भावित को रविवार का दिन हरेभरे पेड़ों के बीच बिताना पसंद था. उस ने कई नई चिडिया देखीं, जो शहर में कभी नहीं देखी थीं. तितलियां तथा गिलहरियां भी इधरउधर दौड़ रही थीं.
भावित की मां व बहन ने एक पेड़ के नीचे चटाई बिछा कर उस पर साथ लाया सामान रख दिया.
अचानक भावित की नजर एक खरगोश पर पड़ी और वह खुशी से चिल्लाया, “मां, देखो, खरगोश."
जब भावित खरगोश के पीछे भागा तो खरगोश डर कर थोड़ी दूर बने एक छेद में घुस गया.
भावित उस के अंदर झांकने लगा. तभी वहां उस की बहन आई और बोली, “तुम यहां क्या कर रहे हो भावित?"
"दीदी, वह खरगोश इस छेद के अंदर चला गया है," भावित ने बताया.
"यह उस का बिल होगा. वह इस में रहता होगा," उस की बहन ने बताया.
"आप का मतलब बरो?"
अभी तक तो भावित ने केवल कहानियों में ही बिल का जिक्र सुना था, लेकिन आज सच में देख कर वह खुशी से उछलने लगा और बारबार उस में झांकने लगा..
"शशश भावित, हम यहां जानवरों को परेशान करने नहीं आए हैं, मैं ने पढ़ा है कि खरगोश का दिल बहुत कमजोर होता है, वह डर से मर भी सकता है," उस की बहन ने उस को डांटा.
"लेकिन मुझे एक खरगोश चाहिए, मुझे घर में खरगोश पालना है,” भावित ने जिद की.
तब मां ने उस को समझाया, "बेटा, खरगोश बहुत नाजुक प्राणी हैं. इन्हें घर में रखना ठीक नहीं है, देखो, मैं तुम्हारे लिए खाने की बहुत सारी चीजें लाई हूं, सैंडविच, समोसा, पेस्ट्री खा कर पिकनिक का आनंद लो."
उन्होंने लुकाछिपी, अंताक्षरी और फ्रिस्बी खेला तथा जी भर कर खाना खाया.
दीप्ति ने भावित का पेड़ों के चारों ओर पीछा किया. उन की खिलखिलाहट से मम्मीपापा भी हंस दिए.
उन्होंने झील पर सूर्यास्त का भी नजारा देखा.
भावित खेलने में लग गया और वह खरगोश को भूल गया.
जब शाम होने लगी तो पापा बोले, "यहां रहना सुरक्षित नहीं है, अब हमें घर चलना चाहिए."
उन्होंने जल्दी जल्दी सारा सामान कार में भरा और वापस घर आ गए.
घर लौटने के बाद दीप्ति पिकनिक की टोकरी में रखे सामान को रख रही थी.
“मम्माआआआ,” कह कर वह चिल्लाई और पीछे हट गई.
दीप्ति की चीख सुन कर सभी लोग उस के पास दौड़ कर आ गए.
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अद्भुत दीवाली
जब छोटा मैडी बंदर स्कूल से घर आया तो वह हताश था. उसकी मां लता समझ नहीं पा रही थी कि उसे क्या हो गया है? सुबह जब वह खुशीखुशी स्कूल के लिए निकला था तो बोला, “मम्मी, शाम को हम खरीदारी करने के लिए शहर चलेंगे.\"
डिक्शनरी
बहुत से विद्वानों ने अलगअलग समय पर विभिन्न भाषाओं में डिक्शनरी बनाने का प्रयत्न किया, जिस से सभी को शब्दों के अर्थ खोजने में सुविधा हो. 1604 में रौबर्ट कौड्रे ने कड़ी मेहनत कर के अंग्रेजी भाषा के 3 हजार शब्दों का उन के अर्थ सहित संग्रह किया.
सिल्वर लेक की यादगार दीवाली
\"पटाखों के बिना दीवाली नहीं होती है,” ऋषभ ने नाराज हो कर कहा.
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\"तुम हर दुकान पर जा कर पटाखों की कीमत क्यों पूछ रहे हो, विदित? तुम्हारे पापा ने तुम्हारे लिए पहले ही हजार रुपए के पटाखे खरीद लिए हैं, चलो, मुझे अभी दीये और मिठाई भी खरीदनी है,\" विदित की मां ने झल्लाते हुए कहा.
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