अग्नि फायरफाइटरों यानी अग्निशामकों और अग्निशमन की गाड़ियों से हमेशा आकर्षित होता था. फायरफाइटर बनना उस का भी सपना था. जब उसे यह पदक मिला तो अपने सपने को साकार करने की यात्रा के बारे में सोचते हुए उस की आंखों खुशी के आंसू आ गए.
जब अग्नि बच्चा था तो उस को सभी लोग बहुत चिढ़ाते थे, क्योंकि उस का आकार भालू के लिए बहुत ही छोटा था.
"जल्दी बड़े हो जाओ, छोटे बच्चे," हर कोई उस से स्कूल या खेल के मैदान में यही कहता था.
जैसेजैसे वह बड़ा व तैयार हो रहा था, बुरी यादें उस के पास वापस आने लगी थीं. एक बार 10 वर्ष का अग्नि अग्निशामकों के बारे में एक बड़ी सी किताब पढ़ रहा था, तभी जैनी जिराफ और उस की मां ने उसे देखा.
अग्नि को देखते हुए जैनी की मां हंसी और बोलीं, "पहले बड़े हो जाओ, उस के बाद इस साइज की किताब पढ़ना."
इन बातों का अग्नि पर बड़ा असर पड़ा और कई बार वह दुखी भी हुआ, लेकिन उस ने अपने सपने को नहीं छोड़ा. उसे खुद पर भरोसा था और वह वही बना जिस का हमेशा सपना देखता था.
अग्नि ने खुद को शीशे में देखा और गर्व से एक बड़ी मुसकान के साथ खुद को सलामी ठोकी.
तभी उसका दोस्त हैरी बंदर अपनी लाल रंग की कार में आ गया और हौर्न बजाते हुए बोला, "चलो, हमें देर हो जाएगी."
"बस, अभी आ रहा हूं," अग्नि ने चिल्ला कर कहा.
अग्निशामक की वर्दी में पूरी तरह तैयार हो कर अग्नि नीचे आया और हैरी की कार में बैठ गया. उस ने दोबारा पड़ताल की कि कार्यक्रम में बच्चों को दिखाने के लिए उस के पास अपना हैलमेट, विशेष मुखौटा, जूते, जैकेट दस्ताने और एक चौकीटौकी है.
जैसे ही हैरी स्कूल की ओर बढ़ा, अग्नि थोड़ा डर गया.
'क्या होगा अगर हर कोई मुझ पर हंसने लगे,' उस सोचा.
वह तो अभी भी एक छोटा भालू था, लेकिन बहादुर था.
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