सभी टीचरों ने बच्चों का परेड में भाग लेने और आजादी के इतिहास को दर्शाने वाली झांकियों के प्रदर्शन के लिए मार्गदर्शन किया. उन्होंने यह भी सुनिश्चित किया कि परेड में शामिल होने वाले बच्चों का मूवमेंट समकालिक हो.
हालांकि 10 वर्षीय आयु उदास था, क्योंकि वह भी परेड में भाग लेना चाहता था.
बचपन में आयु एक बीमारी का शिकार हो गया था जिस से उस के पैर कमजोर हो गए और वह व्हीलचेयर पर चलने लगा. वह चाह कर भी इन सभी एक्टिविटीज में हिस्सा नहीं ले पाता था. परेड में 'एकदो...एकदो...' कहते हुए अपने हाथों को ऊपरनीचे हिलाने में वह खुशी महसूस कर रहा था.
परेड व झांकी प्रदर्शन की प्रैक्टिस के बाद क्लासरूम में किशोर सर ने बच्चों को देश के क्रांतिकारियों के बारे में शर्ट मूवी के माध्यम से जानकारी दी.
किशोर सर ने आयु को देखा और पूछा, "आयु, आज तुम उदास क्यों लग रहे हो?"
आयु ने अपने मन की बात उन्हें बताई.
सभी बच्चों का ध्यान आयु की तरफ गया.
किशोर सर ने मुसकराते हुए कहा, "आयु, तुमने यह कैसे सोच लिया कि तुम देश की सेवा नहीं कर सकते? तुम अपने ज्ञान और हुनर से भी देश की सेवा कर सकते हो."
किशोर सर ने कक्षा को संबोधित किया.
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