पापा अकसर उन्हें बाहर जा कर खेलने के लिए कहते थे, लेकिन वे कहते कि उन के पास समय नहीं है. जब वे स्कूल से छुट्टी के बाद घर लौट कर आ तो मम्मी के फोन पर गेम खेलने लग जाते और जैसे ही पापा औफिस से आते फिर उन का फोन ले लेते और उस पर खेलने लगते.
पापा ने कई बार उन्हें अपना फोन इस्तेमाल करने से मना किया, लेकिन उन पर कोई असर नहीं हुआ. एक दिन पापा ने अपना फोन लौक कर दिया. दो दिन तक बच्चे बिना कुछ किए घर के चारों ओर घूमते रहे. पापा और मम्मी नहीं जानते थे कि बच्चों को गैजेट्स पर इतना समय बिताने से कैसे रोका जाए?
एक दिन पापा और मम्मी एक दोस्त से मिलने गए, जो अपने परिवार के साथ कुछ दिन स्विटजरलैंड घूमने जा रहे थे. उन के पास चिंगरी नाम की एक बहुत प्यारी बिल्ली थी. मम्मीपापा ने इतनी चंचल और प्यारी बिल्ली कभी नहीं देखी थी.
हालांकि दोस्त का परिवार यह तय नहीं कर पा रहा था कि विदेश यात्रा के दौरान इस बिल्ली को कहां रखा जाए.
पापा के मन में अचानक एक विचार आया और उन्होंने कहा, "जब तुम घूमने जाओगे तो बिल्ली को मैं रख लूंगा और इस की अच्छी देखभाल करूंगा.”
समस्या का समाधान मिल गया था. बिल्ली तुरंत पापा की गोद में चढ़ गई थी.
"वह बहुत चालाक है और आसानी से दोस्त बना लेती है,” पापा ने बिल्ली की प्रशंसा की.
जल्दी ही वह बिल्ली अब मम्मी की गोद में थी. जब वे घर लौट रहे थे तो पापा और मम्मी आपस में चर्चा कर रहे थे कि बच्चे बिल्ली को देख कर बड़े खुश होंगे और उम्मीद कर रहे थे कि वे बिल्ली के साथ खेलेंगे तथा उन की गैजेट्स से खेलने की आ छूट जाएगी.
बिल्ली के साथ जब मम्मीपापा घर पहुंचे, सारी खुशी से उछल पड़ी, जबकि विपुल ने मुंह बनाते हुए पूछा, "पापा, आप इसे क्यों ले आए?”
बिल्ली जहां कहीं भी जाती, सयारी उस के पीछे चलने लगती. वह उसे पकड़ने का प्रयास करती, लेकिन वह सफल न हो पाती. चिंगरी तुरंत पापा की गोद में चढ़ जाती.
“आप से इसे इतना लगाव क्यों है पापा? यह मेरे पास आने से तो मना करती है, ” सयारी ने शिकायती लहजे में कहा.
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रिटर्न गिफ्ट
\"डिंगो, बहुत दिन से हम ने कोई अच्छी पार्टी नहीं की है. कुछ करो दोस्त,\" गोल्डी लकड़बग्घा बोला.
चांद पर जाना
होशियारपुर के जंगल में डब्बू नाम का एक शरारती भालू रहता था. वह कभीकभी शहर आता था, जहां वह चाय की दुकान पर टीवी पर समाचार या रेस्तरां में देशदुनिया के बारे में बातचीत सुनता था. इस तरह वह अधिक जान कर और होशियार हो गया. वह स्वादिष्ठ भोजन का स्वाद भी लेता था, क्योंकि बच्चे उसे देख कर खुश होते थे और अपनी थाली से उसे खाना देते थे. डब्बू उन के बीच बैठता और उन के मासूम, क 'चतुर विचारों को अपना लेता.
चाय और छिपकली
पार्थ के पापा को चाय बहुत पसंद थी और वे दिन भर कई कप चाय पीने का मजा लेते थे. पार्थ की मां चाय नहीं पीती थीं. जब भी उस के पापा चाय पीते थे, उन के चेहरे पर अलग खुशी दिखाई देती थी.
शेरा ने बुरी आदत छोड़ी
दिसंबर का महीना था और चंदनवन में ठंड का मौसम था. प्रधानमंत्री शेरा ने देखा कि उन की आलीशान मखमली रजाई गीले तहखाने में रखे जाने के कारण उस पर फफूंद जम गई है. उन्होंने अपने सहायक बेनी भालू को बुलाया और कहा, \"इस रजाई को धूप में डाल दो. उस के बाद, तुम में उसके इसे अपने पास रख सकते हो. मैं ने जंबू जिराफ को अपने लिए एक नई रजाई डिजाइन करने के लिए बुलाया है. उस की रजाइयों की बहुत डिमांड है.\"
मानस और बिल्ली का बच्चा
अर्धवार्षिक परीक्षाएं समाप्त होने के बाद मानस को घर पर बोरियत होने लगी. उस ने जिद की कि उसे अपने साथ रहने के लिए कोई पालतू जानवर चाहिए, जो उस का साथ दे.
पहाड़ी पर भूत
चंपकवन में उस साल बहुत बारिश हुई थी. चीकू खरगोश और जंपी बंदर का घर भी बाढ़ के कारण बह गया था.
जो ढूंढ़े वही पाए
अपनी ठंडी, फूस वाली झोंपड़ी से राजी बाहर आई. उस के छोटे, नन्हे पैरों को खुरदरी, धूप से तपती जमीन झुलसा रही थी. उस ने सूरज की ओर देखा, वह अभी आसमान में बहुत ऊपर नहीं था. उस की स्थिति को देखते हुए राजी अनुमान लगाया कि लगभग 10 बज रहे होंगे.
एक कुत्ता जिस का नाम डौट था
डौट की तरह दिखने वाले कुत्ते चैन्नई की सड़कों पर बहुत अधिक पाए जाते हैं. दीया कभी नहीं समझ पाई कि आखिर क्यों उस जैसे एक खास कुत्ते ने जो किसी भी अन्य सफेद और भूरे कुत्ते की तरह हीथा, उस के दिल के तारों को छू लिया था.
स्कूल का संविधान
10 वर्षीय मयंक ने खाने के लिए अपना टिफिन खोला ही था कि उस के खाने की खुशबू पूरी क्लास में फैल गई.
तरुण की कहानी
\"कहानियां ताजी हवा के झोंके की तरह होनी चाहिए, ताकि वे हमारी आत्मा को शक्ति दें,” तरुण की दादी ने उस से कहा.