'मम्मी जब तक आएंगी तब तक मैं घर पहुंच जाऊंगी,' वान्या ने मन ही मन सोचा और घर की ओर चल दी.
उस का बैग काफी भारी था, इसलिए वह धीरे धीरे चल रही थी. रास्ते में उस ने देखा कि कूड़े के ढेर के पास बैठी एक छोटी सी बच्ची जूट के बैग में कुछ भर रही थी. उस ने वान्या को देख कर कुछ कहा, लेकिन वान्या उस की बात नहीं समझ पाई.
"मम्मी ने मुझे मना किया है कि रास्ते में किसी से भी बात नहीं करनी है और गंदे लोगों से तो बिलकुल भी नहीं,” वान्या ने थोड़ा मुंह बनाया और धीरेधीरे चलती रही.
अचानक किसी ने उस का बैग छीन लिया. वान्या ने नजर उठा कर देखा तो एक बंदर उस का बैग छीन कर एक मकान की दीवार पर जा कर बैठ गया था. वान्या ने रोना शुरू कर दिया.
उस का रोना सुन कर वही लड़की तेजी से दौड़ कर उस के पास आ गई. उस ने कुछ पूछा, लेकिन वान्या को समझ नहीं आया.
उस ने रोतेरोते बंदर की ओर इशारा करते हुए कहा, “वह मेरा बैग, उस ने छीन लिया है."
वह लड़की तुरंत दौड़ कर बंदर के पीछे गई.
उसे अपने पीछे आते देख कर बंदर दूसरे मकान की दीवार पर कूद गया. वान्या ने उसे देखा और जोरजोर से रोने लगी.
लड़की ने उसे चुप कराया और एक छलांग लगा कर दीवार पर चढ़ गई. उस ने अपनी जेब से एक केला निकाला और दीवार पर रख दिया. बंदर ने बैग को फेंका और केले पर झपटा. लड़की तुरंत नीचे कूद गई. उस ने बैग उठाया और वान्या के साथ चलने लगी.
वान्या ने बैग पकड़ कर कहा, "थैंक्यू, आप बैग मुझे दे दो और अपना काम कर लो."
लड़की ने बैग नहीं दिया और वान्या के साथसाथ चलती रही. वह कुछ बड़बड़ा रही थी, पर वान्या समझ नहीं पाई. वान्या को मम्मी घर के बाहर ही मिल गईं वे वान्या को लाने घर से निकली थीं.
“यह कौन है? आप अपना बैग खुद नहीं उठा पा रहे हो वान्या?” वान्या की मम्मी ने पूछा.
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रिटर्न गिफ्ट
\"डिंगो, बहुत दिन से हम ने कोई अच्छी पार्टी नहीं की है. कुछ करो दोस्त,\" गोल्डी लकड़बग्घा बोला.
चांद पर जाना
होशियारपुर के जंगल में डब्बू नाम का एक शरारती भालू रहता था. वह कभीकभी शहर आता था, जहां वह चाय की दुकान पर टीवी पर समाचार या रेस्तरां में देशदुनिया के बारे में बातचीत सुनता था. इस तरह वह अधिक जान कर और होशियार हो गया. वह स्वादिष्ठ भोजन का स्वाद भी लेता था, क्योंकि बच्चे उसे देख कर खुश होते थे और अपनी थाली से उसे खाना देते थे. डब्बू उन के बीच बैठता और उन के मासूम, क 'चतुर विचारों को अपना लेता.
चाय और छिपकली
पार्थ के पापा को चाय बहुत पसंद थी और वे दिन भर कई कप चाय पीने का मजा लेते थे. पार्थ की मां चाय नहीं पीती थीं. जब भी उस के पापा चाय पीते थे, उन के चेहरे पर अलग खुशी दिखाई देती थी.
शेरा ने बुरी आदत छोड़ी
दिसंबर का महीना था और चंदनवन में ठंड का मौसम था. प्रधानमंत्री शेरा ने देखा कि उन की आलीशान मखमली रजाई गीले तहखाने में रखे जाने के कारण उस पर फफूंद जम गई है. उन्होंने अपने सहायक बेनी भालू को बुलाया और कहा, \"इस रजाई को धूप में डाल दो. उस के बाद, तुम में उसके इसे अपने पास रख सकते हो. मैं ने जंबू जिराफ को अपने लिए एक नई रजाई डिजाइन करने के लिए बुलाया है. उस की रजाइयों की बहुत डिमांड है.\"
मानस और बिल्ली का बच्चा
अर्धवार्षिक परीक्षाएं समाप्त होने के बाद मानस को घर पर बोरियत होने लगी. उस ने जिद की कि उसे अपने साथ रहने के लिए कोई पालतू जानवर चाहिए, जो उस का साथ दे.
पहाड़ी पर भूत
चंपकवन में उस साल बहुत बारिश हुई थी. चीकू खरगोश और जंपी बंदर का घर भी बाढ़ के कारण बह गया था.
जो ढूंढ़े वही पाए
अपनी ठंडी, फूस वाली झोंपड़ी से राजी बाहर आई. उस के छोटे, नन्हे पैरों को खुरदरी, धूप से तपती जमीन झुलसा रही थी. उस ने सूरज की ओर देखा, वह अभी आसमान में बहुत ऊपर नहीं था. उस की स्थिति को देखते हुए राजी अनुमान लगाया कि लगभग 10 बज रहे होंगे.
एक कुत्ता जिस का नाम डौट था
डौट की तरह दिखने वाले कुत्ते चैन्नई की सड़कों पर बहुत अधिक पाए जाते हैं. दीया कभी नहीं समझ पाई कि आखिर क्यों उस जैसे एक खास कुत्ते ने जो किसी भी अन्य सफेद और भूरे कुत्ते की तरह हीथा, उस के दिल के तारों को छू लिया था.
स्कूल का संविधान
10 वर्षीय मयंक ने खाने के लिए अपना टिफिन खोला ही था कि उस के खाने की खुशबू पूरी क्लास में फैल गई.
तरुण की कहानी
\"कहानियां ताजी हवा के झोंके की तरह होनी चाहिए, ताकि वे हमारी आत्मा को शक्ति दें,” तरुण की दादी ने उस से कहा.