चीकू थोड़ा आलसी था. उसे नींद बहुत प्यारी थी. वह स्कूल से घर आने के बाद सो जाता था और फिर शाम को ही उठता था. सुबह भी वह लेट उठता था. उस की मम्मी उसे समझाती और कहतीं, “तुम्हें आलस छोड़ देना चाहिए. इसी आलस के कारण तुम्हारे दादाजी टेरी के दादाजी से रेस हार गए थे. आज तक हमें वह हार याद है."
“आलसी आदमी जीवन में कभी सफल नहीं हो पाता. उसे कदमकदम पर असफलता हाथ लगती है,” कहते हुए मम्मी ने चेतावनी दी.
चीकू मां की बात को एक कान से सुनता और दूसरे से निकाल देता. वह आलस छोड़ने की सोचता तो था, लेकिन जब वह एक बार सो जाता तो फिर आंखें खोलता ही नहीं था. वह सपनों में खो जाता.
उधर टेरी को मोबाइल गेम्स की लत लगी हुई थी. वह अधिकांश समय मोबाइल में ही घुसा रहता था. जब भी समय मिलता, वह मम्मी से मोबाइल मांग कर गेम खेलने लग जाता. इसी कारण उसे चश्मा लग चुका था.
“ज्यादा देर तक मोबाइल पर चिपके रहना अच्छी बात नहीं है. यदि खेलना ही है तो फिजिकल गेम्स खेला करो. तुम्हारे दादाजी कितने चुस्तदुरुस्त थे. उन्होंने तो रेस में चीकू के दादाजी को हरा दिया. एक तुम हो जो हमेशा वीडियो गेम में रेसिंग करते रहते हो. कभी असल में भी दौड़ लिया करो. व्यायाम किया करो,” टेरी की मम्मी समझाते हुए कहतीं.
लेकिन टेरी को इन सब बातों का कोई मतलब नहीं. जैसे ही उसे मौका मिलता, वह गेम खेलना शुरू कर देता.
वह संडे का दिन था. स्कूल की छुट्टी थी. हमेशा की तरह चीकू और टेरी जंगल के मैदान में मिले. उस ने अपनी मां के मोबाइल में एक नया गेम डाउनलोड किया था, जिसे वह अपने साथ लाया था.
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रिटर्न गिफ्ट
\"डिंगो, बहुत दिन से हम ने कोई अच्छी पार्टी नहीं की है. कुछ करो दोस्त,\" गोल्डी लकड़बग्घा बोला.
चांद पर जाना
होशियारपुर के जंगल में डब्बू नाम का एक शरारती भालू रहता था. वह कभीकभी शहर आता था, जहां वह चाय की दुकान पर टीवी पर समाचार या रेस्तरां में देशदुनिया के बारे में बातचीत सुनता था. इस तरह वह अधिक जान कर और होशियार हो गया. वह स्वादिष्ठ भोजन का स्वाद भी लेता था, क्योंकि बच्चे उसे देख कर खुश होते थे और अपनी थाली से उसे खाना देते थे. डब्बू उन के बीच बैठता और उन के मासूम, क 'चतुर विचारों को अपना लेता.
चाय और छिपकली
पार्थ के पापा को चाय बहुत पसंद थी और वे दिन भर कई कप चाय पीने का मजा लेते थे. पार्थ की मां चाय नहीं पीती थीं. जब भी उस के पापा चाय पीते थे, उन के चेहरे पर अलग खुशी दिखाई देती थी.
शेरा ने बुरी आदत छोड़ी
दिसंबर का महीना था और चंदनवन में ठंड का मौसम था. प्रधानमंत्री शेरा ने देखा कि उन की आलीशान मखमली रजाई गीले तहखाने में रखे जाने के कारण उस पर फफूंद जम गई है. उन्होंने अपने सहायक बेनी भालू को बुलाया और कहा, \"इस रजाई को धूप में डाल दो. उस के बाद, तुम में उसके इसे अपने पास रख सकते हो. मैं ने जंबू जिराफ को अपने लिए एक नई रजाई डिजाइन करने के लिए बुलाया है. उस की रजाइयों की बहुत डिमांड है.\"
मानस और बिल्ली का बच्चा
अर्धवार्षिक परीक्षाएं समाप्त होने के बाद मानस को घर पर बोरियत होने लगी. उस ने जिद की कि उसे अपने साथ रहने के लिए कोई पालतू जानवर चाहिए, जो उस का साथ दे.
पहाड़ी पर भूत
चंपकवन में उस साल बहुत बारिश हुई थी. चीकू खरगोश और जंपी बंदर का घर भी बाढ़ के कारण बह गया था.
जो ढूंढ़े वही पाए
अपनी ठंडी, फूस वाली झोंपड़ी से राजी बाहर आई. उस के छोटे, नन्हे पैरों को खुरदरी, धूप से तपती जमीन झुलसा रही थी. उस ने सूरज की ओर देखा, वह अभी आसमान में बहुत ऊपर नहीं था. उस की स्थिति को देखते हुए राजी अनुमान लगाया कि लगभग 10 बज रहे होंगे.
एक कुत्ता जिस का नाम डौट था
डौट की तरह दिखने वाले कुत्ते चैन्नई की सड़कों पर बहुत अधिक पाए जाते हैं. दीया कभी नहीं समझ पाई कि आखिर क्यों उस जैसे एक खास कुत्ते ने जो किसी भी अन्य सफेद और भूरे कुत्ते की तरह हीथा, उस के दिल के तारों को छू लिया था.
स्कूल का संविधान
10 वर्षीय मयंक ने खाने के लिए अपना टिफिन खोला ही था कि उस के खाने की खुशबू पूरी क्लास में फैल गई.
तरुण की कहानी
\"कहानियां ताजी हवा के झोंके की तरह होनी चाहिए, ताकि वे हमारी आत्मा को शक्ति दें,” तरुण की दादी ने उस से कहा.