शाम का समय था, सूरज छिपने ही वाला था. आकाश में चांद भी दिखाई देने लगा था.
चांद ने सूरज को देख कर कहा, "नमस्ते सूरज, आप कैसे हैं? बहुत अच्छा लगा आप को देख कर. हम तो कम ही मिल पाते हैं, क्योंकि आप के छिपने के बाद मैं निकलता हूं और मेरे जाने के बाद सुबह आप आते हैं."
सूरज ने चांद की बात सुन कर बुरा सा मुंह बनाया और कोई उत्तर नहीं दिया.
"क्या बात है? आप कुछ नाराज लग रहे हैं. मुझ से क्यों बात नहीं कर रहे हो?" चांद ने पूछा.
"मैं केवल अपने बराबर वालों से बात करता हूं, तुम जैसे छोटे लोगों से बात करने में मैं अपना अपमान समझता हूं," सूरज अकड़ कर बोला.
"पर मुझ से मिलना तो सभी पसंद करते हैं. पिछले 60 सालों में धरती से न जाने कितने लोग अंतरिक्षयान में बैठ कर मुझ से मिलने आए बल्कि आप के पास आने में सभी डरते हैं, क्योंकि आप आग उगलते हो."
"तभी तो मैं तुम से कह रहा हूं, मुझ से बात मत करो वरना जल जाओगे," सूरज घमंड के साथ बोला.
"ऐसा मत कहिए रवि, मैं तो सभी को प्रेम का संदेश देता हूं. मेरी ओर देखने से सभी को ठंडक मिलती है, आंखों की रोशनी तेज होती है. धरती पर तो सभी बच्चों ने मुझे अपना मामा बना रखा है. वे मुझे प्यार से चंदा मामा कहते हैं. बहुत सी माताएं तो अपने बच्चों को मेरी कहानियां व लोरी सुना कर सुलाती हैं, जिस से वे खुश हो कर चैन से सोते हैं. इतना ही नहीं मुझे देख कर तो सभी धर्मों के लोग अपने त्योहार मनाते हैं."
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जो ढूंढ़े वही पाए
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