क्रान्तिकारी सूर्यसेन
Kendra Bharati - केन्द्र भारती|March 2023
अंग्रेजों ने नाखून उखाड़े, दांत तोड़े ताकि वे मरते समय न बोल सके वन्दे मातरम्
रमेश शर्मा
क्रान्तिकारी सूर्यसेन

भारत को स्वतंत्रता यूं ही नहीं मिली। भारत की स्वाधीनता के लिए लाखों वीरों ने अपना बलिदान दिया। यातनाओं का ऐसा विवरण है कि रौंगटे खड़े हो जाएं। ऐसे ही महान क्रान्तिकारी थे बंगाल के सूर्यसेन, जिन्हें अंग्रेजों ने मरते दम तक असहनीय यातनाएं दी थीं। अविभाजित बंगाल का चटगांव (अब बांग्लादेश में स्थित है) में सूर्यसेन का जन्म २२ मार्च, १८६४ को हुआ था। क्रान्तिकारी सूर्यसेन को "द हीरो ऑफ चटगांव" के नाम से भी जाना जाता है।

अंग्रेजी सरकार क्रान्तिकारी सूर्य सेन से इतना भय खाती श्री, और नफरत करती श्री कि उन्हें फाँसी देने से पहले भी कठोर यातनाएं दी गई और जब वे बेहोश हो गए तब उन्हें बेहोशी की हालत में ही फांसी पर चढ़ाया गया था। कुछ इतिहासकारों का मानना है कि क्रान्तिकारी सूर्यसेन के प्राण यातनाओं में ही निकल गए थे। उनकी मृत देह को ही फाँसी पर लटकाया गया। उन पर अंग्रेजों शासन द्वारा की गई यह अमानवीय बर्बरता की पराकाष्ठा श्री कि क्रान्तिकारी सूर्यसेन को फांसी के फंदे पर लटकाने से पहले हाथों के नाखून उखाड़े गए, उनके दांतों को तोड़ दिये गए, उनकी जिटवा काटी गई, ताकि वे वन्दे मातरम् का उदघोष न कर सकें। ये यातनाएं उनके बलिदान के अन्तिम दिन की है। जेल में एक दिन भी ऐसा न बीता जब उन्हें यातनाएं न दी गयी हों। यह यातनाएं उनसे साथियों के नाम पूछने के लिए दी गयी थी। पर असहनीय यातनाओं के बीच भी उन्होंने किसी का नाम न बताया और मातृभूमि को स्वतंत्रता दिलाने के लिए यह सब झेला।

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