जंगल के सभी जानवर इन चूहों की हरकतों से बड़े परेशान थे, जिन में एल्विस हाथी भी शामिल था. चूहे कभी किसी की साइकिल के टायर की हवा निकाल कर भाग जाते तो कभी जब कोई स्टूल पर बैठने वाला होता तो वे स्टूल हटा कर उसे धड़ाम से नीचे गिरा देते थे, जिस से देखने वाले सभी जानवर हंसने लगते थे. जंगल के जानवरों को चूहों की शरारतों में तब मजा आता था जब वे खुद के लिए नहीं बल्कि दूसरों के लिए होती थीं.
चूहे ऐसी हरकतों से खुश थे और खासतौर पर उन्हें एल्विस को चिढ़ाने में मजा आता था, क्योंकि उन की अपेक्षा एल्विस फुर्तीला नहीं था. हर कोई इस शरारती तिकड़ी से तंग आ चुका था, लेकिन चूहे खुद कैटी बिल्ली से सावधान रहते थे. जंगलवासियों ने कई मौकों पर देखा कि चूहे खुद को कितना भी होशियार क्यों न समझें, कैटी के सामने उनकी घिग्घी बंध जाती थी. उन्होंने कई बार कैटी को उन की शैतानी के लिए सब के सामने उन्हें उठक बैठक करवाते हुए भी देखा. यदि वे जरा सी भी आवाज करते तो कैटी तुरंत उन्हें डांट देती. वे उस से बच कर कहीं भाग नहीं सकते थे.
हरितवन में दशहरे की तैयारियां बड़े जोरशोर से चल रही थीं. रोरो, मोमो और कोको ने हर वर्ष की तरह मेले में एक स्टौल लगाया. इस बार उन्होंने चाट व गोलगप्पों का स्टौल लगाने का फैसला किया, जिस का मुख्य उद्देश्य कैटी को सबक सिखाना था.
उन्होंने अपने स्टौल का नाम 'स्पैशल चाट और गोलगप्पा' रखा. उन के स्टौल पर बड़ी संख्या में जानवर आते थे. स्वादिष्ठ व्यंजन देख कर राहगीरों के मुंह में पानी आ जाता था और वे स्टौल की तरफ दौड़ पड़ते थे.
कुछ ने गोलगप्पों का लुत्फ उठाया, जबकि अन्य ने चटपटी टिक्कीचाट पसंद की. हर कोई यह कहते हुए स्टौल से बाहर जाता, "आह, गोलगप्पे और टिक्की खाने में बहुत मजा आया, कितने स्वादिष्ठ और चटपटे हैं."
एल्विस ने और उसके साथी चूहों को सबक सिखाना चाहते थे, उन्होंने अपनी योजना के अनुसार कैटी के पास जाने का फैसला किया.
एल्विस ने कैटी से कहा, "कैटी, क्या तुम्हें नहीं मालूम उनी शरारती चूहों ने इस बार भी दशहरा मेले में चटपटे गोलगप्पे और चाट का स्टौल लगाया है."
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रिटर्न गिफ्ट
\"डिंगो, बहुत दिन से हम ने कोई अच्छी पार्टी नहीं की है. कुछ करो दोस्त,\" गोल्डी लकड़बग्घा बोला.
चांद पर जाना
होशियारपुर के जंगल में डब्बू नाम का एक शरारती भालू रहता था. वह कभीकभी शहर आता था, जहां वह चाय की दुकान पर टीवी पर समाचार या रेस्तरां में देशदुनिया के बारे में बातचीत सुनता था. इस तरह वह अधिक जान कर और होशियार हो गया. वह स्वादिष्ठ भोजन का स्वाद भी लेता था, क्योंकि बच्चे उसे देख कर खुश होते थे और अपनी थाली से उसे खाना देते थे. डब्बू उन के बीच बैठता और उन के मासूम, क 'चतुर विचारों को अपना लेता.
चाय और छिपकली
पार्थ के पापा को चाय बहुत पसंद थी और वे दिन भर कई कप चाय पीने का मजा लेते थे. पार्थ की मां चाय नहीं पीती थीं. जब भी उस के पापा चाय पीते थे, उन के चेहरे पर अलग खुशी दिखाई देती थी.
शेरा ने बुरी आदत छोड़ी
दिसंबर का महीना था और चंदनवन में ठंड का मौसम था. प्रधानमंत्री शेरा ने देखा कि उन की आलीशान मखमली रजाई गीले तहखाने में रखे जाने के कारण उस पर फफूंद जम गई है. उन्होंने अपने सहायक बेनी भालू को बुलाया और कहा, \"इस रजाई को धूप में डाल दो. उस के बाद, तुम में उसके इसे अपने पास रख सकते हो. मैं ने जंबू जिराफ को अपने लिए एक नई रजाई डिजाइन करने के लिए बुलाया है. उस की रजाइयों की बहुत डिमांड है.\"
मानस और बिल्ली का बच्चा
अर्धवार्षिक परीक्षाएं समाप्त होने के बाद मानस को घर पर बोरियत होने लगी. उस ने जिद की कि उसे अपने साथ रहने के लिए कोई पालतू जानवर चाहिए, जो उस का साथ दे.
पहाड़ी पर भूत
चंपकवन में उस साल बहुत बारिश हुई थी. चीकू खरगोश और जंपी बंदर का घर भी बाढ़ के कारण बह गया था.
जो ढूंढ़े वही पाए
अपनी ठंडी, फूस वाली झोंपड़ी से राजी बाहर आई. उस के छोटे, नन्हे पैरों को खुरदरी, धूप से तपती जमीन झुलसा रही थी. उस ने सूरज की ओर देखा, वह अभी आसमान में बहुत ऊपर नहीं था. उस की स्थिति को देखते हुए राजी अनुमान लगाया कि लगभग 10 बज रहे होंगे.
एक कुत्ता जिस का नाम डौट था
डौट की तरह दिखने वाले कुत्ते चैन्नई की सड़कों पर बहुत अधिक पाए जाते हैं. दीया कभी नहीं समझ पाई कि आखिर क्यों उस जैसे एक खास कुत्ते ने जो किसी भी अन्य सफेद और भूरे कुत्ते की तरह हीथा, उस के दिल के तारों को छू लिया था.
स्कूल का संविधान
10 वर्षीय मयंक ने खाने के लिए अपना टिफिन खोला ही था कि उस के खाने की खुशबू पूरी क्लास में फैल गई.
तरुण की कहानी
\"कहानियां ताजी हवा के झोंके की तरह होनी चाहिए, ताकि वे हमारी आत्मा को शक्ति दें,” तरुण की दादी ने उस से कहा.