"कल से मैं इन शब्दों को विशेष क्रम में लगा कर डिक्शनरी बनाने का काम शुरू करूंगा, फिर उन्हें छपवाऊंगा,” उन्होंने तय किया और सो गए.
उनके सोने के बाद उन की मेज पर बहुत से कागजों में लिखे 3 हजार अंग्रेजी के शब्द खुशी से उछलनेकूदने लगे, “कल से हमें सजा कर एक किताब बनाई जाएगी, फिर उसे छपवाया जाएगा और दुनिया के कोनेकोने में सब के हाथों में वह किताब होगी."
"जानते हो, सब से पहले उस किताब में 'मैं' रखा जाऊंगा," फर्स्ट (प्रथम) इतरा कर बोला.
"क्यों?" सब ने पूछा.
"क्योंकि मैं पहले आता हूं," फर्स्ट बोला.
“ये क्या बात हुई? पहले स्थान पर तो मैं आता हूं,” वन (एक) बोला.
यह सुन कर बिगिनिंग (प्रारंभ) बोला, "भई हर चीज की शुरुआत तो मुझ से होती है."
"एक छोटा बच्चा भी जानता है कि गिनती का सब से पहला अंक मैं हूं,” वन बोला.
तभी स्टार्ट (शुरू) बोला, “तुम लोग मुझे कैसे भूल? मुझ से हर काम शुरू किया जाता है, वैसे यहां गिनती की बात नहीं हो रही है."
"हम सब में सब बड़ा मैं हूं, तुम सब पीछे हटो. सब से पहले मैं रखा जाऊंगा,” कह कर बिगिनिंग ने सब को पीछे धकेल दिया.
"अधिक अक्षर होने से कोई बड़ा नहीं हो जाता, तुम इस तरह हमारा अपमान नहीं कर सकते," सभी नाराज हो कर बोले.
तूतू मैं मैं बढ़ती देख कर लास्ट (अंतिम) बीच बचाव करने आया, “हम सब एक से हैं. हमें मिलजुल कर रहना चाहिए."
फर्स्ट ने उसे खींच कर पीछे कर दिया, “तू तो अंत आता है, बीच में न ही बोल तो अच्छा है."
लास्ट दूर जा कर गिरा. उसे चोट लग गई. यह देख कर ऐंड (अंत) को गुस्सा आ गया, “धक्का देना हमें भी आता है, तुम इस तरह किसी को चोट नहीं पहुंचा सकते."
“कुल 3 अक्षरों से बना है और अकड़ देखो, हम से मुकाबला बहुत भारी पड़ेगा,” बिगिनिंग ने फर्स्ट की तरफदारी की.
अब मीडियेटर (मध्यस्थ) बीच में आ गया, "मैं तो बीच में आ सकता हूं न, देखो, ये छोटाबड़ा कुछ नहीं होता, कोई आगे रहे या पीछे उस से क्या अंतर पड़ता है? सब का बराबर का हक होना चाहिए?"
"अंतर पड़ता है, जो आगे रहता है, वह सब का नेता होता है, उस का कहना सब को मानना पड़ता है," फर्स्ट बोला.
"हम पर अपना रौब चलाने की कोशिश मत करना. हम नहीं मानेंगे तुम्हारा कहना, हम ईंट का जवाब पत्थर से देना जानते हैं," ऐंड बोला.
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रिटर्न गिफ्ट
\"डिंगो, बहुत दिन से हम ने कोई अच्छी पार्टी नहीं की है. कुछ करो दोस्त,\" गोल्डी लकड़बग्घा बोला.
चांद पर जाना
होशियारपुर के जंगल में डब्बू नाम का एक शरारती भालू रहता था. वह कभीकभी शहर आता था, जहां वह चाय की दुकान पर टीवी पर समाचार या रेस्तरां में देशदुनिया के बारे में बातचीत सुनता था. इस तरह वह अधिक जान कर और होशियार हो गया. वह स्वादिष्ठ भोजन का स्वाद भी लेता था, क्योंकि बच्चे उसे देख कर खुश होते थे और अपनी थाली से उसे खाना देते थे. डब्बू उन के बीच बैठता और उन के मासूम, क 'चतुर विचारों को अपना लेता.
चाय और छिपकली
पार्थ के पापा को चाय बहुत पसंद थी और वे दिन भर कई कप चाय पीने का मजा लेते थे. पार्थ की मां चाय नहीं पीती थीं. जब भी उस के पापा चाय पीते थे, उन के चेहरे पर अलग खुशी दिखाई देती थी.
शेरा ने बुरी आदत छोड़ी
दिसंबर का महीना था और चंदनवन में ठंड का मौसम था. प्रधानमंत्री शेरा ने देखा कि उन की आलीशान मखमली रजाई गीले तहखाने में रखे जाने के कारण उस पर फफूंद जम गई है. उन्होंने अपने सहायक बेनी भालू को बुलाया और कहा, \"इस रजाई को धूप में डाल दो. उस के बाद, तुम में उसके इसे अपने पास रख सकते हो. मैं ने जंबू जिराफ को अपने लिए एक नई रजाई डिजाइन करने के लिए बुलाया है. उस की रजाइयों की बहुत डिमांड है.\"
मानस और बिल्ली का बच्चा
अर्धवार्षिक परीक्षाएं समाप्त होने के बाद मानस को घर पर बोरियत होने लगी. उस ने जिद की कि उसे अपने साथ रहने के लिए कोई पालतू जानवर चाहिए, जो उस का साथ दे.
पहाड़ी पर भूत
चंपकवन में उस साल बहुत बारिश हुई थी. चीकू खरगोश और जंपी बंदर का घर भी बाढ़ के कारण बह गया था.
जो ढूंढ़े वही पाए
अपनी ठंडी, फूस वाली झोंपड़ी से राजी बाहर आई. उस के छोटे, नन्हे पैरों को खुरदरी, धूप से तपती जमीन झुलसा रही थी. उस ने सूरज की ओर देखा, वह अभी आसमान में बहुत ऊपर नहीं था. उस की स्थिति को देखते हुए राजी अनुमान लगाया कि लगभग 10 बज रहे होंगे.
एक कुत्ता जिस का नाम डौट था
डौट की तरह दिखने वाले कुत्ते चैन्नई की सड़कों पर बहुत अधिक पाए जाते हैं. दीया कभी नहीं समझ पाई कि आखिर क्यों उस जैसे एक खास कुत्ते ने जो किसी भी अन्य सफेद और भूरे कुत्ते की तरह हीथा, उस के दिल के तारों को छू लिया था.
स्कूल का संविधान
10 वर्षीय मयंक ने खाने के लिए अपना टिफिन खोला ही था कि उस के खाने की खुशबू पूरी क्लास में फैल गई.
तरुण की कहानी
\"कहानियां ताजी हवा के झोंके की तरह होनी चाहिए, ताकि वे हमारी आत्मा को शक्ति दें,” तरुण की दादी ने उस से कहा.