गांव की एक छोटी सी लड़की माला उन से मिलने के लिए काफी बेचैन थी.
उस ने अपनी मां से कहा, "मां, मैं चाचा नेहरू को फूलों की माला पहनाना चाहती हूं और उन्हें अपनी किताबें दिखाना चाहती हूं."
माला के पापा मजदूर थे. माला को पढ़ने का बहुत शौक था, हालांकि उस के पास ज्यादा किताबें नहीं थीं, लेकिन जो कुछ थीं, उन्हें वह संभाल कर रखती थी.
कार्यक्रम वाले दिन नेहरूजी गांव पहुंचे. लोग उन के स्वागत के लिए लाइन में खड़े थे और बच्चे उन की
एक झलक पाने के लिए आगे बढ़े. माला भी भीड़ के बीच निकली, लेकिन नेहरूजी के नजदीक पहुंचने में उसे काफी मुश्किल हुई. वह मायूस हो गई, तभी नेहरूजी की नजर उस के छोटे हाथों में कस कर पकड़ी किताबों के बंडल पर पड़ी.
"रुको, उस बच्ची को मेरे पास आने दो," नेहरूजी ने अपने सुरक्षाकर्मियों को निर्देश दिया.
यह देख कर माला कुछ घबराई, लेकिन रोमांचित हो कर वह धीरेधीरे नेहरूजी के पास पहुंची. खुशी से कांपते हुए उस ने फूलमाला नेहरू के गले में डाल दी. नेहरूजी ने गर्मजोशी से मुसकराते हुए उसके सिर पर हाथ फेरा और पूछा, "तुम्हारे पास ये किताबें क्यों हैं, बेटी?”
धीमी आवाज में माला ने जवाब दिया, "चाचा नेहरू, मुझे पढ़ना बहुत पसंद है, लेकिन मेरे पास ज्यादा किताबें नहीं हैं. मैं यह किताबें आप को दिखाने के लिए लाई हूं."
नेहरूजी उस की बात सुन कर एक पल के लिए चुप हो गए. फिर एक सौम्य मुसका के साथ उन्होंने कहा, “पढ़ाई के प्रति तुम्हारी लग्न इस देश का भविष्य है. मुझे विश्वास है कि तुम एक दिन महान विद्वान बनोगी."
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रिटर्न गिफ्ट
\"डिंगो, बहुत दिन से हम ने कोई अच्छी पार्टी नहीं की है. कुछ करो दोस्त,\" गोल्डी लकड़बग्घा बोला.
चांद पर जाना
होशियारपुर के जंगल में डब्बू नाम का एक शरारती भालू रहता था. वह कभीकभी शहर आता था, जहां वह चाय की दुकान पर टीवी पर समाचार या रेस्तरां में देशदुनिया के बारे में बातचीत सुनता था. इस तरह वह अधिक जान कर और होशियार हो गया. वह स्वादिष्ठ भोजन का स्वाद भी लेता था, क्योंकि बच्चे उसे देख कर खुश होते थे और अपनी थाली से उसे खाना देते थे. डब्बू उन के बीच बैठता और उन के मासूम, क 'चतुर विचारों को अपना लेता.
चाय और छिपकली
पार्थ के पापा को चाय बहुत पसंद थी और वे दिन भर कई कप चाय पीने का मजा लेते थे. पार्थ की मां चाय नहीं पीती थीं. जब भी उस के पापा चाय पीते थे, उन के चेहरे पर अलग खुशी दिखाई देती थी.
शेरा ने बुरी आदत छोड़ी
दिसंबर का महीना था और चंदनवन में ठंड का मौसम था. प्रधानमंत्री शेरा ने देखा कि उन की आलीशान मखमली रजाई गीले तहखाने में रखे जाने के कारण उस पर फफूंद जम गई है. उन्होंने अपने सहायक बेनी भालू को बुलाया और कहा, \"इस रजाई को धूप में डाल दो. उस के बाद, तुम में उसके इसे अपने पास रख सकते हो. मैं ने जंबू जिराफ को अपने लिए एक नई रजाई डिजाइन करने के लिए बुलाया है. उस की रजाइयों की बहुत डिमांड है.\"
मानस और बिल्ली का बच्चा
अर्धवार्षिक परीक्षाएं समाप्त होने के बाद मानस को घर पर बोरियत होने लगी. उस ने जिद की कि उसे अपने साथ रहने के लिए कोई पालतू जानवर चाहिए, जो उस का साथ दे.
पहाड़ी पर भूत
चंपकवन में उस साल बहुत बारिश हुई थी. चीकू खरगोश और जंपी बंदर का घर भी बाढ़ के कारण बह गया था.
जो ढूंढ़े वही पाए
अपनी ठंडी, फूस वाली झोंपड़ी से राजी बाहर आई. उस के छोटे, नन्हे पैरों को खुरदरी, धूप से तपती जमीन झुलसा रही थी. उस ने सूरज की ओर देखा, वह अभी आसमान में बहुत ऊपर नहीं था. उस की स्थिति को देखते हुए राजी अनुमान लगाया कि लगभग 10 बज रहे होंगे.
एक कुत्ता जिस का नाम डौट था
डौट की तरह दिखने वाले कुत्ते चैन्नई की सड़कों पर बहुत अधिक पाए जाते हैं. दीया कभी नहीं समझ पाई कि आखिर क्यों उस जैसे एक खास कुत्ते ने जो किसी भी अन्य सफेद और भूरे कुत्ते की तरह हीथा, उस के दिल के तारों को छू लिया था.
स्कूल का संविधान
10 वर्षीय मयंक ने खाने के लिए अपना टिफिन खोला ही था कि उस के खाने की खुशबू पूरी क्लास में फैल गई.
तरुण की कहानी
\"कहानियां ताजी हवा के झोंके की तरह होनी चाहिए, ताकि वे हमारी आत्मा को शक्ति दें,” तरुण की दादी ने उस से कहा.