमी का सबसे बड़ा कारण चौतरफा विकास को माना जाएगा, लेकिन यह भी ध्यान रखना जरूरी है कि भारत में कटने वाले वनों की भरपाई के लिए पौधरोपण की नीतियाँ लागू हैं। ऐसे में सवाल उठता है कि ये नीतियाँ कितनी कारगर रही हैं? इसका पता लगाने के लिए इन्फ्राविजन फाउंडेशन ने टेरी के साथ मिलकर पूरे क्षेत्र का अध्ययन किया, जिसमें वनों की भरपाई के लिए प्रतिपूरक पौधरोपण निधि प्रबंधन एवं योजना प्राधिकरण (कैम्पा) की कार्यप्रणाली को भी शामिल किया गया।
वर्ष 1972 के स्टॉकहोम कॉन्फ्रेंस से प्रेरित होकर भारत ने 1976 में 42वाँ संविधान संशोधन किया, जिसमें वन प्रबंधन को समवर्ती सूची में शामिल किया गया और अनुच्छेद 48 (ए) और 51 (ए) (जी) के जरिये पर्यावरण संरक्षण को बढ़ावा देने पर जोर दिया गया। वन (संरक्षण) अधिनियम 1980 गैर-वन उद्देश्यों के लिए वन भूमि के उपयोग का विनियमन करता है। शुरुआत में इस कानून में वन कटाई की भरपाई के लिए पौधरोपण का प्रावधान नहीं किया गया था, लेकिन बाद में वन (संरक्षण) नियम 1981 में इसे शामिल किया गया और उसके बाद कई संशोधनों और दिशानिर्देशों के जरिये इसे और मजबूत किया गया है। वन (संरक्षण) नियम 1981 भू-परिवर्तन, प्रतिपूरक पौधरोपण से संबंधित विस्तृत प्रक्रियाओं और धन संग्रह तथा उपयोग के तरीके बताता है। इन नियमों को कई बार अपडेट किया गया है और आखिरी संशोधन 2023 में किया गया था।
प्रतिपूरक पौधरोपण के अनुसार यदि वन भूमि को अन्य उद्देश्यों के लिए इस्तेमाल किया जाता है तो उसके बदले उतनी ही भूमि पर पौधरोपण किया जाता है। इसमें वन भूमि के अलावा दूसरी जमीन राज्य वन विभाग को सौंपी जाती है। प्रतिपूरक वनीकरण का लक्ष्य विकास और पर्यावरण संरक्षण के बीच संतुलन बनाए रखना है, लेकिन उसकी आलोचना इस बात पर होती रही है कि पारिस्थितिकी तंत्र और जैव विविधता को होने वाले नुकसान की भरपाई के मामले में वह कितना कारगर है।
Denne historien er fra December 26, 2024-utgaven av Business Standard - Hindi.
Start din 7-dagers gratis prøveperiode på Magzter GOLD for å få tilgang til tusenvis av utvalgte premiumhistorier og 9000+ magasiner og aviser.
Allerede abonnent ? Logg på
Denne historien er fra December 26, 2024-utgaven av Business Standard - Hindi.
Start din 7-dagers gratis prøveperiode på Magzter GOLD for å få tilgang til tusenvis av utvalgte premiumhistorier og 9000+ magasiner og aviser.
Allerede abonnent? Logg på
केन-बेतवा रिवर लिंक का शिलान्यास
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बुधवार को मध्य प्रदेश के खजुराहो में एक समारोह के दौरान केन-बेतवा रिवर लिंक परियोजना का शिलान्यास किया।
आप सरकार की योजनाओं से अधिकारियों ने बनाई दूरी
राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली में आम आदमी पार्टी (आप) सरकार द्वारा हाल में घोषित दो प्रमुख कल्याणकारी योजनाओं पर सियासी बवाल मच गया है।
वरिष्ठ नागरिकों के लिए विशेष आवास बाजार का बढ़ता दायरा
भारत में संपन्न वरिष्ठ नागरिकों की आबादी की तादाद अच्छी खासी है जो रिटायरमेंट के बाद जिंदगी को बेहतर और स्वतंत्र तरीके से बिताना चाहते हैं। ऐसे में इस क्षेत्र में कारोबार के लिए अच्छी संभावनाएं बन रही हैं।
प्रौद्योगिकी से बुजुर्गों की देखभाल
भारत की बढ़ती आबादी के साथ परिवारों और स्वास्थ्य सेवा उद्योग के लिए बुजुर्गों की देखभाल जरूरी होती जा रही है।
2024 में बदल गई दुनिया की तस्वीर
वर्ष 2024 पूरी दुनिया के लिए उठापटक भरा रहा है। अमेरिका में डॉनल्ड ट्रंप के सनसनीखेज चुनाव अभियान और राष्ट्रपति पद पर दोबारा निर्वाचन, पश्चिम एशिया में हमलों और जवाबी हमलों के बीच शांति स्थापित करने के प्रयासों के दरम्यान वैश्विक संबंधों की दिशा और दशा दोनों ही बदल गई। देशों की कूटनीतिक ताकत कसौटी पर कसी गई और दुनिया एक नए इतिहास की साक्षी बन गई।
स्थिरता के साथ कैसे हासिल हो वृद्धि?
वर्ष 2025 में ऐसी वृहद नीतियों की आवश्यकता होगी जो घरेलू मांग को सहारा तो दें मगर वृहद वित्तीय स्थिरता के सामने मौजूद जोखिमों से समझौता बिल्कुल नहीं करें। बता रही हैं सोनल वर्मा
विकास और वनीकरण में हो बेहतर संतुलन
टाइम्स ऑफ इंडिया के दिल्ली संस्करण में 3 दिसंबर 2024 को छपी एक खबर में कहा गया कि राष्ट्रीय हरित अधिकरण (एनजीटी) ने ग्लोबल फॉरेस्ट वॉच की एक रिपोर्ट का स्वतः संज्ञान लिया है, जिसमें कहा गया था कि भारत में सन 2000 से अब तक लगभग 23 लाख हेक्टेयर वन नष्ट हो गए।
ड्रिप सिंचाई बढ़ाने के लिए 500 करोड़ के पैकेज की मांग
भारत में 67 प्रतिशत कपास का उत्पादन वर्षा पर निर्भर इलाकों में होता है
अक्टूबर में नई औपचारिक भर्तियां 21 प्रतिशत घटीं
अक्टूबर में ईपीएफ में नए मासिक सबस्क्राइबरों की संख्या मासिक आधार पर 20.8 प्रतिशत घटकर 7 माह के निचले स्तर 7,50,000 पर पहुंच गई है, जो सितंबर में 9,47,000 थी
ग्रीन स्टील खरीद के लिए संगठन नहीं
इस्पात मंत्रालय के ग्रीन स्टील (हरित इस्पात) की थोक खरीद के लिए केंद्रीय संगठन स्थापित करने के प्रस्ताव को वित्त मंत्रालय ने खारिज कर दिया है।