"माफ करना जंपी, मैं ने तुम्हें देखा नहीं. आशा है तुम्हें चोट नहीं लगी होगी," डमरू ने पूछा.
"नहीं डमरू, तुम ने मुझे नुकसान नहीं पहुंचाया, चोट तो मुझे मेरी किस्मत ने दी है," जंपी दुखी स्वर में बोला.
"क्या मतलब है तुम्हारा?" डमरू ने हैरान हो कर पूछा.
"मैं ने बड़ी मेहनत से अपने खेत में गेहूं की फसल बोई थी, लेकिन इतने दिन बाद भी खेत में फसल के नाम पर एक पौधा भी नहीं निकला, इसलिए मैं ने खेतों में जाना ही छोड़ दिया," जंपी गहरी सांस ले कर बोला.
"जंपी, तुम्हें ऐसे निराश नहीं होना चाहिए और अपने खेतों में काम करते रहना चाहिए, फल की चिंता नहीं करनी चाहिए," डमरू ने 'बी पौजिटिव' कहा और तेजी से आगे बढ़ गया.
डमरू अभी कुछ ही दूर गया था कि उस की मुलाकात ऐली हाथी से हो गई. "हैलो डमरू, कैसे हो? आजकल तो मुलाकात ही नहीं होती?"
"हैलो ऐली," उस ने उत्तर दिया, "मैं थोड़ा व्यस्त था. इसलिए बाहर नहीं जा सका. वैसे क्या बात है, आज "बंद क्यों है?" डमरू ने पूछा.
"आज ही नहीं डमरू, मेरी दुकान तो लगभग एक सप्ताह से बंद है. आजकल दुकान नहीं खोल रहा हूं," ऐली ने उदास हो कर अपनी सूंड़ को लहराते हुए कहा.
"बहुत ग्राहक होंगे ऐली. तुम थोड़ा धैर्य रखो. बी पौजिटिव," डमरू बोला और आगे बढ़ गया.
अभी वह कुछ कदम ही आगे चला था कि उस का सामना बैडी सियार से हुआ.
"अच्छा हुआ डमरू, तुम मुझे यहीं मिल गए. मैं तुम्हारे ही पास आ रहा था," बैडी ने चापलूसी भरे स्वर में कहा.
"तुम्हें मुझ से क्या काम था?" डमरू ने हैरान हो कर पूछा.
"डमरू, आजकल मैं ने सारे गलत काम छोड़ दिए हैं और मैं किसी रोजगार की तलाश में हूं. अगर तुम्हारे पास मेरे लायक कोई नौकरी हो तो मुझे बताओ," बैडी ने अपने स्वर में शहद घोलते हुए पूछा.
"बैडी, तुम ने बुरे काम छोड़ दिए हैं यह तो बहुत अच्छी बात है. अभी मेरे पास तुम्हारे लायक कोई काम नहीं है, जब होगा तो जरूर बताऊंगा. बस, तुम जो भी काम करो उसे मन लगा कर करो. सब अच्छा ही होगा. बी पौजिटिव," डमरू उस से बोला और आगे बढ़ गया.
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