“अब मैं इन बातों का ध्यान रखूंगा और हमेशा सड़क दुर्घटनाओं से बचा रहूंगा,” सारे निर्देश पढ़ने के बाद डमरू बुदबुदाया और आगे बढ़ चला.
चलतेचलते डमरू एक स्थान पर अचानक रुक गया और दाएं बाएं देखने लगा.
"डमरू, तुम किसी को ढूंढ़ रहे हो क्या?" पीछे से आवाज आई तो डमरू ने पीछे मुड़ कर देखा.
"ओह जंपी, तुम हो, मुझे लगा कि न जाने मुझे कौन बुला रहा है. नहीं, मैं किसी को ढूंढ नहीं रहा. अच्छा, यह सब छोड़ो और यह बताओ कैसे हो तुम?" डमरू ने कहा.
“मैं तो हमेशा की तरह एकदम चुस्तदुरुस्त और घोड़े की तरह तंदुरुस्त हूं,” जंपी बोला.
उस के बाद वे दोनों कुछ देर बातें करते रहे और फिर जंपी वहां से आगे चला गया.
थोड़ी देर बाद जंपी जब वापस लौटा तो उस ने डमरू को तब भी वहां खड़ा पाया.
"डमरू, तुम अब भी यहीं खड़े हो, आखिर बात क्या है?" जंपी ने पूछा.
"जंपी, मैं सड़क पार करने के लिए खड़ा हूं,"
"तो सड़क पार कर लो, इस में इतना सोचने की कौन सी बात है?" जंपी हैरान हो कर बोला.
"मैं गाड़ी निकल जाने की प्रतीक्षा कर रहा हूं," डमरू ने कहा तो जंपी सड़क के दोनों ओर देखने लगा.
"लेकिन डमरू, सड़क पर गाड़ी कहां आ रही है?" जंपी ने पूछा.
“यही तो समस्या है. इतनी देर से गाड़ी निकलने का इंतजार कर रहा हूं जिस से सड़क पार कर सकूं, लेकिन कोई गाड़ी आ ही नहीं रही है,” डमरू ने कहा तो जंपी हंसने लगा.
"डमरू, तुम से यह यह किस ने कह दिया कि गाड़ी निकल जाने के बाद ही सड़क पार करनी है?"
"यह सड़क सुरक्षा कैंपेन के पोस्टर पर लिखा था,” डमरू ने उत्तर दिया.
"डमरू, उस बात का मतलब था कि जब कोई गाड़ी आ रही हो तब उस गाड़ी को पहले निकल जाने देना चाहिए और उस के बाद ही सड़क पार करनी चाहिए. किसी गाड़ी के इंतजार में यहां खड़े नहीं रहना चाहिए," जंपी ने समझाया तो डमरू हैरान रह गया.
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