10 साल का समर कभी छुट्टियों में घूमने नहीं गया था. इस साल तक उस का कोई परिवार भी नहीं था. लगभग 6 महीने पहले दो स्नेही पिता कोको और पोपो ने उसे गोद लिया था.
उस के घर पर अभी छुट्टियों की योजना पर चर्चा भी नहीं हुई थी. समर ने एक दिन घर लौटने के बाद इस बारे में बात करने के बारे में सोचा, लेकिन क्लास टीचर ने उस का रिपोर्ट कार्ड दे दिया और उस की सारी योजना चौपट हो गई. उस के गणित में इतने कम मार्क्स थे कि उस के दोनों पिता का निराश होना तय था.
समर को अपने दोनों पिता की कल्पना सुपरहीरो के रूप में करना पसंद था, जो हमेशा उस की मदद करते थे, खास कर गणित का तनावरूपी राक्षस उस की पाठ्यपुस्तक में बाहर से आ गया था, जिस से समर के रोंगटे खड़े हो गए थे. उस के दोनों पिता ने सुपरहीरो की तरह उस की सहायता की थी.
लेकिन समर के मन में नकारात्मक विचार आने लगे थे. उस के दोनों पिता बहुत दयालु और समझदार थे, लेकिन वे उस के खराब अंकों के बारे में क्या कर सकते थे? एक तो वे उसे अब छुट्टी पर नहीं ले जाना चाहेंगे.
इस के बजाय वे उसे गर्मियों में, गणित शिविर में भेज देंगे. जिस के बारे में उस के दोस्त ने उसे बहुत कुछ बताया था.
उस के दोस्त ने उस शिविर के बारे में बताया था कि वहां कैसे बच्चों को पूरे दिन गणित के कठिन सवाल हल करने के लिए कहा जाता है और उन्हें आइसक्रीम के बजाय केवल हरा सलाद खिलाया जाता है. इस से समर को ठंड लग गई.
उस ने सोचा कि अपना रिपोर्ट कार्ड अपने पैरेंट्स से छिपाना अच्छा रहेगा. कम से कम तब तक जब तक उन्होंने अपनी छुट्टियों की योजना नहीं बना ली. इसलिए उस ने चुपचाप पिछले दरवाजे से अपने घर में प्रवेश करने का फैसला किया.
पिछला दरवाजा रसोई की ओर खुलता था और जैसे ही वह उसे खोलने वाला था, उसे अंदर पक रही कुकीज की सुगंध महसूस हुई. जब कोको और पोपो एकसाथ खाना पकाते थे तो उसे बहुत अच्छा लगता था.
किसी भी अन्य दिन वह उत्साह से इस में शामिल हो जाता, क्योंकि अपने पिता के साथ खाना बनाना उस की पसंदीदा पारिवारिक गतिविधि थी.
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रिटर्न गिफ्ट
\"डिंगो, बहुत दिन से हम ने कोई अच्छी पार्टी नहीं की है. कुछ करो दोस्त,\" गोल्डी लकड़बग्घा बोला.
चांद पर जाना
होशियारपुर के जंगल में डब्बू नाम का एक शरारती भालू रहता था. वह कभीकभी शहर आता था, जहां वह चाय की दुकान पर टीवी पर समाचार या रेस्तरां में देशदुनिया के बारे में बातचीत सुनता था. इस तरह वह अधिक जान कर और होशियार हो गया. वह स्वादिष्ठ भोजन का स्वाद भी लेता था, क्योंकि बच्चे उसे देख कर खुश होते थे और अपनी थाली से उसे खाना देते थे. डब्बू उन के बीच बैठता और उन के मासूम, क 'चतुर विचारों को अपना लेता.
चाय और छिपकली
पार्थ के पापा को चाय बहुत पसंद थी और वे दिन भर कई कप चाय पीने का मजा लेते थे. पार्थ की मां चाय नहीं पीती थीं. जब भी उस के पापा चाय पीते थे, उन के चेहरे पर अलग खुशी दिखाई देती थी.
शेरा ने बुरी आदत छोड़ी
दिसंबर का महीना था और चंदनवन में ठंड का मौसम था. प्रधानमंत्री शेरा ने देखा कि उन की आलीशान मखमली रजाई गीले तहखाने में रखे जाने के कारण उस पर फफूंद जम गई है. उन्होंने अपने सहायक बेनी भालू को बुलाया और कहा, \"इस रजाई को धूप में डाल दो. उस के बाद, तुम में उसके इसे अपने पास रख सकते हो. मैं ने जंबू जिराफ को अपने लिए एक नई रजाई डिजाइन करने के लिए बुलाया है. उस की रजाइयों की बहुत डिमांड है.\"
मानस और बिल्ली का बच्चा
अर्धवार्षिक परीक्षाएं समाप्त होने के बाद मानस को घर पर बोरियत होने लगी. उस ने जिद की कि उसे अपने साथ रहने के लिए कोई पालतू जानवर चाहिए, जो उस का साथ दे.
पहाड़ी पर भूत
चंपकवन में उस साल बहुत बारिश हुई थी. चीकू खरगोश और जंपी बंदर का घर भी बाढ़ के कारण बह गया था.
जो ढूंढ़े वही पाए
अपनी ठंडी, फूस वाली झोंपड़ी से राजी बाहर आई. उस के छोटे, नन्हे पैरों को खुरदरी, धूप से तपती जमीन झुलसा रही थी. उस ने सूरज की ओर देखा, वह अभी आसमान में बहुत ऊपर नहीं था. उस की स्थिति को देखते हुए राजी अनुमान लगाया कि लगभग 10 बज रहे होंगे.
एक कुत्ता जिस का नाम डौट था
डौट की तरह दिखने वाले कुत्ते चैन्नई की सड़कों पर बहुत अधिक पाए जाते हैं. दीया कभी नहीं समझ पाई कि आखिर क्यों उस जैसे एक खास कुत्ते ने जो किसी भी अन्य सफेद और भूरे कुत्ते की तरह हीथा, उस के दिल के तारों को छू लिया था.
स्कूल का संविधान
10 वर्षीय मयंक ने खाने के लिए अपना टिफिन खोला ही था कि उस के खाने की खुशबू पूरी क्लास में फैल गई.
तरुण की कहानी
\"कहानियां ताजी हवा के झोंके की तरह होनी चाहिए, ताकि वे हमारी आत्मा को शक्ति दें,” तरुण की दादी ने उस से कहा.