रविवार का दिन था और अखबार में पेंग्विन के बारे में एक लेख छपा था. उस की फोटो देख कर गोकुल बोला, "दादीमां, क्या आप ने कभी पेंग्विन देखा है?"
"मैं ने सामने तो नहीं देखा लेकिन किताबों में उन के फोटो और टीवी पर उन की फिल्में देखी हैं. वह एक ऐसा पक्षी है, जो उड़ नहीं सकता."
"ऐसा क्यों है दादीमां?”
"उन के पंख अन्य पक्षियों जैसे नहीं होते, लेकिन इन की मदद से वे पानी में आराम से तैरते हैं."
“वे कहां रहते हैं दादीमां?” “वे दक्षिणी गोलार्ध के अंटार्कटिक क्षेत्र में पाए जाते हैं, जहां बहुत अधिक पानी और बर्फ है.”
“दादीमां, वहां घूमने चलते हैं," गोकुल ने उत्साह में उछलते हुए कहा.
उस की बात सुन कर दादीमां हंस दी और बोलीं, “वहां बहुत अधिक ठंड पड़ती है. आम आदमी वहां
नहीं रह सकता, लेकिन मैं तुम्हारे पापा से बात करूंगी. वे खुद एक साइंटिस्ट हैं. उन्हें भी वहां जा कर अच्छा लगेगा. अगर वे तैयार होंगे तो हम सब सर्दियों में वहां जाएंगे."
“ठीक है, मैं उन से बात करती हूं, अगर वह मान जाते हैं तो हम सब जाड़ों में वहां घूमने चलेंगे."
“जाड़ों में क्यों दादीमां ? गरमी में क्यों नहीं?”
“यात्रा के लिए गर्मियों का समय ठीक रहेगा, क्योंकि नवंबर से मार्च तक हमारे देश में ठंड पड़नी शुरू हो जाती है.”
दादीमां की बातों से गोकुल आश्वस्त हो गया. उसे पूरी उम्मीद थी कि दादीमां पापा को वहां जाने के लिए मना लेंगी.
मौका देख कर दादीमां ने यह बात प्रेम से कह दी. वह बोले, "मम्मी, अंटार्कटिक की यात्रा बहुत कठिन है. आप वहां कैसे जा पाओगी?”
“तुम भूल रहे हो मैं ने तुम्हारे पापा के साथ कई देशों की यात्राएं की हैं. बस, यह अंटार्कटिक देखा रह गया, मैं उन से कहती तो वे मेरी यह इच्छा भी पूरी कर देते. गोकुल का पेंग्विन देखने का बड़ा है. हमें वहां जाना चाहिए."
“मैं उसे मुंबई में पेंग्विन दिखा दूंगा.”
"प्रेम बेटा, जानवरों और पक्षियों को उन के प्राकृतिक आवास में देखने की बात ही कुछ और होती है. आप वैज्ञानिक हैं, आप को पता होगा."
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